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Meerut News: मायावती हों PM पद की उम्मीदवार! शर्त के साथ गठबंधन ‘इंडिया’ के पाले में फेंकी गेंद
Meerut News: बसपा के इंडिया गठबंधन में आने के कयासों को ताजा हवा दी है, बिजनौर के बसपा सांसद मलूक नागर ने जिन्होंने हाल ही में कहा कि जब तक मायावती इंडिया गठबंधन के साथ नहीं आएंगी, तब तक इंडिया गठबंधन का वजूद ही नहीं है।
Meerut News: पार्टी में भारी टूट की आशंका से भयभीत मायावती ने आखिरकार गठबंधन में शामिल होने के लिए भूमिका बांधनी शुरु कर दी है। इसकी शुरुआत खुद मायावती ने पिछले दिनों यह कह कर की थी कि किसी के बारे में भी गलत और आपित्तजनक नहीं कहना चाहिए, क्योंकि पता नहीं राजनीति में कब किसको किस से काम पड़ जाए।
बसपा के इंडिया गठबंधन में आने के कयासों को ताजा हवा दी है, बिजनौर के बसपा सांसद मलूक नागर ने जिन्होंने हाल ही में कहा कि जब तक मायावती इंडिया गठबंधन के साथ नहीं आएंगी, तब तक इंडिया गठबंधन का वजूद ही नहीं है। बिना बसपा के भाजपा को हराया नहीं जा सकता। लेकिन, इसके लिए बसपा सांसद ने जो शर्त रखी है, उसको शायद ही गठबंधन के कर्ताधर्ता दल स्वीकार करने के लिए तैयार होंगे। मसलन, मलूक नागर का कहना है कि यदि कांग्रेस माफी मांगे और मायावती को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाए तो बहन जी इंडिया गठबंधन के साथ आ जाएंगी।
हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि मायावती की सहमति से मलूक नागर ने बयान दिया है या फिर उनकी यह अपनी निजी राय है। या फिर इसके पीछे उनका कोई अलग खेल है। संभव है अपने जन्म दिन के मौके पर मायावती इस बारे में अपनी और पार्टी की स्थिति साफ कर सकेंगी। वैसे, यह वहीं मलूक नागर हैं जिन्होंने बजट सत्र पर लोकसभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी नीतियों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा था "बजट में आम लोगों को राहत दी गई हैं, जिससे बजट शाहरुख खान की फिल्म पठान की तरह हिट बन गया है।
वैसे, बसपा सांसद द्वारा रखी गई इस शर्त को कि कांग्रेस माफी मांगे और मायावती को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाए तो बहन जी इंडिया गठबंधन के साथ आ जाएंगी।गठबंधन में शामिल प्रमुख राजनीतिक दलों को शायद ही स्वीकार होगी। यही वजह है कि अभी तक बसपा सांसद के बयान पर गठबंधन में शामिल दलों के किसी भी बड़े नेता का बयान सामने नहीं आया है।
गौरतलब है कि हालिया विपक्षी गठबंधन ‘इडिया’ की बैठक में, ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को गठबंधन के प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित किया था जिसका समर्थन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी किया था। हालांकि, खुद खड़गे ने इस प्रस्ताव को यह कह कर हवा में उड़ा दिया था कि ''पहले जीतें, पीएम चेहरे पर बाद में चर्चा होगी.'' उन्होंने कहा कि अभी फोकस चुनाव लड़ने और जीतने पर है।
बहरहाल, अगर बसपा सांसद ने वाकई में मायावती की सहमति से बयान दिया है तो अब गेंद विपक्षी गठबंधन ‘इडिया’ के पाले में है। अब देखना यही है कि विपक्षी गठबंधन ‘इडिया’ इस बारे में अपना क्या फैसला सुनाता है।