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Meerut News: गंगा के निर्मल जल में उतरे 75 नन्हें घड़ियाल, 20 दिनों तक होगी निगरानी

Meerut News: मेरठ के मवाना के युवा स्कूली बच्चों, वन अधिकारियों, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ विशेषज्ञों, लखनऊ कुकरैल घड़ियाल केंद्र के कर्मचारियों की उपस्थिति में आज 75 घड़ियालों को गंगा नदी में छोड़ा गया।

Sushil Kumar
Published on: 9 March 2024 11:24 PM IST
75 crocodiles were released in the Ganga river of Meerut, monitoring will be done for 20 days
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 मेरठ के गंगा नदी में 75 घड़ियालों को छोड़ा गया, 20 दिनों तक होगी निगरानी: Photo- Newstrack

Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ के मवाना के युवा स्कूली बच्चों, वन अधिकारियों, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ विशेषज्ञों, लखनऊ कुकरैल घड़ियाल केंद्र के कर्मचारियों की उपस्थिति में आज 75 घड़ियालों को गंगा नदी में छोड़ा गया। घड़ियालों को कुकरैल घड़ियाल केंद्र लखनऊ में पाला गया। सभी का जन्म 2021 में हुआ। लगभग 3 साल की उम्र। 58 मादा और 17 नर घड़ियाल शामिल है। इनकी लंबाई 120 से 137 सेंटीमीटर व वजन 5.4 से 6.2 किग्रा. तक रहा।

Photo- Newstrack

वन विभाग अफसरों के अनुसार अगले 20 दिनों तक गंगा विस्तार और उसके आसपास गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नियमित निगरानी की जाएगी। डीएफओ राजेश कुमार व विश्व प्रकृति निधि भारत के वरिष्ठ समन्वयक संजीव यादव के नेतृत्व में 75 घड़ियाल छोड़े गए।

Photo- Newstrack

पुनर्वास केंद्र कुकरैल लखनऊ से लाए गए घड़ियाल

डीएफओ राजेश कुमार के अनुसार घडि़याल की लुप्त होती प्रजाति को बचाने को विश्व प्रकृति निधि भारत एवं वन विभाग के तत्वावधान में संयुक्त रूप से योजना संचालित की जा रही है। इसी क्रम में शनिवार को मखदूमपुर घाट पर गंगा नदी में घड़ियाल पुनर्वास केंद्र कुकरैल लखनऊ से लाए गए 75 घडि़याल के बच्चोंकी एक खेप और छोड़ी गई। डीएफओ के अनुसार घड़ियालों के शावकों को छोड़ने के बाद अब उनकी अगले 20 दिनों तक मोटरबोट द्वारा 20 किमी. के दायरे में विशेष मॉनिटरिंग की जाएगी।

Photo- Newstrack

विश्व प्रकृति निधि के संजीव यादव ने बताया कि घड़ियाल पुनर्विस्थापन परियोजना के तहत वर्ष 2009 से अब तक सात चरणों में कुल 973 घड़ियाल छोड़े जा चुके हैं। घड़ियाल की विलुप्त होती प्रजाति का संरक्षण करने के लिए गंगा नदी में इस अभियान को चलाया जा रहा है।

Photo- Newstrack

गंगा नदी में घड़ियाल जैविक सफाईकर्मी का कार्य करते हैं। इसके बाद इन्हें विभिन्न नदियों में छोड़ा जा रहा है। इन्हें नदी में छोड़ने के लिए सर्दी का मौसम उपयुक्त होता है। इस दौरान प्रशिक्षु आईपीएस ऋजुल, क्षेत्रीय वन अधिकारी रविकांत चौधरी आदि मौजूद रहे।



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Shashi kant gautam

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