Meerut News: मखदूमपुर गंगा मेले का बदला स्वरुप, आस्था जस की तस

Meerut News: मेरठ मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर हस्तिनापुर क्षेत्र के मखदूमपुर गंगा घाट पर कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान मेले में तंबुओं की महानगरी बसने का सिलसिला अभी भी जारी है।

Sushil Kumar
Published on: 26 Nov 2023 9:56 AM GMT
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मेरठ के मखदूमपुर गंगा मेला (न्यूजट्रैक)

Meerut News: मेरठ मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर हस्तिनापुर क्षेत्र के मखदूमपुर गंगा घाट पर कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान मेले में तंबुओं की महानगरी बसने का सिलसिला अभी भी जारी है। मखदूमपुर गांव से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर यह मेला इस बार करीब तीन किलोमीटर लंबी परिधि में तंबुओं की महानगरी के रुप में बस चुका है। 1929 से लगता चला आ रहा मेरठ का मखदूमपुर गंगा मेला लोगों की आस्था व श्रद्धा का प्रतीक है। जिसमें लाखों श्रद्धालु पर्व पर डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करते हैं।

श्रद्धा के सैलाब में हर पल तेजी आती जा रही है। मेले में श्रद्धालुओं का आगमन तेजी के साथ बढ़ रहा है, जिसे देखते हुए क्षेत्रीय और मेला क्षेत्र में दुकान लगाने वाले व्यापारियों के चेहरों पर खुशी का माहौल है। भाजपा जिलाध्यक्ष शिवकुमार राणा का कहना है कि मेला सद्भावना और सौहार्द्र का परिचायक होता है। वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष गौरव चौधरी का कहना है कि गंगा मेला इस बार कई मायनों में महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक रहेगा। मेले स्थल पर पूर्ण रूप से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।

जानकारों की मानें तो मखदूमपुर गांव में इस मेले की शुरूआत मवाना के पत्रकार एवं आर्य समाजी रामजीदास हितैषी ने की। समय के साथ मखदूमपुर गंगा मेले का स्वरूप व स्थान में भी परिवर्तन होता रहा, लेकिन लोगो की मेले को लेकर आस्था आज भी बरकरार है। करीब डेढ़ दशक पूर्व गंगा मेला मखदूमपुर गांव के समीप गंगा किनारे पर लगता था। वर्तमान में गंगा नदी का प्रवाह गांव से लगभग तीन किमी दूर है। मखदूमपुर गांव निवासी 80 वर्षीय प्रीतम कुमार ने बताया कि वर्ष 1997 से 2000 तक गंगा नदी में जबरदस्त कटान किया। जिससे पूरा गांव उजड़ गया और पूर्व के स्थान से लगभग तीन किमी दूर आकर वर्तमान स्थान पर बस गया। जिसे मखदूमपुर के नाम से जाना जाता है परंतु वह बाजमपुर गांव का क्षेत्र है। परिस्थितिवश उन्हें यहां आकर बसना पड़ा।

इलाके के लोगां के अनुसार इस मेले की शुरूआत मवाना के पत्रकार एवं आर्य समाजी रामजीदास हितैषी ने की। हितैषी जी को वर्ष 1945 में डोरली स्थित आयुर्वेदिक कालेज गुरुकुल के संचालन के लिए जाना पड़ा। इसके बाद आर्य समाज के लोगों ने मेले को जारी रखा। फिर तत्कालीन जिला पंचायत सदस्य एवं स्वतंत्रता सेनानी रूमाल सिंह ने इस मेले की जिम्मेदारी निभाई। देश की आजादी के बाद रूमाल सिंह पुलिस विभाग में चले गए। उसके बाद से ही यह मेला जिला पंचायत के नियंत्रण में चलता आ रहा है। गढ़ गंगा मेले के बाद क्षेत्र में मखदूमपुर गंगा घाट पर लगने वाला सबसे बड़ा गंगा मेला है। इसलिए इस मेले की महत्ता अधिक बढ़ जाती है।

Shishumanjali kharwar

Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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