Meerut: मेरठ सीट पर भाजपाई दावेदारों की कमी नहीं, पर दमदार प्रत्याशी एक भी नहीं

Meerut News: भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार पार्टी को मेरठ में ऐसे दमदार उम्मीदवार की जरुरत है जो कि मेरठ सीट पार्टी की झोली में डालने की कुव्वत रखता हो। भाजपाई सूत्रों की मानें तो भाजपा की टेंशन बढ़ाने में बसपा का बहुत बढ़ा हाथ है।

Sushil Kumar
Published on: 18 March 2024 5:08 PM GMT
Meerut News
X

Meerut News (Pic:Newstrack)

Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ में भाजपा उम्मीदवार चयन को लेकर अजीब संकट में पड़ी हुई है। कहने को दावेदारों की कमी है लेकिन, दमदार उम्मीदवार उसे एक नहीं दिखाई पड़ रहा है। भाजपा की टेंशन बसपा द्वारा मेरठ सीट पर त्यागी उम्मीदवार घोषित किया जाना है। उधर, सपा ने भी दलित उम्मीदवार मैदान में उतार कर भाजपा की टेंशन और बढ़ा दी है। दावेदारों की बात करें तो तीन बार के सांसद राजेंद्र अग्रवाल के अलावा व्यापारी नेता विनीत अग्रवाल शारदा, हिंदू वादी नेता सचिन सिरोही, संजीव गोयल सिक्का, विधायक अमित अग्रवाल, पूर्व विधायक सत्यवीर त्यागी, विकास अग्रवाल, महानगर अध्यक्ष सुरेश जैन ऋतुराज के अलावा मेरठ की राजनीति के पुराने खिलाड़ी डा. लक्ष्मीकान्त बाजपेयी, आदि नेताओं के नाम भाजपाई हलकों में तेजी से गश्त कर रहे हैं। अब भाजपा इनमें से किसी को चुनती है या फिर कोई बाहर से आकर चुनाव लड़ेगा यह तो समय ही बताएगा।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार पार्टी को मेरठ में ऐसे दमदार उम्मीदवार की जरुरत है जो कि मेरठ सीट पार्टी की झोली में डालने की कुव्वत रखता हो। भाजपाई सूत्रों की मानें तो भाजपा की टेंशन बढ़ाने में बसपा का बहुत बढ़ा हाथ है। दरअसल, भाजपा को उम्मीद थी कि बसपा मेरठ में किसी मुस्लिम उम्मीदवार को खड़ा करेगी। लेकिन, बसपा ने मेरठ लोकसभा सीट से त्यागी ब्राह्मण समाज के देवव्रत त्यागी को कैंडिडेट घोषित किया है।

त्यागी समाज भाजपा का वोटर माना जाता है। ऐसे में जाहिर है कि बसपा उम्मीदवार भाजपा को नुकसान पहुंचाएंगा। वहीं सपा ने सुप्रीम कोर्ट के वकील भानु प्रताप सिंह को मेरठ से टिकट दिया है। मूल रूप से बुलंदशहर जिले के वीरखेड़ा गांव के रहने वाले भानु फिलहाल परिवार सहित साहिबाबाद में रहते हैं। उनके पिता पदम सिंह भी दिल्ली से सेवानिवृत्त जज हैं।

भानु प्रताप सिंह दलित समुदाय से आते हैं ऐसे में स्वाभाविक है कि अकेले दलित उम्मीदवार होने के कारण दलितों का उनकी तरफ झुकाव रहेगा। फिर ऐसे में भाजपा जिसको पिछले चुनाव में दलितों का एक बड़ा हिस्सा मिला था। इस बार मिलना संभव नहीं होगा। फिर सपा-कांग्रेस के बीच में गठबंधन होने के कारण मुसलमानों का झुकाव भी सपा की तरफ रहेगा।

Durgesh Sharma

Durgesh Sharma

Next Story