Meerut News: विकास कार्य के लिए काटे जाएंगे 33,776 पेड़, विधायक ने दी चिपको आंदोलन करने की चेतावनी

Meerut News: चौधरी चरण सिंह कावंड़ मार्ग के गंग नहर पर सड़क बनाने के लिए पेड़ों को काटा जाना है। जाने की जरूरत है। इसका विरोध करते हुए विधायक सहित अन्य लोगों ने आंदोलन करने की चेतावनी दी है।

Sushil Kumar
Published on: 30 Jun 2024 9:18 AM GMT (Updated on: 2 July 2024 6:05 AM GMT)
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पेड़ काटे जाने का विरोध करते लोग। (Pic: Newstrack)

Meerut News: चौधरी चरण सिंह कावंड़ मार्ग पर गंग नहर पर सड़क बनाने को लेकर पेड़ों की कटाई कराये जाने का विरोध शुरु हो गया है। जागरुक नागरिक एसोसिएशन ने तो पेड़ कटान के विरोध में चिपको आंदोलन चलाने की चेतावनी दी है। यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि पेड़ मेरठ में कटेंगे और इसके बदले में पौधे लगेंगे शिवालिक की पहाडियों और मिर्जापुर में। दरअसल, गंगनहर पटरी के नवनिर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस क्रम में गंगनहर पटरी पर 223 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर पेड़ काटे जाएंगे। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के नियमों के तहत दोगुनी जगह पर लोक निर्माण विभाग को यह पेड़ लगाने होंगे। इसके लिए शासन स्तर पर सहारनपुर में शिवालिक की पहाडिय़ों व मीरजापुर जिले के जंगल चिह्नति किए गए हैं।

सरधना विधायक ने दी आंदोलन की चेतावनी

मेरठ के सरधना विधानसभा क्षेत्र के सपा विधायक अतुल प्रधान ने तो इस मामले में संबंधित विभागीय अफसरों से मिलकर विरोध जताया है। अतुल प्रधान का कहना है कि गंगनहर की दूसरी पटरी पर सड़क निर्माण में एक लाख से ज्यादा पेड़ कटेंगे। वह भी ऐसी स्थिति में जब एनसीआर और मेरठ गर्मी में तप रहा है। उन्होंने वन विभाग और लोक निर्माण विभाग के अफसरों से यह सवाल भी किया कि मेरठ में पेड़ कटेंगे और इनके स्थान पर मिर्जापुर व दूसरे जिलों में पेड़ लगेंगे तो उसका फायदा मेरठ को कैसे मिलेगा। सपा विधायक ने कहा कि कटान की बजाए पेड़ो को वैज्ञानिक विधि से उखाड़ने के साथ ही उनका दूसरे स्थान पर ट्रांसप्लांट कराया जाए। सपा विधायक ने एनजीटी में सुनवाई तक पेड़ों का कटान रोकने की मांग की है।

इसलिए दूसरे जिलों में लगाए जा रहे पेड़

सपा विधायक ने यह भी कहा है कि वे अपने साथियों के साथ पेड़ों के काटे जाने का विरोध करेंगे और पेड़ों से चिपक कर उन्हें कटान से बचाने के लिए आंदोलन करेंगे। बता दें कि उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग ने अपनी एक रिपोर्ट में जानकारी दी है कि ऊपरी गंग नहर के किनारे सड़क निर्माण के लिए 33,776 पेड़ों को हटाए जाने की जरूरत है। इस रिपोर्ट के मुताबिक हटाए जाने वाले पेड़ों की वास्तविक संख्या 33,776 से कम होगी क्योंकि पेड़ों को केवल 15 मीटर की चौड़ाई के भीतर ही काटा जाएगा। जहां तटबंध की ऊंचाई कम है। इस 222.98 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि के उपयोग की भरपाई के लिए 445.96 हेक्टेयर गैर-वन भूमि की आवश्यकता थी, लेकिन गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर के प्रभावित जिलों में यह उपलब्ध नहीं थी। इसलिए, तीन अन्य जिलों में इसके बदले वनरोपण किया जा रहा है।

Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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