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Meerut News: सपा के साथ अनबन के बीच कांग्रेस जिताऊ उम्मीदवार की तलाश में जुटी
Meerut News: 2023 लोकसभा चुनाव को लेकर जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश में कांग्रेस अब मेरठ में जुट गई है। यह कभी पार्टी के लिए जिताऊ सीट मानी जाती थी।
Meerut News: विपक्ष के 'इंडिया' गठबंधन को लेकर सपा और कांग्रेस में अनबन के बीच उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को लेकर जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश शुरु कर दी है। माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी उन 21 लोकसभा सीटों पर सबसे ज्यादा जोर लगाएगी, जिन पर उसने 2009 के चुनाव में परचम लहराया था। 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने जिन सीटों पर जीत दर्ज की उनमें अकबरपुर, अमेठी, रायबरेली, बहराइच, बाराबंकी, बरेली, धौरहरा, डुमरियागंज, फैजाबाद, फर्रुखाबाद, गोंडा, झांसी, कानपुर, खीरी, कुशीनगर, महाराजगंज मुरादाबाद, प्रतापगढ़, श्रावस्ती, सुल्तानपुर और उन्नाव प्रमुख थीं। लेकिन अब 21 में से 18 सीटों पर भगवाह फहरा रहा है।
वैसे,मेरठ सीट पर भी कांग्रेस की नजर है, जो कभी पार्टी के लिए जिताऊ सीट मानी जाती थी। 1999 में यहां अंतिम बार कांग्रेस जीती थी। इसके बाद से इस सीट पर अब तक के चुनावों में कांग्रेस को कभी जीत नसीब नहीं हो सकी है। पार्टी सूत्रों की मानें तो यहां किसी बड़े मुस्लिम चेहरे को पार्टी मैदान में उतारेगी। कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अवनीश काजला कहते है- कांग्रेस को सिर्फ जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश है। कांग्रेस इस बार हर हाल में मेरठ की अपनी पुरानी सीट को वापिस पाना चाहती है। ऐसे में टिकट वितरण में सिर्फ जिताऊ प्रत्याशियों को ही टिकट देने की तैयारी चल रही है। कांग्रेस के इस नेता यह भी कहना है कि उनकी पार्टी (कांग्रेस) अब पहले वाली कांग्रेस नहीं रही है। इसलिए किसी को कांग्रेस को कमजोर समझने की भूल नहीं करनी चाहिए आज हिंदू-मुस्लिम सभी जाति-समुदायों में कांग्रेस को लेकर विश्वास बढ़ रहा है। वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव चौधरी यशपाल सिंह का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण को लेकर पिछले एक महीने से कवायद चल रही है। पार्टी हाईकमान की ओर से गठित पर्यवेक्षकों की टीम लगातार फीडबैक ले रही है और क्षेत्रीय प्रभारी भी लगातार दावेदारों से संपर्क कर रहे हैं। प्रत्याशियों के पैनल को शॉर्टलिस्ट कर हाईकमान को भेजा जाएगा। यहां गौरतलब है कि मेरठ के हाजी शाहिद अखलाक कांग्रेस टिकट के लिए हाथ-पांव मारने में लगे हैं। बसपा के टिकट पर मेरठ से सांसद और महापौर का चुनाव जीत चुके शाहिद अखलाक मेरठ के कद्दावर मुस्लिम नेताओं में शुमार हैं।
मेरठ सीट पर कांग्रेस का 1952 से कब्जा
मेरठ में भी कांग्रेस के अतीत की बात करें तो मेरठ सीट पर कांग्रेस का 1952 से कब्जा रहा है। 1967 में पहली बार इस सीट पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। जब सोशलिस्ट पार्टी के एमएस भारती ने कांग्रेस के जरनल शाहनवाज खान को हराया था। 1971 में एक बार फिर से जीत कर कांग्रेस ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया। 1980 और 1984 में लगातार दो बार पूर्व केन्द्रीय मंत्री मोहसिना किदवई ने कांग्रेस के टिकट पर मेरठ सीट पर जीत हासिल की। लेकिन,तीसरी बार यानी 1989 के आम चुनाव में मोहसिना किदवई चुनाव हार गई। इसके बाद 1999 के चुनाव में अवतार सिंह भड़ाना को कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतारा। भड़ाना ने कांग्रेस को फिर से जीत दिलाई। लेकिन,2004 के चुनाव में बसपा ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली। 2009,2014 व 2019 में लगातार कांग्रेस को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा है।