Mayawati News: सियासत के साथ दरक रहे हैं मायावती की विरासत के 'पत्थर'

Lucknow: बीसएपी द्वारा बनवाए गए स्मारकों और पार्कों की दरकती दीवारों और उखड़ते पत्थरों ने मायावती चिंता बढ़ा दी है।

Rahul Singh Rajpoot
Report Rahul Singh RajpootPublished By Shreya
Published on: 29 April 2022 1:48 PM GMT (Updated on: 29 April 2022 4:57 PM GMT)
Lucknow: सियासत के साथ दरक रहे हैं मायावती की विरासत के ‘पत्थर’
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BSP Monuments And Parks: जिन स्मारकों और पार्कों को बनाकर मायावती (Mayawati) अमर होना चाहती थीं अब उसके रखरखाव को लेकर वह चिंतित हैं। अपने निर्माण के 10 साल के भीतर ही दरकती दीवारों और उखड़ते पत्थरों ने मायावती चिंता और बढ़ा दी है। यही वजह है कि उन्होंने अपने दूत सतीश मिश्रा और विधायक उमाशंकर सिंह को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) से मिलने को भेजा। मुख्यमंत्री के दूत और बसपा के विधायक ने इन इमारतों के रखरखाव और मरम्मत को लेकर मायावती की चिंता से सीएम योगी को अवगत कराया। हकीकत ये है कि इन स्मारकों और पार्कों के रखरखाव और सुरक्षा के बजट में अखिलेश यादव से लेकर योगी आदित्यनाथ की सरकार तक कोई कटौती नहीं की गई है। यही वजह है कि इनके निर्माण पर सवाल उठने लगे हैं।

लखनऊ और गौतमबुद्धनगर सात स्मारक और पार्कों का निर्माण कराया जिसकी लागत उस समय 6000 करोड़ रुपये से अधिक आई थी। इसके लिए मायावती ने एक बहुत महंगा आर्टिटेक्ट हायर किया था। निर्माण एजेंसी राजकीय निर्माण निगम थी। मायावती के अमर होने की इच्छा पूरी करने की इन इमारतों का फैलाव 750 एकड़ में है। इसके लिए 5300 कर्मचारी दिन रात मुस्तैद रहते हैं। सालाना इनके वेतन का बजट 76 करोड रूपये है। वेतन के अलावा रखरखाव का सालाना खर्च पचास करोड रूपये है। इन स्मारकों में हर महीने औसतन 75 लाख यानि सालाना नौ करोड रूपये की बिजली जलायी जाती है।


गौरतलब है कि मायावती 2012 में मायावती ने अपनी जाती हुई सरकार को देखकर इन इमारतों की सुरक्षा और मरम्मत के लिए विशेष प्रवाधान किये गए हैं। जिसकी सुरक्षा के लिए मायावती ने वर्ष 2010 में विशेष सुरक्षा वाहिनी का गठन किया था। इसके साथ ही स्मारक में मायावती की जो मूर्तियां लगाई गई हैं उस पर करीब 3.49 करोड़, कांशीराम की मूर्तियों पर 3.37 करोड़ और 60 हाथियों पर 52.02 करोड़ रुपये खर्च होने की बात कही जाती है। गौरतलब है कि हाथी बीएसपी का चुनाव चिह्न भी है।

हालांकि अखिलेश यादव की सरकार आने के बाद यह उम्मीद जताई जा रही थी कि वे मायावती के इन प्रावधानों को पटल देंगे लेकिन मायावती के इन पार्कों और स्मारकों पर अखिलेश यादव की नजरें इनायत बनी रहीं। हद तो ये है कि मायावती की एक मूर्ति सिरफिरे अमित जानी ने तोड़ दी थी तो रातों रात अखिलेश यादव ने स्टाक रूम में रखी हुई मायावती की तमाम मूर्तियों में से एक पलक झपते ही तामील करा दिया।

यह जरूर है कि अखिलेश यादव ने उस समय यह ऐलान किया कि इन पार्कों, स्मारकों को वे शादी-विवाह में किराए पर देंगे लेकिन अभी तक किसी ने मायावती के सपनों की इन शरहदों में कोई उत्सव होता नहीं देखा है। मायावती के स्मारक और पार्क काफी विवाद में भी रहे। कहा तो ये भी गया कि मायावती की ये स्वप्निल परियोजनाएं फंड डायबर्ड करने का जरिया भी था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था। वहीं जब भी उत्तर प्रदेश में चुनाव आते हैं तब चुनाव आयोग के लिए यह सिर दर्द भी बनता है। उनके द्वारा बनाए गए हाथी को प्लास्टिक में कैद कर दिया जाता है।


निर्माण निगम के अधीन है देखरेख

इन पार्कों और स्मारकों की देखरेख लखनऊ विकास प्राधिकरण के हाथों में है, लेकिन निर्माण से संबंधित कार्य यूपी निर्माण निगम के जिम्मे पर है। यहां तैनात एक अफसर ने बताया कि जो कमियां उन्हें पता चलती हैं अगर उसके स्तर का होता है वह उसे तुरंत दूर कराने का कार्य करते हैं। लेकिन बड़े कार्यों को कराने के लिए वह लोग रमाबाई मैदान में बने हेडक्वाटर को अपना कार्य और उसकी अनुमानित लागत का व्यौरा भेजते हैं। वहां से इसे यूपी निर्माण निगम भेजा जाता है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद इन स्मारकों में कार्य कराए जाते हैं।

