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UP Civic Elections: मायावती ने वरिष्ठ नेताओं को सौंपी निकाय चुनाव की जिम्मेदारी, बीजेपी का विकल्प बनने के निर्देश
यूपी में होने वाले निकाय चुनाव को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने तैयारियां तेज कर दी हैं। उन्होंने पार्टी के बड़े नेताओं को आगामी यूपी निकाय चुनाव को लेकर जिम्मेदारियां सौंपी हैं।
Mayawati on Civic Elections 2022 : यूपी में होने वाले निकाय चुनाव (UP Civic Body Election 2022) को लेकर बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। बीएसपी संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस (Parinirvan Divas Of Kanshi Ram) के अवसर पर शुरू हुई मंडलीय स्तर बैठक के बाद शनिवार (22 अक्टूबर 2022) को प्रदेश स्तरीय वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की। इनमें सभी जिलों के नेता शामिल हुए।
मायावती ने आज की बैठक में पिछले दिनों हुई बैठकों और सदस्यता अभियान के बारे जानकारी ली। साथ ही, नेताओं को दिशा निर्देश जारी किए। पार्टी कार्यालय पर आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में आगामी स्थानीय निकाय चुनाव के मद्देनजर जहां पार्टी संगठन में फेरबदल के बाद सीनियर नेताओं को नई अहम जिम्मेदारी सौंपी। वहीं, सर्व समाज में पार्टी के जनाधार को तेजी से बढ़ाकर बीजेपी का सही व सार्थक विकल्प बनने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिये तथा उन पर बिना किसी कोताही के पूरी ईमानदारी व निष्ठा से काम करने की सख्त हिदायत भी दी।
विरोधियों के मंसूबों से बचाना प्राथमिकता
बसपा यूपी में स्थानीय निकाय चुनाव को पूरी मुस्तैदी साथ लड़ने के लिए संगठन की भरपूर तैयारी कर रही है। अपने संबोधन में मायावती ने कहा कि, 'विरोधी पार्टियां साम, दाम, दंड, भेद आदि हथकंडे अपनाकर बीएसपी को कमजोर करने में अनवरत सक्रिय हैं। जिसके प्रति लोगों को वास्तविकता बताकर आगे के लिए सजग व सावधान करते रहना है, ताकि आने वाले चुनावों में इसके नुकसानों से पार्टी व मूवमेंट को बचाया जा सके।'
'धन्नासेठों' की समर्थक पार्टी के अनुसरण से बचना होगा
पार्टी के जनाधार को बढ़ाने तथा दूसरे मिशनरी कार्यों के लिए पार्टी की परम्परा के अनुसार छोटी-छोटी कैडर मीटिंग करने पर ही ज्यादा जोर देते हुए उन्होंने (मायावती) कहा कि 'बीएसपी को बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों की समर्थक पार्टियों के उनके शह खर्चीले फैशन का अनुसरण कतई नहीं करना है। क्योंकि, आजकल जबर्दस्त महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि के कारण तंगी के हालात में ऐसा करना त्रस्त युवाओं तथा मिडिल क्लास जनता को भी बहुत बुरा लगता है और वे इसे उन्हें मुंह चिढाने जैसा ही मानते हैं।'
'अच्छे दिन' पर माया का तंज
वैसे भी बीजेपी को सत्ता सौंप कर "अच्छे दिन" पाने का उनका अनुभव अभी तक थोड़ा भी सही व सार्थक साबित नहीं होने से जनता इनसे काफी दुखी है। खासकर बीजेपी सरकारों द्वारा बहुप्रतीक्षित विकास, जनहित व जनकल्याण आदि पर समुचित ध्यान देने के बजाय गरीब-विरोधी कार्यों तथा कोरी बयानबाजी आदि पर ही इनका ज्यादातर समय व सरकारी संसाधन बर्बाद होता हुआ नजर आता हैं, जिससे यहां महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी व परिवार छोड़कर पलायन की विवशता आदि जैसी विकट समस्याओं का ढेर लग गया है। शहरी व ग्रामीण जनता दोनों का ही बुरा हाल है और वे काफी दुखी हैं।
