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Medical Negligence: डॉक्टर की लापरवाही ने ली पिता की जान, न्याय के लिए भटक रहा बेटा, आदेश के बावजूद नहीं हुआ एक्शन
Medical negligence: राजधानी लखनऊ एक व्यक्ति का आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही ने उसके पिता की जान ले ली। व्यक्ति सालों से अपने पिता की मौत के बाद न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है।
Medical Negligence: डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन जब धरती के भगवान की लापरवाही से किसी की जान चली जाए तो सवाल उनके पेशे पर उठने लगता है. राजधानी लखनऊ में एक ऐसा ही मामला आया है जहां एक शख्स सालों से अपने पिता की मौत के बाद न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है. कोर्ट से लेकर मेडिकल काउंसिल तक डॉक्टरों की लापरवाही मान चुका है और जुर्माना भी लगाया है, यहां तक कि सीएमओ को अस्पताल और डॉक्टर के खिलाफ एक्शन लेने के निर्देश दिए थे लेकिन नियमों का हवाला देकर सीएमओ कार्रवाई करने से गुरेज कर रहे हैं.
पिता की मौत के बाद न्याय कानूनी लड़ाई लड़ रहे अजय चतुर्वेदी ने बताया कि वर्ष 2014 में किडनी के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हुए थे. उनके पिता श्याम सुंदर चतुर्वेदी की अस्पताल प्रशासन एवं डॉक्टरों की लापरवाही के कारण मृत्यु हो गयी. उनका आरोप है कि पिता के इलाज में आलमबाग के निजी अस्पताल ने मनमानी की अजय चतुर्वेदी ने बताया कि 9 नवंबर 2014 को प्राइवेट अस्पताल में डॉक्टर्स ने बिना परिजनों से पूछे गलत इलाज किया. जिससे उनके पिता की मौत हो गयी। इसकी जानकारी जब अजय और उनके परिजनों को हुई तो उन लोगों उनसे जवाब मांगा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. उसके बाद उन्होंने दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने की ठानी. अजय ने मुख्यमंत्री पोर्टल के साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय और न्यायालय में याचिका दायर की. जिसके बाद कंज्यूमर कोर्ट के द्वारा निजी अस्पताल को मृतक के परिजन को 5 लाख रुपये का कंपनसेशन सीएमओ के माध्यम से दंड के तौर पर देने का आदेश दिया. लेकिन सीएमओ ने लिखित रूप से जानकारी दी कि किसी निजी अस्पताल को दंडित करने का कार्यक्षेत्र उनका नहीं है. इन सभी उहापोह में अजय को पिता की मृत्यु की न्याय के लिए दर बदर भटकना पड़ रहा है। यहां तक मेडिकल काउंसिल ने भी डॉक्टरों की लापरवाही इसमें माना है।
पीड़ित का कहना है कि उनके पिता तो अब नहीं रहे लेकिन किसी और के परिवार के सदस्य की जान डॉक्टरों की लापरवाही से न जाये इसके लिए वह यह लड़ाई लड़ रहे हैं. क्यूंकि अक्सर ऐसे तमाम मामले सुनने को मिलते हैं. जहां डॉक्टरों की लापरवाही से मरीजों की जान जाती है और उनके तीमारदार परेशान होते हैं. अजय चतुर्वेदी का कहना है कि वह सरकार से मांग करते हैं कि ऐसे अस्पताल और डॉक्टरों के खिलाफ ठोस कार्रवाई हो. उन्होंने कहा कि हर लड़ाई हुआ पैसों के लिए नहीं लड़ रहे थे बल्कि दोषी डॉक्टरों को सबक सिखाना चाह रहे हैं।