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Meerut News: वनस्पति विज्ञान का 47 वां अखिल भारतीय सम्मेलन, संगीता शुक्ला बोलीं- जिनके नाम से मिला मेडल उनकी जीवनी पढ़ें
Meerut News: यह सम्मान उस महान व्यक्ति की विरासत और उनके कार्यों को श्रद्धांजलि है, जो समाज और दुनिया के लिए प्रेरणादायी हैं। यह बात कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने वनस्पति विज्ञान के 47वें अखिल भारतीय सम्मेलन और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर कही।
Meerut News: सम्मान और पुरस्कार पाना किसी भी व्यक्ति के जीवन का अहम पल होता है। यह न सिर्फ उसकी मेहनत और लगन का नतीजा होता है, बल्कि यह उस व्यक्ति या विचार के प्रति सम्मान भी दर्शाता है, जिसके नाम पर यह पुरस्कार दिया गया है। जब हमें किसी महान व्यक्ति के नाम पर कोई पदक या सम्मान मिलता है, तो इसका मतलब सिर्फ पुरस्कार पाना नहीं होता, बल्कि उस व्यक्ति के आदर्शों, सिद्धांतों और जीवन से प्रेरणा लेना भी होता है। पदक या पुरस्कार किसी भी क्षेत्र में आपकी मेहनत, लगन और परिश्रम का प्रतीक होता है। यह इस बात का संकेत होता है कि आपने अपने क्षेत्र में कुछ असाधारण किया है, लेकिन अगर यह सम्मान किसी महान व्यक्ति के नाम से जुड़ा हो, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
यह सम्मान उस महान व्यक्ति की विरासत और उनके कार्यों को श्रद्धांजलि है, जो समाज और दुनिया के लिए प्रेरणादायी हैं। यह बात चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने वनस्पति विज्ञान के 47वें अखिल भारतीय सम्मेलन और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर कही। कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने कहा कि जब हमें किसी व्यक्ति के नाम पर कोई पुरस्कार मिलता है, तो हमें यह समझना चाहिए कि उस व्यक्ति ने अपने जीवन में किन संघर्षों का सामना किया, उसने अपना लक्ष्य कैसे प्राप्त किया और उसके आदर्श क्या थे। उस व्यक्ति की कहानी हमारे लिए प्रेरणा का एक अनमोल स्रोत बन जाती है। उनके संघर्ष, दृढ़ता और कड़ी मेहनत से हम सीख सकते हैं कि जीवन में कोई भी लक्ष्य अकल्पनीय नहीं है, अगर हम पूरी लगन और निष्ठा के साथ अपने सपनों की ओर बढ़ते रहें।
महान व्यक्तियों के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उनके आदर्श और मूल्य होते हैं। जैसे अगर किसी को महात्मा गांधी के नाम पर पुरस्कार मिलता है, तो उसे गांधी जी के सत्य, अहिंसा और सादगी के आदर्शों से प्रेरणा लेनी चाहिए। इसी तरह, अगर किसी को एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर सम्मान मिलता है, तो उसे उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण, उनकी सादगी और युवाओं को प्रेरित करने वाले उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए। उनकी जीवनी पढ़कर उस व्यक्ति के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को जानें। उन्होंने कहा कि उनके संघर्ष, उनकी उपलब्धियों और उनकी विचारधारा से जुड़ी बातों को समझने की कोशिश करें। उन विचारों और सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करें, जिनके लिए वह व्यक्ति प्रसिद्ध था। प्रेरणा लेने का मतलब सिर्फ उनके विचारों को जानना ही नहीं है, बल्कि अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना भी है। उनके आदर्शों के अनुरूप अपने कार्यों और निर्णयों का संचालन करें, ताकि आप भी समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें। उन्होंने कहा कि जिनके नाम पर हमें पदक या सम्मान मिलता है, उनसे प्रेरणा लेना हमारा कर्तव्य है।
यह हमारे लिए न सिर्फ गर्व की बात है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का अवसर भी है। हमें उनके आदर्शों और मूल्यों से प्रेरित होकर अपने जीवन को नई दिशा में ले जाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि हम भी उनकी तरह महानता की ओर बढ़ सकें। इस अवसर पर वनस्पति विज्ञान विभाग के संस्थापक प्रोफेसर वाईएस मूर्ति के शताब्दी वर्ष को भी याद किया गया। प्रोफेसर वाईएस मूर्ति के सहपाठियों, उनके द्वारा पढ़ाए गए छात्रों ने उनके संस्मरण सुनाए। प्रोफेसर वाई विमला ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला। इस दौरान कई प्रतिभागियों को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम संयोजक डॉ. जितेंद्र सिंह, कार्यक्रम सचिव शेषु लवानिया, पूर्व कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र कुमार तनेजा, प्रोफेसर शैलेंद्र सिंह गौरव, प्रोफेसर शैलेंद्र शर्मा, प्रोफेसर बिंदु शर्मा, डॉ. लक्ष्मण नागर, डीआर. नितिन गर्ग, डॉ. दिनेश पवार, डॉ. अश्वनी शर्मा, डॉ. अजय शुक्ला, डॉ. अमरदीप सिंह, डॉ. प्रदीप पवार, डॉ. अजय कुमार आदि मौजूद रहे।