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Meerut News: भारतीय डाक विभाग में ‘ग्रामीण डाक सेवक’ पद पर भर्ती कराने वाले गिरोह के सरगना सहित 13 गिरफ्तार
Meerut News: एसटीएफ एएसपी बृजेश सिंह ने आज बताया कि विगत काफी दिनों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपदों में फर्जी अंक पत्र तैयार कर भारतीय डाक विभाग में भर्ती कराने वाले गिरोह के सदस्यों के सक्रिय होने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।
Meerut News: स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) यूपी की मेरठ टीम ने फर्जी तरीके/कूटरचित अंकपत्र (मार्कशीट) तैयार कराकर भारतीय डाक विभाग में ‘ग्रामीण डाक सेवक’ पद पर भर्ती कराने वाले गिरोह के सरगना सहित 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरोह में दो डाक अधीक्षक और एक चालक भी शामिल बताए गए हैं। इनके खिलाफ शासन और विभाग के आला अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी गई है। एसटीएफ ने आरोपियों के पास से 5 से 6 यूनिवर्सिटी के दस्तावेज की सॉफ्ट कॉपियां बरामद की हैं। इन्हीं में हेर फेर करके आरोपी दस्तावेज तैयार करते थे। सुभारती यूनिवर्सिटी मेरठ, राजस्थान विद्यापीठ यूनिवर्सिटी, बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड पटना व द वेस्ट बंगाल काउंसिल ऑफ रविंद्र ओपन स्कूलिंग की मार्कशीट की सॉफ्ट कॉपी भी बरामद हुई हैं।
एसटीएफ एएसपी बृजेश सिंह ने आज बताया कि विगत काफी दिनों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपदों में फर्जी अंक पत्र तैयार कर भारतीय डाक विभाग में भर्ती कराने वाले गिरोह के सदस्यों के सक्रिय होने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं। इस सम्बन्ध में मुखबिर की सूचना मिली कि अलीगढ़ जनपद में थाना सिविल लाइन क्षेत्र के भमोला पुल के नीचे तीन गाडियों में बैठकर गिरोह के सदस्य किसी अन्य साथी के आने का इंतजार कर रहे हैं। इस पर गिरोह की घेराबंदी की गई और सरगना साजिद और साकिब समेत 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार किये गये अभियुक्तों में मुख्य सरगना साजिद अली निवासी अमरोहा के अलावा साकिब निवासी हापुड़, वीकल यादव निवासी मैनपुरी, अभिषेक चौधरी निवासी बिजनौर, सुमित चौधरी निवासी बिजनौर, प्रफुल्ल निवासी बिजनौर, हेमंत कुमार निवासी बिजनौर, अहम मिश्रा निवासी मैनपुरी, प्रशांत कुमार निवासी संभल, गौरव चौधरी निवासी बिजनौर, हासिम निवासी अलीगढ़, आसिफ निवासी डासना गाजियाबाद और मोहम्मद सोहेल निवासी संभल हैं।
गिरफ्तार अभियुक्तों ने पूछताछ पर बताया कि वह भारतीय डाक विभाग में ग्रामीण डाक सेवक के पद पर भर्ती हेतु प्रत्येक अभ्यार्थी से 4 से 5 लाख रूपये लेते हैं। उनके गिरोह के सदस्य ही अभ्यर्थी के लिए विभिन्न विश्वविद्यालय (सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ, राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, बिहार शिक्षा बोर्ड पटना) की मार्कशीट तैयार करते हैं। डाक विभाग में अभ्यर्थी की वेरीफिकेशन के लिये डाक अधीक्षक संजय कुमार सिंह को विकल यादव के माध्यम से प्रत्येक अभ्यार्थी के 01 लाख रूपये के हिसाब से देते थे। बाकी पैसे आपस में बाट लेते थे। यह लोग इस काम को काफी समय से करते आ रहे हैं। आज भी कुछ अभ्यर्थियों के वेरीफिकेशन के सम्बन्ध में बात करने के लिए इकठ्ठा हुए थे। 30 सितम्बर को विकल यादव के माध्यम से 05 अभ्यर्थियों का वेरीफिकेशन कराया गया था। 02 अभ्यर्थियों का वेरीफिकेशन अगले दिन कराने की बात थी।
गिरफ्तार अभियुक्त विकल यादव से पूछताछ पर पता चला कि यह मैनपुरी में पोस्टमैन के पद पर नियुक्त है तथा वर्तमान में डाक अधीक्षक मैनपुरी की गाड़ी चलाता है। साजिद जो फर्जी मार्कशीट तैयार करता है से उसकी मुलाकात तत्कालीन डाक अधीक्षक मैनपुरी देवेन्द्र कुमार सिंह जो वर्तमान में झांसी में तैनात है के माध्यम से हुई थी, क्योंकि साजिद देवेन्द्र कुमार सिंह से मिलने उनके घर अथवा आफिस आता-जाता रहता था। जनपद अलीगढ के डाक अधीक्षक संजय कुमार सिंह पूर्व में मैनपुरी में नियुक्त रह चुके थे, इनकी गाड़ी भी विकल यादव चलाता था, इसलिए वह इनसे पूर्व से ही परिचित था। साजिद ने उसे डाक विभाग में वेरीफिकेशन के लिये प्रत्येक अभ्यार्थी 01 लाख रूपये देने की बात कही थी, जो उसने डाक अधीक्षक संजय कुमार सिंह को बताई तो वह इस पर सहमत हो गये। उसने साजिद के कहने से कई अभ्यर्थियों के प्रथम व द्वितीय स्तर की फर्जी वेरीफिकेशन कराई जा चुकी है।
गिरफ्तार अभियुक्त साजिद ने पूछताछ में बताया कि वह विभिन्न विश्वविद्यालयों/बोर्डों की फर्जी मार्कशीट तैयार कर उनका ऑन-लाईन डेटा तैयार कराता है। साजिद मार्कशीट विकास नि0 चिरंजीव बिहार जनपद गाजियाबाद से बनवाकर सॉफ्ट कापी अपने व्हाट्सएप पर मंगवाता था, जिसका प्रिंट वह आदिल नि0 ढक्का थाना सैदनगली जनपद अमरोहा से कराता था। फर्जी मार्कशीटों का ऑन-लाईन डेटा साहिल नि0 लुधियाना पंजाब से फीड कराता था। सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ, राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, बिहार शिक्षा बोर्ड पटना की मार्कशीट व ऑनलाईन डेटा रिकार्ड में रविन्द्र से फीड कराता था। दीपक पुत्र जयवीर सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ की फर्जी मार्कशीट तैयार करने में मदद करता था। शाकिब व गिरोह के अन्य सदस्य अभ्यर्थी लाते हैं। प्रत्येक अभ्यर्थी से 4 से 5 लाख रूपये लेते थे। जिसमें से वेरीफिकेशन के लिये 01 लाख रूपये विकल यादव को देते थे।