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Meerut News: सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने बिजली के तारों को भूमिगत किए जाने और दो बफर रेंज बनाये जाने की मांग की
Meerut News: इसके साथ ही सांसद ने लोकसभा में नियम 377 के अंतर्गत मेरठ में वर्तमान में काम कर रहीं बट्स के स्थान पर दो और बफर रेंज बनाये जाने की मांग भी की।
Meerut News: मेरठ-हापुड़ लोकसभा के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने आज लोकसभा में शून्यकाल के दौरान बिजली के तारों को भूमिगत किए जाने की मांग की। इसके साथ ही सांसद ने लोकसभा में नियम 377 के अंतर्गत मेरठ में वर्तमान में काम कर रहीं बट्स के स्थान पर दो और बफर रेंज बनाये जाने की मांग भी की। सांसद प्रतिनिधि हर्ष गोयल के अनुसार लोकसभा में शून्यकाल के दौरान इस मामले पर बोलते हुए सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि देश के लगभग सभी महानगरों तथा बड़े नगरों में ऐसे पुराने बाजार तथा मोहल्ले हैं जिन तक पहुंचने के लिए अत्यंत संकरी गलियों से होकर जाना पड़ता है। इन बाजारों/मोहल्लों में विद्युत सप्लाई के लिए तारों का घना संजाल बना रहता है। इन स्थानों विशेषकर बाजारों में कोई आग लगने की दुर्घटना यदि दुर्भाग्यवश हो जाए तो संकरी गलियों के कारण अग्निशमन दल वहां पहुंच नहीं सकता तथा इस कारण करोड़ों की संपत्ति नष्ट हो सकती है तथा जनहानि भी हो सकती है।
इस प्रकार के दुखद अग्निकांड के समय प्रभावित व्यक्तियों की असहाय स्थिति का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मेरे संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत मेरठ तथा हापुड़ में ही ऐसे अनेक स्थान हैं जो बेहद खतरनाक स्थिति में हैं।
सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने सभापति के माध्यम से सरकार से अनुरोध किया कि देश के महानगरों/नगरों में स्थित इस प्रकार के आशंकित अग्निकांड की दृष्टि से अत्यंत असुरक्षित स्थानों को चिन्हित किया जाए तथा इन स्थानों पर बिजली की तारों के भूमिगत किए जाने की योजना प्राथमिकता के आधार पर बनवाकर उसे क्रियान्वित किया जाए। इसके अलावा सांसद ने आज लोकसभा में नियम 377 के अंतर्गत मेरठ में वर्तमान में काम कर रहीं बट्स के स्थान पर दो और बफर रेंज बनाये जाने की मांग की।
सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि आज़ादी के समय से मेरठ छावनी स्थित फायरिंग रेंज में A से लेकर आई तक कुल नौ बट्स थे जिनमें बाद में छः बट्स बंद हो गए -A, B, C, D, H तथा I, अब सिर्फ 3 बट्स ही काम कर रहे हैं।
इन बट्स में खुले आकाश के नीचे मिट्टी के टीले बनाकर फायरिंग की जाती है जिनसे चलने वाली गोलियाँ लगभग तीन साढ़े तीन किलोमीटर तक निकल जाती हैं। इसकी वजह से सोफीपुर, मामेपुर, ललसाना, उल्देपुर तथा पल्हेड़ा के ग्रामीणों और पशुओं की सुरक्षा खतरे में रहती है।
बफर रेंज के तहत बनाई जाने वाली विशेष तरह की फायरिंग रेंज चहारदीवारी के अन्दर होती है तथा इसमें ऊपर से नीचे की ओर फायरिंग की जाती है। इस रेंज में चलने वाली गोलियों के छिटकने या आम जनता के घायल होने की आशंका नहीं होती है। मेरठ छावनी में ऐसी रेंज के लिए पर्याप्त 3.5 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र भी उपलब्ध है। सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने लगभग 3 वर्ष पूर्व उपरोक्त प्रकार की एक बफर रेंज बनाये जाने के लिए केंद्र सरकार का आभार भी व्यक्त किया।
सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने सभापति के माध्यम से सरकार से अनुरोध किया कि मेरठ में वर्तमान में काम कर रहीं बट्स के स्थान पर दो और बफर रेंज बना दी जाएँ तो मेरठ की फायरिंग रेंज डेंजर जोन में चिन्हित होने के दायरे से बाहर हो जायेगी तथा सोफीपुर, मामेपुर, ललसाना, उल्देपुर व पल्हेड़ा के ग्रामीणों व पशुओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही कम मारक क्षमता वाले छोटे हथियारों द्वारा फायरिंग अभ्यास करने के कारण उपरोक्त गाँवों के किसानों की खेती की लगभग 600 एकड़ जमीन बन्धमुक्त हो जाएगी तथा वह अपनी जमीन का इस्तेमाल अपनी मर्ज़ी से कर सकेंगे।