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Mayawati News: मायावती ने सांसदों के निलंबन को बताया दुर्भाग्यपूर्ण, मिमिक्री कांड पर भी बोलीं बसपा सुप्रीमो
Mayawati News: बसपा सुप्रीमो ने कहा कि संसदीय इतिहास के लिए अच्छी बात नहीं है। बिना विपक्ष के बिल पारित करवाकर सरकार गलत परंपरा शुरू कर रही है।
Mayawati News: संसद के शीतकालीन सत्र में जारी हंगामे के बीच बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का सांसदों के निलंबन पर बयान आया है। उन्होंने संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा से विपक्षी सांसदों के निलंबन को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि संसदीय इतिहास के लिए अच्छी बात नहीं है। बिना विपक्ष के बिल पारित करवाकर सरकार गलत परंपरा शुरू कर रही है।
मायावती ने कहा कि दोनों सदनों से लगभग 150 सांसदों का निलंबन संसदीय इतिहास के लिए दुखद और लोगों के विश्वास को आघात पहुंचाने वाला है। उन्होंने कहा कि संसदीय परंपरा को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। पूर्व मुख्यमंत्री ने संसद सुरक्षा चूक का मुद्दा उठाते हुए कहा कि संसद की सुरक्षा में सेंधमारी करना गहन चिंता का विषय है। इस मुद्दे को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच चल रही जुबानी जंग पर उन्होंने कहा कि एक-दूसरे पर दवाब डालने से काम नहीं चलेगा। आरोपियों और साजिशकर्ताओं के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई जरूरी है।
मिमिक्री कांड पर भी बोलीं बसपा सुप्रीमो
पूर्व सीएम मायावती ने टीएमसी के लोकसभा सांसद कल्याण बनर्जी द्वारा सदन के बाहर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री करने को अनुचित बताया है। उन्होंने इस घटना का वीडियो बना कर वायरल करने वाले विपक्षी सदस्यों की भी आलोचना की है। बसपा मुखिया ने विपक्षी सांसदों की इस हरकत को अशोभनीय करार दिया है।
मायावती ने अयोध्या में बन रहे भव्य रामलला के मंदिर और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बन रहे मस्जिद पर भी अपनी पार्टी की स्थिति साफ की है। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज पार्टी एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है, इसलिए वह मस्जिद निर्माण का स्वागत करती है। उस अयोध्या में बन रहे राम मंदिर से भी कोई दिक्कत नहीं है।
मायावती ने अखिलेश यादव पर किया पलटवार
मायावती ने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पर पलटवार करते हुए कहा कि जो पार्टी इस गठबंधन में नहीं उस पर किसी को भी फिजूल की बात और टीका टिप्पणी नहीं करने चाहिए। मेरी सलाह है कि इससे इन लोगों को बचना चाहिए क्योंकि भविष्य में कब किसको किसकी जरूरत पड़ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है। फिर किसको शर्मिंदगीं उठानी पड़ जाए, खासकर सपा को इसका ध्यान रखना चाहिए। भविष्य में कब किसे किसकी जरूरत पड़ा जाए। इसका सटीक उदाहरण सपा है।
दरअसल, दिल्ली में हुई इंडिया अलायंस की मीटिंग में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस से तल्ख लहजे में पूछा था कि क्या इस गठबंधन से इतर कांग्रेस पार्टी की बीएसपी से भी बातचीत चल रही है, क्या वह बसपा को इस गठबंधन में लाना चाहती है ? कांग्रेस सबसे पहले इस पर अपना रूख स्पष्ट करे। अगर कांग्रेस ऐसा चाहती है तो साफ कर दे क्योंकि तब समाजवादी पार्टी को भी अपना स्टैंड इस गठबंधन को लेकर साफ करना पड़ेगा। तब कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ने साफ किया कि उत्तर प्रदेश में बसपा से गठबंधन करने का हमारा कोई इरादा नहीं है।