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Meerut: हाईकोर्ट के फैसले के बाद बढ़ा सियासी तापमान, BJP को OBC विरोधी साबित करने की कोशिश में जुटे विपक्षी दल

Meerut Nagar Nikay Chunav: हाईकोर्ट के फैसले के बाद विपक्षी दल बीजेपी को ओबीसी विरोधी साबित करने की कोशिश में जुट गए हैं।

Sushil Kumar
Published on: 27 Dec 2022 5:11 PM IST
BJP And SP
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कांसेप्ट इमेज (फोटो- सोशल मीडिया)

Meerut Nagar Nikay Chunav: कंपकंपाती ठंड के बीच हाईकोर्ट द्वारा राज्य में बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव कराने का आदेश देकर प्रदेश का सियासी तापमान बढ़ा दिया है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद विपक्षी दल बीजेपी को ओबीसी विरोधी साबित करने की कोशिश में जुट गए हैं। हालांकि कहा यह जा रहा है कि भाजपा हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है।

हाईकोर्ट के इस फैसले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ताजा बयान से भी हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट जाने की बात को बल मिला है। अपने इस बयान में योगी ने कहा कि प्रदेश सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध करायेगी, फिर चुनाव कराएगी। लेकिन, जब तक यह नहीं हो जाता तब तक तो भाजपा विपक्षी दलों के निशाने पर रहेगी।

नगर निकायों का आरक्षण अब पूरी तरह जाएगा बदल

हाईकोर्ट के फैसले से यह तो स्पष्ट हो गया है कि पूर्व में सरकार द्वारा जारी किया गया नगर निकायों का आरक्षण अब पूरी तरह बदल जाएगा। अगर हम मेरठ नगर निगम की ही बात करें तो मेरठ नगर निगम महापौर की सीट ओबीसी के लिए आरक्षित बताई जा रही थी। लेकिन यदि अब ओबीसी आरक्षण के बगैर चुनाव होता है तो यह सीट जनरल में जा सकती है। इसी प्रकार नगर निगम के 90 वार्डो का किया गया। आरक्षण भी नई व्यवस्था के साथ बदला नजर आएगा। जाहिर है कि नगर निगम की महापौर सीट से लेकर वर्णों में पार्षद पद पर चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोकने वाले ओबीसी वर्ग के प्रत्याशियों को अब मायूसी हाथ लगेगी कई प्रत्याशियों को जहां घर बैठना पड़ेगा। वहीं उनकी सभी तैयारियों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। हाई कोर्ट के निर्णय ने नगर निगम ही नहीं, बल्कि नगर पालिका और नगर पंचायतों का चुनावी गणित ही बिगाड़ दिया है।

सरकार पिछड़ों को सत्ता में अधिकार देना नहीं चाहती: सपा नेता

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री राजपाल सिंह ने नगर निगम, निकाय चुनाव पर अदालत के आज के फैसले को सरकार द्वारा हाई कोर्ट में जानबूझकर लचर पैरवी का नतीजा बताते हुए कहा कि सरकार पिछड़ों को सत्ता में अधिकार देना नहीं चाहती और पिछड़ों के आरक्षण को खत्म करना चाहती है।

सरकार पिछड़ों के आरक्षण को खत्म करना चाहती: अतुल प्रधान

सरधना से सपा के विधायक अतुल प्रधान ने भाजपा की प्रदेश सरकार को पिछड़ों और अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ बताते हुए कहा कि सही बात तो यह है कि सरकार पिछड़ों के आरक्षण को खत्म करना चाहती है। सरकार उन्हें सत्ता में अधिकार नहीं देना चाहती है। ओबीसी का आरक्षण होना चाहिए था, लेकिन सरकार द्वारा हाई कोर्ट में जानबूझकर लचर पैरवी की गई।

नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना में जानबूझकर अनियमितताएं की गई: संगीता दोहरे

राष्ट्रीय लोकदल (सामाजिक न्याय मंच) उत्तर प्रदेश की अध्यक्ष संगीता दोहरे का कहना है कि नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना में जानबूझकर अनियमितताएं की गई है। और उसका निष्कर्ष यह निकला कि पिछड़ी जातियों को आरक्षण से हाथ धोना पड़ा। चुनाव टालने को और चुनाव से भागने के लिए सरकार को जो हथकंडे अपनाने थे वह अपना चुकी है। रालोद नेत्री ने कहा कि पिछड़े वर्ग के लोगों को भाजपा की आरक्षण विरोधी नीति को अब समझ जाना चाहिए।

बता दें कि भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में ओबीसी समर्थन के दम पर ही सत्ता में आई थी। 2014 में तो बीजेपी को राज्य की 80 में से 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, 2017 के राज्य चुनावों में पार्टी ने 300 से ज्यादा सीटों पर कब्जा किया था। राज्य की गैर यादव ओबीसी बिरादरी ने खुलकर भाजपा को समर्थन दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के बाद विपक्षी दल बीजेपी को ओबीसी विरोधी साबित करने की कोशिश में जुट गए हैं। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ थ्री टियर परीक्षण के बाद आरक्षण के साथ ही चुनाव कराने की तैयारी कर रहे हैं।

Deepak Kumar

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