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Meerut News: मेरठ में सभी दलों में महापौर टिकट को लेकर मची है मारा-मारी
Meerut News: दावेदारों की संख्या अधिक होने के कारण सभी दलों के लिए महापौर टिकट फाइनल करना बड़ी चुनौती है क्योंकि नगर निगम की राजनीति में भाजपा और बसपा काबिज रही है।
Meerut News: नगर निकाय चुनाव को लेकर नगर से कस्बों तक में सियासत का तापमान बढ़ गया है। महापौर के दावेदारों की कुंडली खंगाली जा रही है। दावेदारों की संख्या अधिक होने के कारण सभी दलों के लिए महापौर टिकट फाइनल करना बड़ी चुनौती है क्योंकि नगर निगम की राजनीति में भाजपा और बसपा काबिज रही है। इसलिए भाजपा और बसपा के लिए महापौर टिकट के दावेदारों की संख्या दूसरे दलों के मुकाबले अधिक बताई जा रही है। टिकट को लेकर भाजपा अंतिम क्षणों में पत्ते खोलेगी।
दावेदारों की बात करें तो जिला सहकारी बैंक के प्रशासक मनिन्दरपाल सिंह, डीएन डिग्री कालेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अंकित चौधरी, डा. तनुराज सिरोही, दो बार जिला पंचायत सदस्य रही मीनाक्षी भराला, डा. जेवी चिकारा, पूर्व जिलाध्यक्ष अनुज राठी, गो सेवा आयोग के पूर्व सदस्य संदीप पहल, रवीन्द्र चौधरी आदि ऐसे जाट नेता हैं, जो कि महापौर टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।
वहीं गुर्जरों में पूर्व विधायक रवीन्द्र भड़ाना, पूर्व महापौर मधु गुर्जर के पति सुशील गुर्जर, विनय प्रधान, भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष प्रवेश गुमी दावेदारी जता रहे हैं। इसके अलावा पंजाबी वर्ग से पूर्व महापौर हरिकांत अहलूवालिया, कैंट बोर्ड की पूर्व उपाध्यक्ष बीना बाधवा भी प्रमुख रुप से दावेदारों में शामिल हैं।
बसपा की बात करें तो बसपा मुस्लिम ओबीसी को चुनाव में उतारेगी। इसमें सबसे आगे पूर्व बसपा सांसद हाजी शाहिद अखलाक के भाई राशिद अखलाक का नाम बताया जा रहा है। राशिद अखलाक 2012 में बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं।
हालांकि जीत नहीं सके। राशिद ने कोर्डिनेटर के जरिए मायावती तक अपना आवेदन भिजवाकर टिकट की दावेदारी की है। राशिद का कहना है वो विकास के मुद्दे पर मेयर चुनाव में उतरेंगे। शहर में जनता की जरूरत पर काम करेंगे।
विकास कार्य कराएंगे। स्मार्ट सिटी लाने पर काम करेंगे। इसके अलावा मनोज गुर्जर भी दावेदारों में शामिल हैं। सपा के लिए निगम चुनाव कठिन परीक्षा माना जा रहा है। अभी तक सपा अपने बूते पर महापौर का चुनाव नहीं जीत सकी है।
सुनीता वर्मा भी जब चुनाव जीती थीं तो वह बसपा में थीं। सपा में अतुल प्रधान अपनी पत्नी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सीमा प्रधान को और रफीक अंसारी खुद या फिर अपनी पत्नी खुर्शीदा को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। दोनों ने आवेदन किए हुए हैं।
इसके अलावा सपा नेता जितेंद्र गुर्जर भी टिकट के लिए ताल ठोक रहे हैं। वहीं अगर सीट रालोद कोटे में जाती है तो कैंट से चुनाव लड़ चुकी मनीषा अहलावत गठबन्धन की तरफ से महापौर चुनाव लड़ सकती हैं।
इतिहास पर नजर डालें तो मेरठ नगर महापालिका बनने के बाद 1989 में अरुण जैन पार्षदों के मतों से नगर प्रमुख चुने गए थे। इसके बाद 1995 में पहला चुनाव हुआ जिसमें सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर ओबीसी कोटे के बसपा प्रत्याशी अयूब अंसारी नगर प्रमुख चुने गए।
वर्ष 2000 में सामान्य वर्ग की सीट पर बसपा के ओबीसी कोटे के हाजी शाहिद अखलाक महापौर चुने गए। वर्ष 2006 में पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित सीट पर भाजपा की मधु गुर्जर महापौर चुनी गईं।
वर्ष 2012 में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर भाजपा के ओबीसी कोटे के हरिकांत अहलुवालिया महापौर चुने गए। साल 2017 में शासन ने महापौर सीट एससी महिला के लिए आरक्षित कर दी, जिस पर बसपा के चुनाव चिह्न पर सुनीता वर्मा महापौर चुनी गई। जो कि फिलहाल सपा में हैं।