संघ और बीजेपी पर साधा निशाना
मायावती ने आगे कहा, 'इसीलिए यूपी सहित पूरे देश में फैली प्रचंड महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, हिंसा, तनाव व अव्यवस्था आदि के अभिशाप के दिन-प्रतिदिन के जान के जंजाल से पीड़ित करोड़ों जनता का ध्यान बांटने के लिए ही आरएसएस द्वारा अब खासकर नई जनसंख्या नियंत्रण नीति व धर्मान्तरण आदि का बेसुरा राग अलापा जा रहा है, जो घोर अनुचित है। वास्तव में आरएसएस का यह अभियान आगामी लोकसभा आम चुनाव से पहले भाजपा व इनकी सरकार के पक्ष व समर्थन में एक सोची-समझी रणनीति के तहत ही किया जा रहा है, जिससे लोगों को सजग व सावधान करते रहना बहुत ही जरूरी यह विडंबना ही है कि आरएसएस बीजेपी को हर चुनावों में आंखें बंद कर पूरे जी-जान से मदद करती है, किन्तु भाजपा सरकार की गलत व जनविरोधी नीतियों का कभी भी खुलकर विरोध नहीं करती। देश के वर्तमान खराब हालात पर भी उसकी चुप्पी दुःखद ही नहीं बल्कि घातक भी।'
चरमराये आर्थिक हालात से बेखबर सरकार
यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'किन्तु इससे यह स्पष्ट है कि केन्द्र व राज्य सरकारें अपनी गरीब विरोधी व धन्नासेठ समर्थक गलत नीतियों के कारण जनसंख्या को 'निधि' के रूप में उसका सदुपयोग करने में विफल साबित हो रही हैं, जिस पर से ध्यान भटकाने के लिए ही इसे बोझ बताकर इस मुद्दे को भी साम्प्रदायिक रंग देने का प्रयास लगातार किया जा रहा है, हालांकि रोजी-रोटी के अभाव में दुःखी एवं परेशान लोग इनकी ऐसी हरकतों से अब काफी तंग आ चुके हैं तथा उदासीन हैं। देश के चरमराये आर्थिक हालात भी देश की समस्याओं को और विकट बना रहे हैं, किन्तु सरकार इस सबसे काफी बेखबर लगती है, जो और भी बड़ी चिंता की बात है।'
देश में चारों तरफ मायूसी, बढ़े अपराध
उन्होंने कहा, 'देश में व्याप्त ऐसे मायूस हालात का सामाजिक स्तर पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है तथा महिलाओं के विरुद्ध हर प्रकार के शोषण, हिंसा व गंभीर अपराध बढ़ने से असुरक्षा का माहौल बढ़ रहा है। साथ ही, अन्य प्रकार के बेकारी आदि से अपराधों के भी बढ़ने के कारण जेलों में काफी ओवरफ्लो है तथा विचाराधीन कैदियों की संख्या में भारी वृद्धि होती जा रही हैं, जो देश व सरकारों के लिए हर प्रकार से एक अनचाहा व अनुचित अतिरिक्त बोझ है।'
'जनकल्याणकारी दिवस' पर ये बोलीं
इसके साथ ही, मायावती ने 15 जनवरी 2023 को देशव्यापी स्तर पर व यूपी में खासकर काफी विस्तृत तौर पर "जनकल्याणकारी दिवस" के रूप में मनाया जाने वाला उनका जन्मदिन सादगी व संजीदगी के साथ मिशनरी भावना के तहत ही गरीब एवं बेसहारा लोगों की मदद करके मनाने का निर्देश दिया। साथ ही, इस शुभ अवसर पर उन्हें कीमती उपहार / तोहफे आदि देने पर पाबंदी जारी रखते हुए कहा कि पार्टी व मूवमेन्ट के हित में हमेशा की तरह सीधे तौर पर आर्थिक सहयोग देना बेहतर होगा ताकि इससे चुनावों में खर्चों आदि की भरपाई की जा सके।
इसके अलावा, यूपी में खासकर कानून का राज न होने से सरकारी जुल्म-ज्यादती व इनकी घोर मनमानी तथा कानून-व्यवस्था के बदतर हालात का संज्ञान लेते हुए मायावती ने पार्टी को निर्देशित किया कि पीड़ित लोगों की यथासंभव पूरे कानूनी तरीके से मदद जारी रहनी चाहिए। साथ ही, लोगों को जागृत भी करते रहना है कि अपनी सरकार बनने पर ही उनको न्याय मिल पाएगा तथा उनके सभी दुःखों व समस्याओं का भी हल संभव है।