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Meerut News: उप-चुनाव नतीजे खतरे की घंटी, क्या असर पड़ेगा भाजपा के मिशन 2024 पर
Meerut News: क्षेत्र के जाट वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा ने भूपेंद्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी, लेकिन इस चुनाव में उन्हें अपने ही इलाके में हार का सामना करना पड़ा।
Meerut News: विधानसभा और लोकसभा उप-चुनावों के नतीजों से एक तरफ जहां सपा-रालोद गठबन्धन में उत्साह देखा जा रहा है, वहीं भाजपा में रामपुर सीट जीतने के बाद भी मायूसी दिख रही है। दरअसल, ताजा उप-चुनाव में सपा-रालोद गठबन्धन ने बिगड़े राजनीतिक समीकरण को एक बार फिर से जिस तरह अपने पक्ष जोड़ने की कोशिश की, उसमें गठबन्धन कामयाब रहा है। वेस्ट यूपी से जुड़े जाट नेता एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के नेतृत्व में तो यह पहला चुनाव था, ऐसे में ताजा उप-चुनाव में उनकी साख का भी इम्तहान होना था। दरअसल, इस क्षेत्र के जाट वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा ने भूपेंद्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी, लेकिन इस चुनाव में उन्हें अपने ही इलाके में हार का सामना करना पड़ा।
जाटलैंड की खतौली सीट पर हुई भाजपा की हार ने भूपेंद्र चौधरी की ही नहीं बल्कि भाजपा के दूसरे जाट क्षत्रपों के सियासी कद की भी चुगली कर दी है। केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने तो चुनाव को अपना कहकर लड़ा और वह गांव दर गांव गए। बावजूद इसके खतौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। वैसे, चुनाव प्रचार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, कौशल विकास राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल समेतपार्टी के कई बड़े नेताओं ने भी भाग लिया था। वहीं गठबंधन की बात करें तो भाजपा के निवर्तमान विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता जाने से लेकर और चुनाव प्रचार तक के केंद्र में रालोद अध्यक्ष जयंत सिंह रहे। उन्होंने विधानसभा के गांव-गांव जाकर प्रचार किया।
भाजपा ने अपनी सीट को फिर से हासिल करने के लिए अपने दो बार के विधायक की पत्नी को मैदान में उतारा था। सैनी समाज के नेता और कई चुनाव लड़ चुके पूर्व एमएलसी हरपाल सैनी को भाजपा में शामिल किया गया। रालोद के टिकट के सबसे प्रमुख दावेदार अभिषेक गुर्जर को साथ लिया। कई और नेताओं को भाजपा में शामिल कर जातीय समीकरण साधा था।
गौरतलब है कि खतौली सीट भाजपा के विधायक विक्रम सैनी को हिंसा भड़काने के एक मामले में अदालत से दोषी ठहराए जाने खाली हुई थी। सैनी को दो साल की सजा सुनाई गई है। इस सीट पर भाजपा ने निवर्तमान विधायक विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी को ही मैदान में उतार था। जबकि लोनी के पूर्व विधायक मदन भैया को रालोद ने कैंडिडेट बनाया था। उप चुनाव से बसपा दूर रही जबकि आसपा अध्यक्ष चंद्रशेखर गठबंधन के पाले में दिखे।
जाट और मुसलमान वोट
बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल जाट और मुसलमान वोट को एक साथ लाकर चुनावी मैदान में जीत दर्ज करती थी। लेकिन, 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद से स्थिति बदली। जाट और मुस्लिम वोट बैंक के बीच का बिखराव इस क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के पांव जमाने का सबसे बड़ा कारण बना। किसान आंदोलन के बाद भी पश्चिमी यूपी में यूपी चुनाव 2022 के दौरान भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की। हालांकि, खतौली विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव के दौरान जयंत चौधरी ने भाजपा को अपने घर में पटखनी दे दी है।
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव की 2.80 लाख से अधिक वोटों से हुई ऐतिहासिक जीत को बेशक भाजपाई नेताजी के निधन की सिंपैथी बता रहे हों। लेकिन,यहां जिस तरह रघुराज शाक्य अपने बूथ धौलपुर खेड़ा से भी हार गए उसको लेकर खुद रघुराज शाक्य के राजनीतिक सफर पर सवाल उठने लगे हैं। भतीजे अखिलेश के लिए आज खुशी के साथ ही संतोष की बात यह भी रही चाचा शिवपाल यादव ने आज अपनी पार्टी का सपा में विलय कर सपा का झंडा थाम लिया।
बहरहाल,रामपुर में जरुर भाजपा आजम खान के अभेद्य सियासी किले को तोड़ने में सफल रही है। आजम इस सीट से 10 बार विधायक रह चुके हैं। यहां गौरतलब है कि आजम के इस्तीफे से खाली हुई रामपुर लोकसभा सीट भी भाजपा ने अपनी रणनीति से जीत ली थी। रामपुर सीट आजम को हेट स्पीच केस में अदालत से सजा होने पर खाली हुई थी। खास बात यह है कि उपचुनाव में आजम न उम्मीदवार थे और न ही वोटर। सपा ने आसिम रजा को कैंडिडेट बनाया लेकिन, बावजूद इसके इस सीट को आजम की प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखा जा रहा था। हालांकि रामपुर में सपाइयों के वोटिंग प्रभावित करने के आरोप-प्रत्यारोप से पहले से यहां भाजपा की जीत की संभावना जताई जा रही थी। बहरहाल,राजनीति हलकों में ताजा उप चुनाव नतीजों को भाजपा के लिए 2024 के मद्देनजर खतरे की घंटी माना जा रहा है।