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Mayawati Birthday Special: जब कांशीराम ने मायावती से कहा तुम्हें IAS नहीं CM बनना है
Mayawati Birthday Special: मायावती हर साल अपने जन्मदिन पर एक किताब रिलीज़ करती हैं। जो पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं और पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वालों के लिए ख़रीदना जरूरी होता है।
Mayawati Birthday Special: बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीम लीडर मायावती। कांशीराम की उत्तराधिकारी मायावती। उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती। दलितों की बहन जी। 1984 में जब कांशीराम ने बहुजन समाज पार्टी बनाई थी, उस समय की सक्रिय सदस्य मायावती। मायावती का जन्मदिन हर साल पंद्रह जनवरी को उनके समर्थक , कार्यकर्ता, नेता और प्रशंसक उत्साह से मनाते हैं। मायावती हर साल अपने जन्मदिन पर एक किताब रिलीज़ करती हैं। जो पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं और पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वालों के लिए ख़रीदना जरूरी होता है। प्रायः जब मायावती सत्ता में रहती है तो उनका जन्मदिन सुर्ख़ियाँ हासिल कर लेता है। कभी वह नोटों की माला के बहाने। और कभी शाही ढंग से मनाये गये जन्म दिन के बहाने।
निजी जीवन
मायावती का जन्म 15 जनवरी, 1956 को दिल्ली में हुआ था। उनकी माँ का नाम राम रती है। गौतम बुद्ध के बादलपुर में उनके पिता प्रभु दास एक डाक कर्मचारी थे। वर्ष 1975 में मायावती ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी महिला कॉलेज से बीए पास किया। 1976 में वीएमएलजी कॉलेज, गाजियाबाद से बीएड की डिग्री ली। 1983 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी किया।
बी.एड का पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद मायावती ने अपने पड़ोस के छात्रों को पढ़ाना शुरू कर दिया। खुद वह आईएएस की परीक्षा की तैयारी करने लगीं। 1977 में कांशीराम मायावती के वार्ता कौशल और विचारों से प्रभावित हुए । उन्हें राजनीति में आने का आमंत्रण दिया।कहा जाता है कि कांशीराम ने मायावती को समझाया कि तू आईएएस बन कर जो नहीं कर करेगी। वह सब कुछ तुम मुख्यमंत्री बन कर कर सकोगी।
मायावती ने यहां से शुरू किया था अपना पहला चुनावी सफर
1984 में कांशी राम ने बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की। तो मायावती को सदस्य के रूप में शामिल किया। मायावती का राजनीति में यह पहला कदम था। उसी साल उन्होंने मुज्ज़फरनगर जिले की कैराना सीट से अपने पहले चुनाव अभियान की शुरूआत की थी। 1985 और 1987 में मायावती ने कड़ी मेहनत की। और 1989 में उनकी पार्टी ने 13 विधायकों को विधानसभा पहुँचाने का करिश्मा कर दिखाया। 1995 में मायावती गठबंधन सरकार की उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री बनीं। और सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड उनका आज भी कामयाब है।
सन 2001 में पार्टी के संस्थापक सदस्य कांशी राम ने मायावती को दल के अध्यक्ष के रूप में अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। 2002 और 2003 के दौरान भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में मायावती फिर से मुख्यमंत्री चुनी गई। इस के पश्चात बीजेपी ने सरकार से अपना समर्थन वापिस ले लिया। मायावती सरकार गिर गयी। सन 2007 के विधान सभा चुनाव के बाद मायावती फिर से सत्ता में लौट आई और यूपी की कमान संभाली।
मायावती की ज़िंदगी की ख़ास तारीख़ों का ज़िक्र भी ज़रूरी हो जाता है।
