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2013 से पढ़ी जा रही नमाज, सरकार ने पहले क्यों नहीं की कार्रवाई?: मायावती
मायावती ने पूछा कि उस स्थल पर अगर फरवरी 2013 से ही जुमे की नमाज लगातार हो रही है, तो अब चुनाव के समय उस पाबंदी लगाने क्या मतलब है? यह कार्यवाही पहले ही क्यों नहीं की गयी तथा अब लोकसभा चुनाव से पहले इस प्रकार की कार्रवाई क्यों की जा रही है? इससे बीजेपी सरकार की नीयत व नीति दोनों पर ही उंगली उठना व धार्मिक भेदभाव का आरोप लगना स्वाभाविक है।
लखनऊ: दिल्ली से नोएडा में सार्वजनिक पार्क में बैगर सरकारी अनुमति के जुमे की साप्ताहिक नमाज पढ़ने पर रोक लगाने को लेकर बसपा ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। नोएडा के सेक्टर-58 स्थित प्राधिकरण के सार्वजनिक पार्क में साप्ताहिक नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी को बीएसपी सुप्रीमो और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक तरफा कार्रवाई बताई है।
मायावती ने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक गतिविधियों पर पाबंदी लगाने की कोई नीति है तो वह सभी धर्मों के लोगों पर एक समान तौर पर तथा पूरे प्रदेश के हर जिले में व हर जगह सख्ती से बिना किसी भेदभाव के क्यों नहीं लागू की जा रही है?
नोएडा की घटना पर मायावती ने पूछा कि उस स्थल पर अगर फरवरी 2013 से ही जुमे की नमाज लगातार हो रही है, तो अब चुनाव के समय उस पाबंदी लगाने क्या मतलब है? यह कार्यवाही पहले ही क्यों नहीं की गयी तथा अब लोकसभा चुनाव से पहले इस प्रकार की कार्रवाई क्यों की जा रही है? इससे बीजेपी सरकार की नीयत व नीति दोनों पर ही उंगली उठना व धार्मिक भेदभाव का आरोप लगना स्वाभाविक है।
साथ ही बसपा सुप्रीमो ने आशंका जताई कि चुनाव के समय इस प्रकार के धार्मिक विवादों को पैदा कर बीजेपी सरकार अपनी कमियों व विफलताओं पर लोगों का ध्यान हटाना चाहती है। उन्होंने कहा कि जुमे की नमाज के संबंध में नोएडा सेक्टर-58 स्थित 23 निजी कंपनियों को भी पुलिस का नोटिस जारी करके उनपर भी कार्रवाई की धमकी देने की कार्रवाई पूरी तरह से गलत व अति-गैरजिम्मेदाराना कदम है।
मायावती ने कहा कि बीजेपी सरकार की ऐसी कार्रवाईयों से यह साफ है कि हाल में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में हुई करारी हार से बीजेपी के वरिष्ठ नेता कितना घबराये हुए हैं तथा उसी हताशा व निराशा से गलत व विसंगतिपूर्ण फैसले ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि केंद्र की बीजेपी सरकार का भी हर काम धार्मिक उन्माद बढ़ाकर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला ही प्रतीत हो रहा है ताकि लोगों का ध्यान चुनावी वादाखिलाफियों आदि पर से बांटा जा सके, जो अति-निंदनीय है तथा जनता इनकी इस प्रकार के षड़यन्त्रों को अच्छी तरह से समझ गई है तथा इनके किसी भी बहकावे में आने वाली नहीं है।