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Meerut News: आलू की बंपर पैदावार किसानों के लिए बनी सिर दर्द, जानिए क्या है वजह
Meerut News: जनपद में आलू की बंपर पैदावार किसानों के लिए सिर का दर्द बन गई है। डिमांड कम और सप्लाई ज्यादा होने के चलते मंडियों में आलू औने-पौने दाम बिक रहा है।
Meerut News: जनपद में आलू की बंपर पैदावार किसानों के लिए सिर का दर्द बन गई है। डिमांड कम और सप्लाई ज्यादा होने के चलते मंडियों में आलू औने-पौने दाम बिक रहा है। किसानों का कहना है कि आलू के प्रति 50 किलो बैग पर उनकी लागत 300 रुपये आ रही है। लेकिन,बाजार या मंडी में बेचने पर आलू के प्रति 50 किलो बैग की कीमत मात्र 250 रुपये मिल रही है। ऐसे में किसानों में मायूसी है। हालात यह हैं कि नए आलू की फसल आने के बावजूद भी उसके दाम नहीं चढ़े।
आपको बता दें कि मेरठ में करीब 1200 किसान आलू की खेती करते हैं। शाकभाजी विभाग का कार्यभार देख रहे उद्यान विभाग के अनुसार, इस वर्ष मेरठ जिले में आलू का क्षेत्रफल करीब 7200 हेक्टेयर है। पिछले वर्ष यह करीब 6600 हेक्टेयर था। पोटेटो यूनियन के नेता सोहनपाल सिंह कहते हैं कि इस बार आलू का क्षेत्रफल बढ़ गया है। जिससे उत्पादकता भी बढ़ी है। मायूसी के लहजे में सोहनपाल सिंह कहते हैं, मेरठ में अभी तक पांच से दस प्रतिशत आलू ही खोदा गया है। अभी यह हाल है तो जब शत-प्रतिशत आलू खुदाई हो जाएगी। तब क्या होगा। उन्होंने बताया कि फिलहाल हर किसान के लिए आलू की खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है।
सेहनपाल सिंह के अनुसार किसानों के बाजार में हाईब्रिड आलू के 250 रुपये प्रति बैग और चिपसोना के 375 से 400 रुपये प्रति बैग कीमत मिल रही है। हालात ऐसे रहे तो दोआबा के किसान अगले साल से आलू की खेती करनी ही बंद कर देंगे। जिला शाकभाजी विभाग अधिकारी नंद किशोर साहनियां का कहना है कि जिले में आलू भंडारण में कोई समस्या नहीं है। साहनियां के अनुसार मेरठ जिले में आलू के 27 कोल्ड स्टोर हैं। जिसमें एक सरकारी और 26 निजी हैं। निजी कोल्ड स्टोर की क्षमता 1.33 लाख मीट्रिक टन और सरकारी कोल्ड स्टोर की क्षमता 20 हजार मीट्रिक टन आलू भंडारण की है।