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Meerut News: फुटबाल की तरह उछलना है तो हाजिर हैं मेरठ की सड़कें, शिकायत के बावजूद भी नहीं सुनवाई

Meerut News: अमेरिका जैसी सड़के बनाने का दावा करने वाले मेरठ के सरकारी अफसरों के दावों की सच्चाई देखनी है तो गंगा नगर रिंग रोड में देखिए। सड़क गड्ढा मुक्त होने के बजाए गड्ढों में ही तब्दील हो चुकी है।

Sushil Kumar
Published on: 7 Dec 2023 6:27 PM GMT (Updated on: 8 Dec 2023 1:35 AM GMT)
Instead of becoming pothole free, the roads of Meerut have turned into potholes
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मेरठ की सड़कें गड्ढा मुक्त होने के बजाए गड्ढों में ही तब्दील हो चुकी है: Photo- Newstrack

Meerut News: अमेरिका जैसी सड़के बनाने का दावा करने वाले मेरठ के सरकारी अफसरों के दावों की सच्चाई देखनी है तो गंगा नगर रिंग रोड में देखिए। सड़क गड्ढा मुक्त होने के बजाए गड्ढों में ही तब्दील हो चुकी है। यही नहीं शहर की अधिकाश सड़कों का कमोवेश यही हाल है। पुराने शहर के मोहल्लों की तो कुछ ऐसी हालत है कि सड़कों पर वाहन चलाना तो दूर पैदल चलना तक दूभर है। शहर की सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाने की जिम्मेदारी नगर निगम,लोक निर्माण विभाग के पास है। लेकिन अधिकांश सड़के गड्ढों में ही तब्दील हो चुकी हैं।

छावनी की सड़कों की तुलना तो मेरठ के कवि सौरभ जैन सुमन चंद्रमा से कर चुके हैं। कवि के अनुसार चंद्रयान को सरकार यहीं मेरठ छावनी में भेज देती तो चंद्रमा वाले गड्‌डे मिल जाते। यह स्थिति तो तब है जब प्रदेश की कमान संभालने के बाद सबसे पहले सड़कों को गड्ढों से मुक्ति दिलाने का आदेश योगी सरकार ने दिया था।

सड़कें गड्ढा मुक्त होने के बजाए गड्ढों में ही तब्दील

मुख्यमंत्री की सख्ती से यह अभियान कुछ दिन तो धरातल पर दिखाई दिया। लेकिन, जैसे-जैसे समय बीतता गया। सड़कें गड्ढा मुक्त होने के बजाए गड्ढों में ही तब्दील हो गईं। नगर निगम और एमडीए सड़कों को सुधारने के लिए हर साल लंबी चौड़ी प्लानिंग बनाता है। पर हालत यह है कि शहर के कुछ इलाकों की सड़कें आज भी पैदल चलने लायक नहीं हैं।

गंगानगर में मवाना रोड से किला रोड तक 45 मीटर चौड़ी रिंग रोड है। यह सड़क किला रोड व मवाना रोड के बीच बाइपास का काम करती है। नाले किनारे बनी यह रिंग रोड के निर्माण को कमिश्नरी आवास चौराहे को जाममुक्त करने की दिशा में अहम कदम बताया गया था। राष्ट्रीय राजमार्ग की तर्ज पर 2200 मीटर लंबी व 45 मीटर चौड़ी इस सड़क का निर्माण एमडीए ने किया है। इसकी लागत 16.21 करोड़ आई बताई जाती है। लेकिन,बनने के करीब एक साल बाद ही इसकी हालत ऐसी हो चुकी है कि अगर आप वाहन पर हैं तो आपका फुटबाल की तरह उछलना तय है।

इसी तरह गढ़ रोड की स्थिति बदहाल है। सड़के पूरी तरह टूट चुकी हैं या गड्ढो में तब्दील हो चुकी हैं। अचरज है कि शहर की सबसे अधिक व्यस्त इस सड़क पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

Shashi kant gautam

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