- 1989 में मायवती ने बिजनौर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा। सांसद बनीं।
- अप्रैल 1994 में वह पहली बार राज्यसभा की सदस्य बनीं।
- जून 1995 में मायवती उत्तर प्रदेश की पहली दलित मुख्यमंत्री बनीं ।18 अक्टूबर 1995 तक सीएम बनी रहीं।
- वर्ष 1996 से 1998 तक वह विधायक रहीं।
- 21 मार्च, 1997 को दूसरी बार वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और 20 सितंबर 1997 तक इस पद को बरकरार रखा।
- वर्ष 1998 में वह अकबरपुर निर्वाचन क्षेत्र से 12वीं लोकसभा की सदस्य के रूप में दूसरी बार चुनी गईं।
- वर्ष 1999 में वह 13वीं लोकसभा की सदस्य बनीं।
- 15 दिसंबर 2001 को कांशी राम ने एक भव्य रैली में घोषणा की कि मायावती उनकी राजनीतिक उत्तराधिकारी होंगी। इसके साथ-साथ बहुजन आंदोलन की एकमात्र उत्तराधिकारी होंगी।
- फरवरी 2002 को मायावती फिर उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य चुनी गईं।
- 3 मई 2002 को मायवती तीसरी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और 26 अगस्त 2002 तक रहीं।
- कांशी राम का स्वास्थ्य खराब होने पर 18 सितंबर, 2003 को मायावती बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं।
- अप्रैल, 2004 में मायावती अकबरपुर निर्वाचन क्षेत्र से चौथी बार संसद चुनी गईं।
- जुलाई 2004 में उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। दूसरी बार राज्यसभा की सदस्य बनीं।
- 27 अगस्त, 2006 को मायावती दूसरी बार बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनी गई थीं।
- 13 मई, 2007 को मायावती चौथी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और 14 मार्च 2012 तक पद बनी रहीं।
मायावती द्वारा लिखी गयी पुस्तकें
- 'बहुजन समाज और उसकी राजनीति' पुस्तक को 3 जून, 2000 को पार्टी की पच्चीसवीं सालगिरह पर प्रकाशित किया गया।
- 'मेरा संघर्षमय जीवन एवं बहुजन आंदोलन का सफरनामा' किताब 15 जनवरी, 2006 को मायावती के 50वें जन्मदिन पर प्रकाशित की गई।
इन विवादों से रहा हैं करीबी रिश्ता
मायावती का विवादों से भी करीबी रिश्ता रहा है। फ़्लोट पंप, ताजकारीडोर जैसे मामलों में सीबीआई जाँच की जद में वह आईं। आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी वह काफ़ी समय तक जाँच की जद में रहीं। इन दिनों चल रहे चीनी मिलों के बिक्री की जाँच की आँच भी उन तक पहुँचती हैं। उनके कार्यकाल में ही एनएचआरएम घोटाले में उनके मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और विभागीय अफ़सर लंबे समय तक जेल में रहे। मायावती की पार्टी उत्तर प्रदेश में सपा, कांग्रेस और भाजपा सबके साथ सियासी पारी खेल चुकी है। एक वोट से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिराने की उपलब्धि भी मायावती के हाथ है।
कभी तिलक तराज़ू और तलवार की बात करने वाली मायावती ने ब्राह्मणों को कुछ इस तरह रिझाया कि ब्राह्मणों ने उन्हें स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाने का मौक़ा ही दे दिया। कभी राजाराम को मायावती का उत्तराधिकारी बताया जाता था। राजाराम राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। लेकिन इन दिनों उनसे आगे मायावती के भतीजे आकाश का नाम है । जो विदेश से तालीम लेकर आये हैं। आकाश इन दिनों अपने विवाह को लेकर सुर्ख़ियां हासिल किये हुए हैं। कहा तो यह जा रहा है कि मायावती के ख़ास सिपहसलार अशोक सिद्धार्थ की बेटी से आकाश का विवाह होगा। मायावती के जन्मदिन से अधिक आज की तारीख़ में आकाश के विवाह की खबरें सुर्ख़ियाँ में हैं।