Meerut News: चंद्रशेखर को हल्के में न लें विपक्षी नेता, यूपी में दलित पॉलिटिक्स का है नया चेहरा

Meerut News: अकेले दम पर चंद्रशेखर आजाद को सीधे संसद में दाखिला मिल चुका है, चंद्रशेखर आजाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उन नेताओं में हैं जिनको मायावती, अखिलेश और जयंत चौधरी जैसे नेता हल्के में लेने की भूल करते रहे।

Sushil Kumar
Published on: 5 Jun 2024 2:18 PM GMT
Opposition leaders should not take Chandrashekhar lightly, he is the new face of Dalit politics in UP
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चंद्रशेखर को हल्के में न लें विपक्षी नेता, यूपी में दलित पॉलिटिक्स का है नया चेहरा: Photo- Social Media

Meerut News: उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर राजनीतिक हलकों में खलबली मचाने वाले आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद विपक्षी दलों के नेताओं से नाराज हैं। उनका कहना है कि इंडिया गठबंधन अगर थोड़ी और समझदारी से काम लेता तो सरकार उनकी ही बनती। चंद्रशेखर आजाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उन नेताओं में हैं जिनको मायावती, अखिलेश और जयंत चौधरी जैसे नेता हल्के में लेने की भूल करते रहे। अब जब अकेले दम पर चंद्रशेखर आजाद को सीधे संसद में दाखिला मिल चुका है तब जाकर यूपी में दलित पॉलिटिक्स के इस नए नेता को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।

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चंद्रशेखर जैसे लोगों के झांसे में आने की जरूरत नहीं है- मायावती

यहां तक पहुंचने से पहले चंद्रशेखर आजाद ने बसपा प्रमुख मायावती, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख जयंत चौधरी से राजनीतिक स्तर पर मेल-मिलाप करने की काफी कोशिशें की। सहारनपुर हिंसा के लिए जेल भेजे जाने और गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई से उबरने के बाद जब चंद्रशेखर आजाद बाहर आये तो मायावती को बुआ कह कर संबोधित किया था, लेकिन बीएसपी नेता ने सीधे-सीधे रिश्ता खारिज कर दिया था कि वो किसी की बुआ नहीं हैं - और उसके बाद वो लगातार अपने दलित समर्तकों को आगाह करती रहीं कि चंद्रशेखर जैसे लोगों के झांसे में आने की जरूरत नहीं है। यही नहीं मायावती के भतीजे और बहुजन समाज पार्टी के नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद ने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत नगीना लोकसभा सीट से करते हुए आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर का नाम लिए बिना उन पर तीखा हमला बोला। कहा कि "कुछ लोग युवाओं को बरगला रहे हैं। उन्हें इमोशनल करके सड़कों पर ले जाकर प्रदर्शन करते हैं। इससे हमारे युवाओं पर मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। युवाओं को फंसाकर वे खुद निकल लेते हैं।"

इसी तरह सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चंद्रशेखर आजाद को हमेशा हल्के में लिया। उन्हें चंद्रशेखर आजाद का साथ तो पसंद था। लेकिन, इसके बदले चंद्रशेखर आजाद को कुछ देना पंसद नहीं था। एक समय रालोद नेता जयंत चौधरी से चंद्रशेखर आजाद की खूब पटी। उत्तर प्रदेश में उपचुनावों के दौरान चंद्रशेखर आजाद की जयंत चौधरी के साथ दोस्ती राजनीतिक हल्कों में काफी चर्चित रही। उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि राजस्थान में भी चंद्रशेखर आजाद रालोद नेता जयंत चौधरी के साथ जमीन तलाशते रहे। लेकिन, फिऱ लोकसभा चुनाव से कुछ पहले ही जयंत चौधरी बीजेपी के साथ चले गये।

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चंद्रशेखर ने हार नहीं मानी

चंद्रशेखर आजाद ने नगीना लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने से पहले भी काफी कोशिश की कि इंडिया गठबंधन नगीना लोकसभा सीट पर उन्हें अपना समर्थन देने की घोषणा करे। लेकिन, समाजवादी पार्टी जिसके हिस्से में यह सीट आई थी उसने चंद्रशेखर आजाद को हल्के में लेते हुए मनोज कुमार को अपना उम्मीदवार घोषित कर चंद्रशेखर आजाद का दिल तोड़ दिया। लेकिन,चंद्रशेखर ने हार नहीं मानी।

उन्होंने अकेले ही सपा-कांग्रेस गठबंधन और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से ये लड़ाई लड़ी और करीब डेढ़ लाख वोटों के अंतर से चंद्रशेखर आजाद जीत भी हासिल कर यूपी की दलित पॉलिटिक्स में अपनी लोकप्रियता भी साबित कर दी।

ऐसे में जबकि इस बार आम चुनाव में जब मायावती की पार्टी बसपा का खाता नहीं खुल सका है, तब चंद्रशेखर दलितों के सामने खुद एक विकल्प के रूप में पेश करने में काफी सफल होते दिख रहे हैं।

Shashi kant gautam

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