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Meerut High court Bench: पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बेंच की मांग फिर तेज, वकीलों का नया नारा- 'बेंच नहीं तो वोट नहीं'

UP West High Court Bench Demand: एडवोकेट चौधरी यशपाल सिंह ने बताया कि, 'आगामी चुनाव में बेंच नहीं तो वोट नहीं के स्लोगन का स्टीकर द्वारा प्रचार किया जाएगा।'

Sushil Kumar
Published on: 25 Oct 2023 2:48 PM GMT (Updated on: 25 Oct 2023 2:53 PM GMT)
Meerut High court Bench
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मेरठ जिला बार एसोसिएशन की बैठक (Social Media) 

Meerut High court Bench: पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बेंच की मांग एक बार फिर तेज हो गयी है। 2024 लोकसभा चुनाव करीब आते ही एक बार फिर ये मांग तेज हो चली है। वकीलों का अब नया नारा है, 'बेंच नहीं तो वोट नहीं'। बता दें, साल 1955 से मेरठ में हाईकोर्ट बेंच की मांग बदस्तूर जारी है। चुनाव से ठीक पहले मेरठ से अलग राज्य की मांग के साथ ही पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग जोर पकड़ने लगी है।

'बेंच नहीं तो वोट नहीं' स्लोगन

मेरठ समेत पश्चिम उत्तर प्रदेश के सभी जिलों एवं तहसील के बार पदाधिकारियों द्वारा बेंच की स्थापना की मांग के तहत बुधवार (25 अक्टूबर) को प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। मीडिया के सामने वकीलों ने अपनी मांग रखी। वकीलों का कहना है कि हर बार राजनीतिक दलों द्वारा इसे पूरा करने का आश्वासन दिया जाता है, लेकिन सत्ता में आने के बाद इस मांग को दरकिनार कर देते हैं। एडवोकेट चौधरी यशपाल सिंह (Adv. Chaudhary Yashpal Singh) ने बताया कि, 'आगामी चुनाव में 'बेंच नहीं तो वोट नहीं' के स्लोगन का स्टीकर द्वारा प्रचार किया जाएगा।'

समिति की अगली बैठक 28 को गाजियाबाद में

संघर्ष समिति के चेयरमैन कुंवरपाल शर्मा (Kunwar Pal Sharma) और संचालन संयोजक विनोद चौधरी ने बताया कि, 'केंद्रीय संघर्ष समिति की बैठक में प्रत्येक माह के पहले शनिवार को सभी जिलों के अधिवक्ता अपने-अपने जिले और तहसील के सांसद तथा विधायक का घेराव कर हाईकोर्ट बेंच की मांग का प्रस्ताव पहले ही सर्वसम्मति से पारित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि, समिति की अगली बैठक 28 अक्टूबर को जिला बार एसोसिएशन गाजियाबाद के सभागार में होगी। इस मीटिंग में खंडपीठ की स्थापना के लिए पैदल मार्च की तारीख पर विचार-विमर्श किया जाएगा।'

नई नहीं है बेंच की मांग

आपको बता दें, साल 1955 से मेरठ में हाईकोर्ट बेंच की मांग उठती रही है। वकीलों का कहना है कि पश्चिमी यूपी में 22 जिले आते हैं। इन जिलों से इलाहाबाद हाईकोर्ट की दूरी पाकिस्तान के लाहौर से भी ज्यादा है। मेरठ से प्रयागराज करीब 657 किलोमीटर दूर है जबकि पाकिस्तान का लाहौर केवल 458 किलोमीटर दूर है। मेरठ बार असोसिएशन के महामंत्री एडवोकेट सचिन चौधरी ने बताया कि वेस्ट के किसी भी जिले में यदि हाईकोर्ट बेंच मिल जाएगी तो समय की बर्बादी और पैसे की बचत दोनो होगी।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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