TRENDING TAGS :
Meerut: जयंत चौधरी की तेलंगाना में कांग्रेस के समर्थन में जनसभाओं ने बढ़ाई सपा की चिंता
Meerut News: सपा और कांग्रेस की आपसी तल्खी अब किसी से छिपी हुई बात नहीं रह गई है। ऐसे में हैदराबाद में इमरान प्रतापगढ़ी के साथ जयंत चौधरी की चुनावी सभा ने सपा प्रमुंख अखिलेश यादव के कान खड़े कर दिए हैं।
Meerut News: राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के प्रमुख जयंत चौधरी एक बार फिर चर्चाओं में हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासा प्रभाव रखने वाले जयंत चौधरी इस बार चर्चाओं में अपनी हैदराबाद यात्रा को लेकर हैं। यहां जयंत चौधरी ने मुस्लिम बहुल इलाकों में कांग्रेस के समर्थन में जनसभाएं कीं। उनकी यह यात्रा एक बार फिर से तमाम तरह के सियासी सवाल खड़े कर रही है। कुछ लोगो द्वारा जयंत के हैदराबाद दौरे को उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव पर दबाव बनाने की रणनीति से जोड़ कर भी देखा जा रहा है।
सपा और कांग्रेस की आपसी तल्खी अब किसी से छिपी हुई बात नहीं रह गई है। ऐसे में हैदराबाद में इमरान प्रतापगढ़ी के साथ जयंत चौधरी की चुनावी सभा ने सपा प्रमुंख अखिलेश यादव के कान खड़े कर दिए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि तेलंगाना में ना तो जयंत की पार्टी का कोई असर है और ना ही जाट मतदाता। बावजूद इसके हैदराबाद में कांग्रेस के मंच पर जयंत की मौजूदगी कई सवाल खड़े कर रही है।
हालांकि अभी तक इस मामले में सपा प्रमुख या उनकी पार्टी के किसी भी जिम्मेदार नेता का कोई बयान सामने नहीं आया है। लेकिन, जयंत का राजस्थान के बाद तेलंगाना में भी कांग्रेस के समर्थन में जनसभाएं करना अखिलेश यादव के लिए बड़ी चिंता का सबब भी बनता जा रहा है। क्योंकि जिस दल के भरोसे पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी बिसात बिछा रहे हैं, कहीं वही दल कांग्रेस के खेमे में तो नहीं जा रहा है।
वैसे जयंत चौधरी ने हैदराबाद जाकर पहली बार सपा को चिंता में नहीं डाला है। इससे पहले भी जयंत के कांग्रेस ही नहीं बल्कि भाजपा के खेमे में जाने की अटकलें भी राजनीतिक हलकों में गश्त करती रही हैं। भाजपा के साथ तो नहीं अलबत्ता, कांग्रेस के साथ जरुर जयंत चौधरी कई मौको पर खुलकर साथ खड़े होते दिखे हैं। दरअसल समाजवादी पार्टी ने जयंत चौधरी को अपने कोटे से राज्यसभा भेजा है।
इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी अपनी सियासी बिसात भी जयंत चौधरी के बलबूते ही बिछा रही है। क्योंकि इस सियासी गठबंधन में समाजवादी पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बहुत कुछ आरएलडी के माध्यम से ही अपना सियासी दांव लगाया है। ऐसे में अगर राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख अखिलेश से कहीं ज्यादा कांग्रेस के नजदीक जाते हैं तो समाजवादी पार्टी के लिए यह बड़ा सियासी झटका हो सकता है।