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Meerut News: सब कुछ मशीन के भरोसे नहीं छोडा जा सकता: बलदेव भाई शर्मा

Meerut News: प्रो0 बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि मनुष्य की दिमागी शक्ति ही सर्वोपरि है। मीडिया और शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग करने के लिए सावधान रहना होगा। तकनीकी में जो सही है उसको उपयोग करना चाहिए।

Sushil Kumar
Published on: 15 Sept 2023 8:41 PM IST
International workshop on Artificial Intelligence
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International workshop on Artificial Intelligence

Meerut News: सब कुछ मशीन के भरोसे नहीं छोडा जा सकता है। क्योंकि मशीन के अंदर संवेदना नहीं होती है। मशीन के पीछे ज्यादा नहीं भागना चाहिए। हमारा हित अहित हमें तय करना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उतना ही उपयोग करें जितनी जरूरत हो। डाटा और नॉलेज एक पॉवर है, जिसका दुरूपयोग किया जा रहा है। ऐसी चीजों से सतर्क रहना चाहिए। यह बात तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस विषय पर आयोजित एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में पहले सत्र के मुख्य अतिथि कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रांची के कुलपति प्रो0 बलदेव भाई शर्मा ने कही।

दिमागी शक्ति ही सर्वोपरि

प्रो0 बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि मनुष्य की दिमागी शक्ति ही सर्वोपरि है। मीडिया और शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग करने के लिए सावधान रहना होगा। तकनीकी में जो सही है उसको उपयोग करना चाहिए। यदि क्रिएटिविटी नहीं होगी तो पत्रकारिता नहीं बचेगी। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तय नहीं करेगा कि कौन सी खबर छपेगी। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के भरोसे पत्रकारिता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में मीडिया ने बहुत ही सकारात्मक भूमिका निभाई थी। पत्रकारिता केवल एक बौद्धिक उपक्रम नहीं है। पत्रकारिता में संवेदना भी हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तय नहीं करेगा कि कौन सा पाठयक्रम तय होगा। समय के हिसाब से जो जरूरत होगी वह शिक्षक ही पाठयक्रम बनाएगा। कार्यक्रम के पहले सत्र की अध्यक्षता कर रहे सर छोटूराम इंजीनियिरिंग एंड टैक्लोलॉजी के निदेशक डॉ0 नीरज सिंघल ने कहा कि बीते 40 वर्षो में तकनीक ने बहुत तेजी से विकास किया है। जितना तकनीक का विकास 40 साल में हुआ उससे कहीं अधिक विकास आने वाले 10 सालों में होगा। सोशल मीडिया ने मानव को सीमित कर दिया है। चैट जीपीटी मानसिक उपयोगिता को कम कर दिया है। हम तकनीक के ऊपर निर्भर हो गए है। कम पढ लिखे व्यक्ति अपने दिमाग का ज्यादा उपयोग करते हैं। पहले सत्र का संचालन शोध छात्रा पूजा शर्मा ने किया। प्रोफेसर विक्रांत किशोर ने कहा कि हमें सीखने की प्रक्रिया में सदैव तत्पर रहना पड़ेगा जिसमें कि हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए अच्छे कंटेंट तैयार कर सकें हमें कल्पनाशीलता चिंतन मनन और मंथन को लगातार जारी रखना होगा सोशल मीडिया के क्षेत्र में विद्यार्थियों के लिए अपार संभावनाएं उपलब्ध हैं कंटेंट राइटर के रूप में वह पोर्टल पर भी अनेक रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकते हैं।

ग्राहक को प्रभावित करने के लिए किया जा रहा AI का उपयोग

द्वितीय सत्र में मुख्य अतिथि सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ0 रशमी वर्मा ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग सबसे ज्यादा शॉपिंग मार्केटिंग में किया जा रहा है। औद्योगिक जगत में ग्राहक को प्रभावित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग किया जा रहा है। सभी क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग बढा है। मीडिया भी इससे अछूता नहीं रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कम्यूनिकेशन टूडे के संपादक प्रो0 संजीव भनावत ने कहा कि सूचना क्रांति का विस्फोट हो रहा है। तकनीक के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव होते हैं। दुनिया में हर जगह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने प्रभावित किया है। हमारे जीवन में भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने प्रभावित किया है। मनुष्य से बेहतर सोचने वाली मशीन आ गई तो हमारी रचनात्मकता का क्या होगा। तकनीक ने नए रोजगार और नई संभावनाओं को जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि नई पीढी इसका स्वागत कर रही है। इसके माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने में संवाद कर सकते हैं। तकनीकी के दौर में क्रिएटिविटी एक चुनौती बन जाएगी। यह सोचने वाली बात है कि पारदर्शिता की कसौटी पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस क्या खरा उतर पाएगा। दूसरे सत्र का संचालन शोध छात्र निशांत ने किया। गोपाल साहू ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अध्यात्म संचार को प्रोत्साहन करने के लिए कर सकते हैं।

तृतीय सत्र में प्रोफेसर राकेश उपाध्याय ने कहा कि अधिकांश जगह भारतीय ही आविष्कार कर रहे हैं । दुनिया प्रतिभाओं को हायर कर रही है सर्वाइवल के लिए भारत की ओर देख रही है भारत प्रकृति खेती का सबसे बड़ा केंद्र कहां है ग्लोबल वार्मिंग को देखते हुए प्राकृतिक खेती की ओर देख रही है दूध के लिए भारतीय गायों का संवर्धन किया जा रहा है

उन्होंने कहा कि आदमी दिमाग के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बहुत बड़ा खतरा है इसीलिए विधायक फिर से मैन्युअल रूप में आ रहा है मशीन के द्वारा किया हुआ अनुवाद मानवीय संवेदनाओं की जगह नहीं ले सकता है अपनी जरूरत के हिसाब से उसका उपयोग करना है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बेरोजगारी की समस्या भी पैदा हुई है तकनीक अपना रहे हैं उसे भविष्य खतरे में है। प्रोफेसर पवन कुमार ने कहा कि सभी कम्युनिकेटर पत्रकार नहीं हो सकते सोशल मीडिया चलने वाले भी पत्रकार नहीं हो सकते बीते 5 साल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ज्यादा बातें होनी शुरू हुई है पत्रकार को अपग्रेड रहना चाहिए प्रोफेसर साकेत रमन ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अफसर भी बहुत है तो चुनौतियां भी काम नहीं है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आपकी संवेदनाओं को समझ रहा है आपके जीवन में प्रवेश कर चुका है हमारी प्राइवेसी के लिए सबसे बड़ा खतरा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है जैसे-जैसे हमारे जीवन में यह प्रवेश करेगा वैसे-वैसे यह आपके जीवन को प्रभावित करेगा आने वाले समय में यह फेक कलर भी लेगा सत्य नहीं होगा लेकिन सत्य का आभास होगा। मनुनाथ कोंड ने कहा कि जब भी कोई नई तकनीक आती है तो उसका विरोध होना स्वाभाविक है क्योंकि भारतीय समाज परिवर्तन को धीरे-धीरे स्वीकारता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमें सोने की नए विचारों को अपनाने की सीख देता है तभी हम सूचना क्रांति के युग में सफल हो सकते हैं।

Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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