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Lok Sabha Elections 2024: बसपा की ना-ना, कांग्रेस की हां-हां, आखिर कहां जाकर रुकेगी...
Lok Sabha Elections 2024: एक बार नहीं पिछले एक साल में कई बार मायावती 2024 के लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ने के अपने पुराना स्टैंड को दोहरा चुकी हैं।
Lok Sabha Elections 2024: एक बार नहीं पिछले एक साल में कई बार मायावती 2024 के लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ने के अपने पुराना स्टैंड को दोहरा चुकी हैं। बावजूद इसके बसपा और कांग्रेस के आपस में मिलकर चुनाव लड़ने की अटकलों पर विराम नहीं लग सका है। दो दिन पहले बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। उन्होंने कहा कि बीएसपी देश में लोकसभा का आमचुनाव अकेले अपने बलबूते पर पूरी तैयारी और दमदारी के साथ लड़ रही है। उन्होंने तीसरा मोर्चा बनाने की अटकलों को अफवाह और घोर फर्जी खबर बताई है। पिछले साल सितंबर में इंडिया गठबंधन की तीसरी बैठक से चंद दिनों पहले भी उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी बीएसपी अकेले चुनाव लड़ेगी।
मायावती का कहना है कि गठबंधन में चुनाव लड़ने से बीएसपी को नुकसान होता है। ज्यादातर पार्टियां बीएसपी के साथ गठबंधन करना चाहती हैं लेकिन वो इस बार लोकसभा का चुनाव अकेले लड़ेगी। दरअसल,पिछले काफी अर्से से अटकलें थीं कि कांग्रेस पार्टी मायावती को इंडिया गठबंधन में शामिल करने के लिए मना सकती है। हालांकि, बीच-बीच में खुद मायावती कई बार इन अटकलों को गलत बता स्पष्ट कर चुकी हैं कि उनकी पार्टी किसी के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़गी, बल्कि अपने दम पर तमाम सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। ऐसे में सवाल उठता है कि मायावती की बारबार ना के बाद भी कांग्रेस क्यों बसपा से गठबंधन की गुहार लगा रही है?
दरअसल,कांग्रेस चाहती है कि बीएसपी इंडिया गठबंधन में शामिल हो जाएं और साथ मिलकर चुनाव लडें। क्योंकि कांग्रेस रणनीतिकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में यादव और मुस्लिम वोट के जरिए जीत हासिल करना मुश्किल है, ऐसे में अगर बीएसपी गठबंधन में शामिल हो जाए तो गठबंधन की सीटें बढ़ सकती हैं। ना सिर्फ यूपी में बल्कि एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तराखंड जैसे तमाम राज्यों में गठबंधन को फायदा मिलेगा। यही वजह है कि बसपा प्रमुख मायावती जितनी बार-बार ना-ना करती हैं उतनी बार कांग्रेस के किसी बड़े नेता का बसपा के साथ गठबंधन करने का बयान सामने आ जाता है। जै, कि पिछले ही दिनों कांग्रेस के महासचिव और यूपी के प्रभारी अविनाश पांडेय ने कहा कि बसपा के लिए गठबंधन के दरवाजे खुले हैं।
उन्होंने कहा कि बीजेपी के कुशासन को हटाने के लिए बसपा को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। वैसे,कांग्रेस का बसपा को लेकर यह डर गलत भी नहीं है कि मायावती के साथ ना आने से इंडिया गठबंधन को नुकसान हो सकता है और लड़ाई त्रिकोणीय हो जाएगी। इसका अंदाजा 2014 के लोकसभा और 2022 के विधानसभा चुनाव के नतीजो से आसानी से लगाया जा सकता है। यूपी में करीब दो दर्जन लोकसभा सीटें हैं, जिन पर दलित और मुस्लिम मतदाता एकजुट हो जाए तो फिर उनका वोटबैंक 50 फीसदी से ऊपर पहुंच जाता है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उन्हीं लोकसभा सीटों पर हार मिली थी, जहां पर मुस्लिम और दलित वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। शायद यही वजह है कि कांग्रेस और गठबंधन के लिए बसपा महत्वपूर्ण हो गई है। बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के कुछ नेता आखिरी वक्त तक बीएसपी को इंडिया गठबंधन में लाने की कोशिशों में सफल हो पाते हैं अथवा नहीं।