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UP News: मायावती के परिवार में जल्द बजेगी शहनाई, इस दिगग्ज नेता की MBBS बेटी से होगी आकाश आनंद की शादी
UP News: आकाश आनंद बसपा सुप्रीमो के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। मायावती के होने वाले समधी भी राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं।
UP Politics: उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की संस्थापक मायावती के घर जल्द शहनाई बजेगी। उनका चहेता भतीजा आकाश आनंद के परिणय सूत्र में बंधने की खबरें हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मायावती ने अपने लिए बहू ढूंढ ली है। किसी भी समय पर शादी की तारीख का ऐलान हो सकता है। आकाश आनंद बसपा सुप्रीमो के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। जानकारी के मुताबिक, मायावती के होने वाले समधी भी राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं।
किससे होने जा रही है आकाश की शादी ?
राजनीतिक हलकों में आकाश आनंद को बसपा प्रमुख मायावती के सियासी उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसे में मीडिया और बसपा समर्थकों में उनकी होने वाली पत्नी को लेकर काफी दिलचस्पी है। बताया जा रहा है कि आकाश आनंद की होन वाली पत्नी पेशे से एमबीबीएस डॉक्टर है। हालांकि, उनका नाम सामने नहीं आया है।
बसपा नेता की बेटी है मायावती की होने वाली बहू
मायावती के भतीजे की शादी वरिष्ठ बसपा नेता अशोक सिद्धार्थ की बेटी से होने जा रही है। सिद्धार्थ को बीएसपी सुप्रीमो के भरोसेमंद नेताओं में गिना जाता है। मायावती उन्हें राज्य सभा भेज चुकी हैं। साल 2016 में सिद्धार्थ पार्टी के एक अन्य दिग्गज नेता सतीश चंद्र मिश्रा के साथ राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे।
पेशे से आंखों के डॉक्टर रहे अशोक सिद्धार्थ बसपा संगठन में भी कई अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। उन्हें 2018 में मायावती ने आंध्र प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया था। इसके अलावा यूपी के बुंदेलखंड इलाके की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ सिद्धार्थ का परिवार मूल रूप से फर्रूखाबाद जिले में कायमगंज कस्बे का रहने वाला है।
कौन हैं आकाश आनंद
मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के पुत्र आकाश आनंद को बसपा के युवा चेहरे के तौर पर देखा जा रहा है। मायावती ने उन्हें नेशनल कोआर्डिनेटर बनाकर उनके कंधों पर युवाओं को रिझाने की जिम्मेदारी दी है। आकाश आनंद ने लंदन के एक कॉलेज से एमबीए की पढ़ाई की है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान वह पहली बार सहारनपुर की रैली में मायावती के साथ मंच पर दिखे थे। दो साल बाद लोकसभा चुनाव में जब सपा-बसपा का गठबंधन हुआ था, तब भी उन्हें कई रैलियों में देखा गया था। उन्होंने ही 2019 में बसपा को सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्मों से जोड़ा था। जिसके कारण डिजिटल प्रचार में पिछड़ने वाली बीएसपी की मौजूदगी ट्विटर, फेसबुक समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर दिखने लगी।