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एक डॉक्टर जो मरीजों को देता है पौधरोपण का नुस्खा और मुफ्त पौधे भी

seema
Published on: 3 Nov 2017 7:40 AM GMT
एक डॉक्टर जो मरीजों को देता है पौधरोपण का नुस्खा और मुफ्त पौधे भी
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सुशील कुमार

मेरठ: पड़ोस के बागपत जिले के बड़ौत में अस्पताल चलाने वाले डॉ. दिनेश बंसल इलाके में 'पौधों वाले डॉक्टरÓ के नाम से चर्चित हैं। दरअसल, डॉ. बंसल एक पंथ, दो काज में जुटे हैं। यानी मरीजों के इलाज के साथ पर्यावरण की बिगड़ती सेहत की भी फिक्र। यही वजह है कि वह अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को दवा के साथ-साथ पौधारोपण का भी नुस्खा देते हैं। उनकी मुहिम कितना रंग ला रही है इसका पता इसी बात से चलता है कि अब जिला और प्रदेश की सीमाओं को लांघती हुई उनकी मुहिम उत्तराखंड, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर तक पहुंचने लगी है। डॉ. बंसल बताते हैं कि उन्होंने करीब दो साल पहले यह अभियान शुरू किया था। कुछ समय बाद उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एक ट्रस्ट बनाया, जिसके सदस्य अब हरियाणा, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर आदि दूसरे राज्यों में भी जाकर पौधरोपण करते हैं।

ट्रस्ट के सदस्यता अभियान में उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जाने- माने चिकित्सक भी जोड़े हैं। उनके संगठन की शर्त यही है कि अपनी सेहत के साथ प्रकृति की सेहत भी सुधारनी होगी। आखिर अपने चिकित्सा जैसे अति व्यस्त पेशे में भी वह अपने अभियान के लिए किस तरह समय निकाल लेते हैं, इस सवाल पर बंसल कहते हैं कि मसकद सच्चा हो और इरादे पक्के हों तो कुछ भी मुश्किल नहीं है।

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क्या इस मिशन का उनके पेशे पर तो कोई असर नहीं पड़ता, डॉक्टर बंसल कहते हैं कि पर्यावरण को सुधार कर मैं अपने डॉक्टरी पेशे के साथ न्याय कर रहा हूं। क्योंकि पर्यावरण की सेहत ठीक होगी तो लोगों का स्वाथ्य भी सुधरेगा। उनके अनुसार अस्पताल में आने वाले मरीजों से उनकी एक शर्त होती है कि मरीज के तीमारदार अपने आंगन या कहीं और एक पौधा अवश्य लगाएं, जिसे वह स्वयं उपलब्ध कराते हैं। वे रोजाना 60 से 100 फलदार-छायादार पौधे मरीजों को मुफ्त देते हैं।

डॉक्टर बंसल पौधा ग्रहण करने वालों को यह संकल्प भी दिलाते हैं कि वह उसकी रक्षा करेंगे। अभी तक वह 56 हजार से अधिक पौधे वितरित कर चुके हैं, जिनमें से करीब 90 फीसदी पौधे वर्तमान में हरे-भरे हैं। डॉ. बंसल के अनुसार यदि किसी को पौधे चाहिएं तो वह उन्हें केवल एक कॉल करता है,इसके बाद वह शिक्षण संस्थाओं, धर्मशालाओं, सार्वजनिक स्थलों व अन्य स्थानों पर स्वयं पौधे रोपने जाते हैं। उन्होंने हिंडन नदी के तट पर भी 50 हजार पौधे रोपने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिनमें से करीब 10 हजार पौधे रोपे जा चुके हैं।

बंसल के अनुसार पौधों की सुरक्षा के लिए एक हेल्पलाइन भी बनाई है। यदि किसी मरीज का पौधा मुरझा गया है, तो वहां वह टीम के सदस्यों को भेजते हैं और नया पौधा रोपते हैं। समय-समय पर मोबाइल पर मैसेज भेज पौधों का हाल भी लिया जाता है। आखिर कब और कैसे उनको पर्यावरण की चिंता हुई, इस सवाल पर दिनेश बंसल कहते हैं कि समाचार पत्रों और टीवी के माध्यम और कुछ खुद अपने आस-पास की पर्यावरण की गंभीर होती स्थिति को लेकर को मन में ख्याल आया कि सब-कुछ सरकार के भरोसे तो नहीं छोड़ा जा सकता। इसलिये क्यों न अपने स्तर से पर्यावरण सुधार की मुहिम शुरु की जाए। इसी विचार के बाद यह मुहिम छेड़ दी। शुरू में कुछ लोगों ने मजाक भी उड़ाय़ा। लेकिन यह मेरी मुहिम की सफलता है कि आज वही लोग इस मुहिम से जुड़ कर प्रकृति की सेहत सुधारने में जुटे हैं।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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