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Meerut News: बसपा से खिसकते दलित वोट बैंक के लिए राजनीतिक दलों में छिड़ा है घमासान, जानिए क्यों

Meerut News: बीजेपी कांग्रेस, आरएलडी, सपा समेत तमाम दलों ने मायावती और बसपा से खिसक रहे दलित वोट बैंक पर काबिज होने के लिए अपने-अपने तरीके से डोरे डालने शुरु कर दिए हैं। वहीं मायावती भी इससे बेखबर नहीं हैं।

Sushil Kumar
Published on: 12 Oct 2023 11:56 AM GMT
Lok Sabha Elections 2024: Fight between BJP, Congress, RLD and SP for Dalit vote bank
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लोकसभा चुनाव 2024 दलित वोट बैंक के लिए बीजेपी, कांग्रेस, आरएलडी और सपा में छिड़ी लड़ाई: Photo- Social Media

Meerut News: "दीवार क्या गिरी मिरे ख़स्ता मकान की लोगों ने मेरे सेहन में रस्ते बना लिए" कुछ इसी तर्ज पर अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों की दलित वोट बैंक पर निगाहें टिकी हैं। दरअसल, किसी समय दलित वोट बैंक बसपा का मजबूत वोट बैंक रहा है। लेकिन पिछले कुछ चुनावों में बीएसपी का जैसा हश्र हुआ उसके बाद ये कहा जाने लगा है कि शायद दलित समुदाय पर मायावती का प्रभाव अब ख़त्म हो गया है।

बीजेपी कांग्रेस, आरएलडी, सपा समेत तमाम दलों ने मायावती और बसपा से खिसक रहे दलित वोट बैंक पर काबिज होने के लिए अपने-अपने तरीके से डोरे डालने शुरु कर दिए हैं। वहीं मायावती भी इससे बेखबर नहीं हैं। पार्टी के दलित वोट बैंक को बचाने के कॉडर बैठकें, पदाधिकारियों संग महा मंथन, फीडबैक लिया जा रहा है। एनडीए और विपक्षी ‘इंडिया दोनों गठबंधनों से दूरी को भी बसपा की दलित वोट बैंक बचाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

कांग्रेस का "दलित गौरव यात्रा"

कांग्रेस दलितों के सम्मान को पुनः वापस दिलाने के लिए "दलित गौरव यात्रा" की शुरुआत कर बसपा सुप्रीमो मायावती को तगड़ा झटका देने की तैयारी में है तो बीजेपी ने दलित वोटरों को साधने के लिए बाकायदा अभियान चलाया है। इस अभियान के तहत बीजेपी द्वारा प्रत्येक विधानसभा वार 100 नमो मित्र बनाये जा चुके हैं। यह नमो मित्र दलित बस्तियों में संपर्क अभियान शुरू कर चुके हैं। इस मुहिम के तहत दलित युवाओं को साधने के लिए "दलित प्रतिभा सम्मेलन" का आयोजन कर प्रतिभावान विद्यार्थियों और युवाओं को सम्मानित भी किया जाएगा। जाटव बस्तियों में होने वाले इन सम्मेलनों में दलित समाज के युवाओं से संवाद किया जा रहा है। इस दौरान उनको मोदी-योगी सरकार की ओर से एससी वर्ग के लिए की जा रही योजनाओं की जानकारियां भी दी जा रही हैं। वैसे, बीजेपी लंबे वक्त से दलितों को अपने साथ जोड़ने में लगी हुई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस मुहिम में बीजेपी का साथ दे रहा है। फर्क बस इतना है कि आगामी चुनावों को देखते हुए इस प्रयास को तेज कर दिया गया है।

बसपा सुप्रीमो मायावती: Photo- Social Media

समरसता अभियान, एक कुआं एक श्मशान, दलितों के घर भोजन आदि के जरिए दलितों तक यह संदेश पहुंचाया जा रहा है कि बीजेपी ही उनका भला सोचती है और वही उन्हें सभी दिक्कतों से उबार सकती है। पिछले चुनावों में दलितों में बीजेपी के लिए सॉफ्ट कॉर्नर भी दिखा, जिसका लाभ पार्टी को मिला है। पार्टी दलितों के दिलों में और अधिक जगह बनाने और उसे वोट में बदलने के लिए दिन-रात लगी हुई है। यही नहीं दलितों के बीच मजबूत पैठ के लिए बीजेपी नेतृत्व द्वारा बसपा या मायावती या कांशीराम के बारे में कुछ भी नेगेटिव नहीं बोलने कहा गया है।

'समाजवादी' और 'आंबेडकरवादी' बीजेपी को खत्म करने के लिए एकजुट होंगे

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कुछ महीने पहले ही रायबरेली के मान्यवर कांशीराम महाविद्यालय में बसपा संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा था कि समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया द्वारा दिखाया गया रास्ता वही है जिसकी कल्पना बीआर अंबेडकर और कांशी राम ने हाशिये पर पड़े लोगों के उत्थान के लिए की थी।यह पहली बार नहीं है जब अखिलेश ने दलितों को लुभाने की कोशिश की है। पिछले यूपी विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने घोषणा की थी कि 'समाजवादी' और 'आंबेडकरवादी' बीजेपी को खत्म करने के लिए एकजुट होंगे। जबकि सपा भाजपा को हटाने में सफल नहीं हुई, लेकिन उसका वोट शेयर 2017 में 22 प्रतिशत से बढ़कर 2022 के चुनाव में 32 प्रतिशत हो गया। अब, पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 40 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर का लक्ष्य रखा है।

इस मामले में राष्ट्रीय लोकदल भी पीछे नहीं है। पार्टी अध्यक्ष जयंत चौधरी अपने सभी विधायकों को अपने विधायक फंड का न्यूनतम 35 प्रतिशत पैसा दलितों पर खर्च करने के पहले ही निर्देश दे चुके हैं। आरएलडी विधायकों को दलितों का मुद्दा सदन में भी उठाने के अलावा दलित उत्पीड़न रोकने में जहां तक संभव हो सके मदद करने के निर्देश भी दिए गये हैं।

बता दें कि प्रदेश में आरक्षित लोकसभा सीटों की संख्या 17 है। मगर 21 से 22 फीसदी दलित वोट बैंक अधिसंख्य सीटों पर निर्णायक स्थिति में है। दलितों में सबसे अधिक संख्या जाटव समुदाय की है, जो कि कुल दलित जनसंख्या की आधी से अधिक मानी जाती है।

Shashi kant gautam

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