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Meerut News: मेरठ में ‘भूत-प्रेत’ का हाई वोल्टेज ड्रामा! पढ़े-लिखे परिवार ने दो दिन तक मचाया उत्पात, लाठी देखते ही साया हुआ गायब
Meerut News परतापुर थाना क्षेत्र में शुक्रवार से शनिवार तक ‘भूत भगाओ’ शो लाइव चलता रहा। रिठानी इलाके का एक पूरा परिवार सड़क पर उतर आया और दावा करने लगा कि उन पर कोई अलौकिक शक्ति का कब्जा है।
मेरठ में ‘भूत-प्रेत’ का हाई वोल्टेज ड्रामा! पढ़े-लिखे परिवार ने दो दिन तक मचाया उत्पात (Photo- Social Media)
Meerut News: मेरठ की सड़कों पर दो दिन तक ऐसा तमाशा चला कि देखने वाले हैरान रह गए। न फिल्म का सीन था, न टीवी शो—यह रिठानी इलाके का ‘रियल लाइफ ड्रामा’ था, जहां एक पढ़ा-लिखा परिवार खुद को भूत-प्रेत के साए में बता कर लोगों के होश उड़ा रहा था। एंबुलेंस तोड़ी, बीच सड़क पर हंगामा किया और जब कुछ समझ नहीं
आया, तो लाठी उठी—और चमत्कार हो गया!
दरअसल, उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के परतापुर थाना क्षेत्र में शुक्रवार से शनिवार तक ‘भूत भगाओ’ शो लाइव चलता रहा। रिठानी इलाके का एक पूरा परिवार सड़क पर उतर आया और दावा करने लगा कि उन पर कोई अलौकिक शक्ति का कब्जा है। परिवार के पांच सदस्य—दो महिलाएं और तीन पुरुष—कभी पत्थर चला रहे थे, कभी चिल्ला रहे थे, तो कभी खुद को ‘दिव्य’ घोषित कर रहे थे।
पुलिस ने इन्हें काबू में लेकर अस्पताल भेजा, लेकिन रास्ते में ड्रामा और तेज हो गया। इन लोगों ने एंबुलेंस के शीशे तोड़ डाले और गाड़ी से कूदकर फरार हो गए।
शनिवार सुबह एक बार फिर यही परिवार बाइपास तिराहे पर पहुंचा और जोरदार हंगामा शुरू कर दिया। ‘भूत-प्रेत है, भूत-प्रेत है’ की चीखों से इलाके में सनसनी फैल गई। पुलिस ने समझाने की कोशिश की, यहां तक कि एक तांत्रिक को बुलाने का भी प्रयास किया गया, लेकिन कोई हल नहीं निकला।
आखिरकार, जब स्थानीय लोगों ने लाठियां उठाईं, तो सारा ‘साया’ अचानक छूमंतर हो गया। जो लोग अभी तक हवा में बातें कर रहे थे, वो पलभर में शांत हो गए।
शिक्षा और ड्रामा का अजीब मेल
हैरानी की बात यह है कि इस हाई ड्रामा में शामिल सभी लोग पढ़े-लिखे हैं। परिवार का मुखिया टिल्लू एक मंडी व्यापारी है, बेटा अजय जिम ट्रेनर है, अनुज बीटेक का छात्र है, पूजा भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है और प्रीति बीए सेकंड ईयर की छात्रा है।
पुलिस भी सोच में पड़ गई
एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि पूरे मामले की जांच की जा रही है। यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि हंगामे के पीछे मानसिक तनाव था, कोई नशा, पारिवारिक विवाद या फिर सिर्फ ध्यान खींचने की कोशिश। मेडिकल टीम से रिपोर्ट मंगाई गई है ताकि मानसिक स्थिति को भी समझा जा सके।
अंत में सवाल बड़ा है
जब एक शिक्षित परिवार भी अंधविश्वास या दिखावे का शिकार हो जाए, तो क्या सिर्फ डिग्री ही काफी है समाज को जागरूक बनाने के लिए? या अब समय आ गया है कि मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक समझ को भी शिक्षा का हिस्सा बनाया जाए?