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Meerut News: माफिया अतीक अहमद का रिश्तेदार 100 करोड़ रुपये राजस्व चोरी में गिरफ्तार
Meerut News: एसटीएफ ने 100 करोड़ रुपये से अधिक टैक्स चोरी के मामले में माफिया अतीक अहमद के रिश्तेदार मेरठ के बड़े बिजनेसमैन कमर अहमद काजमी को गिरफ्तार किया है।
Meerut News: माफिया अतीक अहमद के करीबियों पर प्रशासन का शिकंजा कसता जा रहा है। एसटीएफ ने 100 करोड़ रुपये से अधिक टैक्स चोरी के मामले में माफिया अतीक अहमद के रिश्तेदार मेरठ के बड़े बिजनेसमैन कमर अहमद काजमी को गिरफ्तार किया है। लखनऊ और मेरठ की एसटीएफ ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया है। कमर अहमद काजमी पर फर्जी ई-वे बिल बनाकर 100 करोड़ से अधिक जीएसटी चोरी करने का आरोप है।
काजमी पूर्व में मेरठ विकास प्राधिकरण का जनसम्पर्क अधिकारी भी रहा है। वहीं एसटीएफ काजमी का विदेशी फंडिंग और देश विरोधी कनेक्शन भी तलाश रही है। होटल ब्रॉडवे इन सहित कई बड़ी कंपनियों का मालिक व पार्टनर कमर अहमद काजमी और उनके साथियों पर आरोप है कि वो फर्जी पैन कार्ड और दूसरे दस्तावेजों के सहारे जाली ई-वे बिल, जीएसटी बिल तैयार करके सरकार को अरबों का चूना लगा रहे थे।
एसटीएफ एसपी बृजेश सिंह ने एसटीएफ द्वारा कमर अहमद काजमी की गिरफ्तारी किये जाने की बावत जानकारी देते हुए बताया कि पकड़ा गया आरोपी कमर अहमद माफिया अतीक अहमद का रिश्तेदार है। उसके ऊपर करोड़ों की जीएसटी चोरी का भी आरोप है। काजमी के पास एक मोबाइल फोन, मर्सडीज कार के अलावा कुछ नकदी बरामद की गई है।
एसटीएफ एसपी के अनुसार मुखबिर की सूचना पर फर्जी शेल कंपनियां बना कर कूटरचित फर्जी ई-वे बिल तैयार कर उसके माध्यम से राजस्व की भारी क्षति कर अनुचित लाभ लेकर धनोपार्जन करने वाले मेरठ कैंट के वेस्ट एंड रोड निवासी पैरागान एल्यूमिनियम एलएलपी के मालिक कमर अहमद काजमी को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है। पूछताछ में काजमी ने बताया कि मेरी कई फर्मों के अलावा मेंरठ में होटल ब्राडवे-इन है,जिसमें दलजीत सिंह पार्टनर है। एसटीएफ एसपी के अनुसार पूछताछ में काजमी ने बताया कि वह माफिया अतीक अहमद के बहनोई डा.अखलाक का रिश्तेदार भी है जो फिलहाल जेल में बंद है। काजमी के खिलाफ थाना सिविल लाइन में मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है।
पूछताछ में काजमी ने बताया कि हम लोगो द्वारा अपने निजी लाभ के लिए वोगस फर्मो से सप्लाई अपनी फर्मों में दिखाई जाती है। परन्तु वास्तविक रुप में सप्लाई न होकर केवल कूटरचित बिलों का आदान-प्रदान किया जाता है। सप्लाई के कूट रचित ई-वे बिल बनाकर वाहनों का फर्जी परिवहन दिखाया जाता है। इन बिलों के माध्यम से बने राजस्व धनराशि का गबन कर लिया जाता है। विगत कई सालों से हम लोग संगठित रुप से सी तरह से सैंकड़ों करोड़ रुपये के राजस्व की हानि कर धनोपार्जन कर चुके हैं।