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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव के अपने ही बने सिरदर्द
Lok Sabha Election 2024: सबसे ज्यादा अचरज तो जयंत द्वारा अखिलेश का साथ छोड़ना माना जा रहा है। जयंत चौधरी को अखिलेश ने अपनी पत्नी डिंपल यादव की जगह अपनी पार्टी के दम पर राज्यसभा में भेजा।
Lok Sabha Election 2024: अपने ही बड़े नेताओं से बेवफाई का जख्म पाने वाली पार्टी में यूं तो वर्तमान में कांग्रेस पार्टी अव्वल स्थान पर हैं। लेकिन, अगर यूपी की बात की जाए तो अपने ही लोगों से जख्म पाने वालो में समाजवादी पार्टी भी कम नहीं है। मसलन, राज्यसभा चुनाव से ऐन पहले स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी में बगावत का बिगुल बजाते दिख रहे हैं। ऐसे में दावा किया जा रहा है कि उनके पार्टी छोड़कर नई पार्टी बनाने के बाद कई विधायकों के उनके साथ जाने की चर्चा है।
बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य को विधानसभा चुनाव हार जाने के बावजूद अखिलेश यादव ने ओम प्रकाश राजभर की नाराजगी के बावजूद एमएलसी बनाया था। आज वही स्वामी प्रसाद मौर्य अखिलेश यादव की परेशानी का सबव बने हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य ने राज्यसभा चुनाव से पहले नई पार्टी का ऐलान कर दिया है। नई पार्टी का ऐलान होने के बाद सपा को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। स्वामी प्रसाद मौर्य अभी विधान परिषद सदस्य हैं। ऐसे में वे खुद राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं कर पाएंगे। हालांकि, अपने सहयोगियों को वे क्रॉस वोटिंग के लिए इन्फ्लूएंस जरूर कर सकते हैं। अपना दल कमेरावादी और सपा विधायक पल्लवी पटेल ने भी पीडीए को लेकर खुलकर मोर्चा खोल दिया और कहा कि पार्टी में इसकी उपेक्षा की जा रही है। वो सपा प्रत्याशी को वोट नहीं करेंगी। उन्होंने राज्यसभा के लिए पिछड़े या अल्पसंख्यक को प्रत्याशी न बनाए जाने पर आपत्ति जताई।
सबसे ज्यादा अचरज तो जयंत द्वारा अखिलेश का साथ छोड़ना माना जा रहा है। जयंत चौधरी को अखिलेश ने अपनी पत्नी डिंपल यादव की जगह अपनी पार्टी के दम पर राज्यसभा में भेजा। इससे पहले अखिलेश ने 2017 के चुनाव में महज एक सीट जीतने वाली आरएलडी को 2019 के चुनाव में रालोद को मनचाही तीन सीटें दी थी। लेकिन रालोद एक भी सीट जीत नहीं पाई। सपा पांच सीटें जीती, जबकि बसपा ने दस सीटों पर जीत हासिल की थी। इन चुनावों के बाद 2022 विधानसभा चुनाव में सपा ने रालोद को 33 सीटें दी, जिसमें रालोद ने नौ सीटों पर जीत दर्ज की। 2024 के लिए भी सपा ने गठबंधन के तहत आरएलडी को सात सीटें देने की घोषणा की थी। लेकिन,एकाएक जयंत पलटी मार एनडीए में चले गये।