उन्होंने बताया कि लखनऊ के सभी पांच स्मारकों और उसके आस-पास बनाए गए पार्कों में जो भी कमियां आई हैं उसकी लिस्ट बनाकर निर्माण निगम को भेज दिया गया है। इसके लिए बजट भी मंजर हो गया है।


2.75 करोड़ का बजट हुआ है पास

दरअसल अब ये स्मारक राष्ट्रीय धरोवर घोषित हो चुके हैं, इसलिए अब इसकी देखभाल का जिम्मा सरकार का बनता है। हालांकि अखिलेश यादव पर आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने इसके साथ सौतेला व्यवहार अपनाया। लेकिन योगी सरकार ने इसके लिए समय समय पर बजट दिये हैं। जैसे अभी पिछले 22 अप्रैल 2022 को इन पार्कों और स्मारकों को लेकर एक अहम बैठक हुई थी। जिसमें इनकी मरम्मत और अन्य कार्यों के लिए 2.75 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। इस बजट में पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने जो पत्र सीएम योगी को लिखा है वह कार्य भी कराया जाना शामिल है। इसके पहले भी 2017-18 में योगी सरकार ने एक करोड़ रुपये का बजट दिया था।

5300 कर्मचारियों का दर्द

मायावती द्वारा बनाए इन स्मारकों की देखरेख के लिए 90 विभागों में 7265 पदों को सृजित किया गया है। वर्तमान में लगभग 5300 कर्मचारी कार्यरत हैं, करीब 2000 पद खाली हैं। जिसमें सफाई कर्मचारी से लेकर मैनेजर तक शामिल हैं। इन्हें दो महीने से वेतन नहीं मिला है। कर्मचारियों का कहना है कि महंगाई दिनों दिन बढ़ती जा रही है, लेकिन उनका वेतन नहीं बढ़ा। नियुक्ति से ही उनका सीपीएफ कटा जा रहा है लेकिन आज तक अकाउंट नहीं खुला है, वह पैसा कहां जा रहा है किसी को नहीं पता है।

इसके अलावा जब उनकी नियुक्ति हुई थी तब उन्हें राज्य सरकार के बाकी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं देने की बात कही गई थी। वह भी आज तक लागू नहीं की गई है। इन 5300 कर्मचारियों को ना तो मेडिकल सुविधा मिलता है और ना ही मृतक आश्रित कोटे का लाभ मिलता है। उदाहरण के तौर पर देखें तो स्मारकों के गेट पर ड्यूटी देने वाले गेटमैन को आज भी 1300 ग्रेट पे मिल रहा है। कर्मचारी कड़कती धूप से लेकर वर्षा और ठंड में ड्यूटी पर तैनात रहते हैं लेकिन सुविधा के नाम पर उन्हें 10 साल पहले वाला वेतन ही मिल रहा है।


यूपी गृह मंत्रालय के अधीन है सुरक्षा

मायावती ने इन स्मारकों, मूर्तियों की सुरक्षा के लिए वर्ष 2010 में अलग वाहिनी का गठन किया था। जो कि यूपी गृह विभाग के अधीन आता है। जिसे राज्य विशेष परिक्षेत्र सुरक्षा बल नाम से जाना जाता है। इस दल में शामिल हर एक सदस्य के पास इस बात का अधिकार था कि स्मारक को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति को वे बिना वारंट के मजिस्ट्रेट के आदेश के अनुसार गिरफ्तार कर सकते थे। फोर्स के गठन में तकरीबन 53 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। जिन स्मारकों के लिए बसपा शासनकाल में सुरक्षा दल गठित किया दया था वह अंबेडकर स्थल, कांशीराम स्मारक, रमाबाई अंबेडकर मैदान, स्मृति उपवन और बुद्ध विहार शामिल है।


मायावती के शासनकाल में बने स्मारक और पार्क

कुल पार्कों की संख्या

लखनऊ- 7

जीबी नगर- 3

हाथी की मूर्तियां

लखनऊ- 152

नोएडा- 56

लखनऊ का गोमती नगर

आंबेडकर सामाजिक परिवर्तन प्रतीक स्थल

क्षेत्रफल- 125 एकड़

लागत- 1363 करोड़ रुपये


कांशीराम मेमोरियल

एरिया- 70 एकड़

लागत- 730 करोड़ रुपये


रमाबाई रैली स्थल

एरिया- 51 एकड़

लागत- 655 करोड़ रुपये


बुद्ध शांति उपवन

एरिया- 10.8 हेक्टेयर

लागत- 460 करोड़


कांशीराम इको पार्क

एरिया- 70 एकड़

लागत - 1000 करोड़ रुपये


गोमती विहार पार्क

एरिया- 30 एकड़

लागत- 300 करोड़ रुपये


गोमती पार्क

एरिया- 20 एकड़

लागत- 200 करोड़

नोएडा

राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल ऐंड ग्रीन गार्डन

एरिया- 80 एकड़

लागत- 685 करोड़ रुपये


आंबेडकर पार्क, बादलपुर, ग्रेटर नोएडा

एरिया- 10 हेक्टेयर

लागत- 96 करोड़ रुपये

बुद्ध पार्क, बादलपुर, ग्रेटर नोएडा

एरिया-4 हेक्टेयर

लागत- 46 करोड़ रुपये

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