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मेरठ विकास प्राधिकरण की जल्दबाजी आंवटियों के लिये बनी जी का जंजाल

raghvendra
Published on: 30 Nov 2018 8:00 AM GMT
मेरठ विकास प्राधिकरण की जल्दबाजी आंवटियों के लिये बनी जी का जंजाल
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सुशील कुमार

मेरठ: मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) की बहुचर्चित एयरपोर्ट एंक्लेव योजना के आंवटियों की नींदें इन दिनों उड़ी हुई है। दरअसल, यूपीए सरकार के दौरान नागरिक उड्डयन मंत्री चौधरी अजित सिंह ने वर्ष 2013 में परतापुर क्षेत्र में डॉ.भीमराव अंबेडकर हवाई पट्टी का विस्तार करते हुए हवाई अड्डा बनाने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद जैसे ही हवाई अड्डे की कवायद शुरू हुई वैसे ही एमडीए ने एयरपोर्ट एंक्लेव नाम के चार मंजिला आवासीय योजना की केवल घोषणा ही नहीं की बल्कि तत्काल उसका निर्माण भी शुरू करा दिया।

अफसरों ने दिखाई जल्दबाजी: एमडीए अफसरों की इसके पीछे सोच यह थी कि हवाई अड्डा पास में होने के कारण उसकी इस योजना पर लोग टूट पड़ेंगे। फटाफट कमाई की चाह में एमडीए अफसरों को योजना के लिए एनओसी लेना भी ध्यान नही रहा। जबकि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया(एएआई) द्वारा सार्वजनिक घोषणा के तहत नोटिस जारी किया गया था कि हवाई अड्डे के आसपास कोई भी निर्माण उसकी बिना अनुमति के नहीं होगा।

आवंटी पहुंचे कोर्ट: एमडीए द्वारा इस कालोनी के लिए एनओसी नहीं लिये जाने का खुलासा तब हुआ जब इस मामले में लोकेश खुराना नाम के एक आंवटी ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से आरटीआई के जरिये एनओसी को लेकर जानकारी मांगी। एमडीए द्वारा एनओसी नहीं लिये जाने का खुलासा होते ही इस योजना के आंवटियों के होश उड़ गए। आवंटियों ने तत्काल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आंवटियों का कहना था कि बिना एनओसी लिए एमडीए द्वारा कब्जा देने की कवायद कैसे शुरू की गई। मामला कोर्ट में जाने पर एमडीए अफसरों ने जल्दी ही एनओसी लेने के संबंध में कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया। हालत यह है कि अभी तक इस कॉलोनी के लिए एनओसी प्राप्त नहीं की जा सकी है। जबकि एमडीए द्वारा एयरपोर्ट एंक्लेव के आंवटियों को कब्जा देने की कवायद लगातार जारी है।

ऊपरी मंजिल वाले ज्यादा परेशान: इस कॉलोनी के उन आंवटियों की चिंता अधिक है जिनको एमडीए द्वारा ऊपर की मंजिल में फ्लैट आंवटित किये गये हैं। दरअसल, एनओसी में बताया गया है कि कॉलोनी रनवे से मात्र 174.29 मीटर की ही दूरी पर है,जो मानक के विपरीत है। यानी साफ है कि अगर डॉ.भीमराव आंबेडकर हवाई पट्टी का विस्तार होकर हवाई अड्डा बनता है तो फिर इस कॉलोनी की ऊपरी एक मंजिल गिरानी होगी। संभव है कि दूसरी मंजिल भी गिराई जाए। ऐसे में कॉलोनी के आंवटी भविष्य को लेकर परेशान हैं।

आवाज भी करेगी परेशान: कॉलोनी के एक आंवटी अशोक कुमार कहते हैं, जो लोग इस कॉलोनी में रहेंगे,उनको हवाई जहाज के उतरने और उड़ान भरने की आवाज भी परेशान करेगी। यहां एमडीए द्वारा कुल 598 आवासों का निर्माण कराया गया है। लोकेश खुराना कहते हैं कि एमडीए ने इस योजना में आवंटियों से धोखा किया है। बकौल खुराना,अगर हमें यहां इंसाफ नही मिला तो हम हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। गौरतलब है कि डॉ.भीमराव अंबेडकर हवाई अड्डे के लिए प्रदेश सरकार द्वारा जमीन मुफ्त उपलब्ध कराई जानी है।

एमडीए अफसर इस मामले में कुछ भी जवाब देने से बचते दिख रहे हैं। एमडीए सचिव राजकुमार ने इस मामले में रक्षात्मक जवाब देते हुए मात्र इतना ही कहा कि इस मामले में सभी बिंदुओं का अध्ययन कराया जा रहा है। यदि कहीं खामी पाई गई तो उसका निराकरण कराया जाएगा।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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