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Asian Games : मेरठ की पारुल ने स्वर्ण पदक जीता, पिता बोले- 'बेटी का ये शौक एक दिन देश की शान बन जाएगा...'
Meerut News: बिटिया ने कहा कि पापा जब तक मैं ओलंपिक में खेलकर भारत का नाम नहीं रोशन कर दूंगी तब तक मैं शादी नहीं करुंगी।
Meerut News: मेरठ (उत्तर प्रदेश) तीन अक्तूबरचीन के हांगझाऊ में आयोजित एशियन गेम्स के ट्रेक एंड फील्ड इवेंट में मेरठ के दौराला ब्लाक के इकलौता गांव की रहने वाली भारतीय धाविका पारुल चौधरी (24) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सोने पर कब्जा किया है। मंगलवार को पारुल ने पांच हजार मीटर स्टीपल चेज स्पर्धा में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। पारुल चौधरी के स्वर्ण पदक जीतने के बाद उनके घर और गांव में खुशी का माहौल है। लोग ढोल बजाकर खुशी मना रहे हैं। मिठाइयां बांटी जा रही हैं। इधर, पारुल चौधरी के स्वर्ण पदक जीतने की खबर जैसे ही स्टेडियम पहुंची तो वहां अभ्यास कर रहे खिलाड़ियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।
पारुल के साथ अभ्यास करने वाले साथी खिलाड़ियों ने कैलाश प्रकाश स्टेडियम में मिठाई बांटकर अपनी खुशी जाहिर की। न्यूजट्रैक से बातचीत में पारुल के पिता कृष्णपाल ने कहा कि उनकी बेटी का सपना ओलंपिक में देश के लिए खेल कर जीतना है। कृष्णपाल कहते हैं,मैने उससे कहा भी बिटिया अब शादी कर लो। ताकि हम अपना तुम्हारी शादी कर अपना मां-बाप का फर्ज पूरा करें। लेकिन,बिटिया ने कहा कि पापा जब तक मैं ओलंपिक में खेलकर भारत का नाम नहीं रोशन कर दूंगी तब तक मैं शादी नहीं करुंगी।
गांव में अपनी बेटी की कामयाबी से बेहद खुश दिख रहे पारुल के पिता कृष्णपाल का कहना है कि पारुल ने बचपन में काफी परेशानी से अपना वक्त गुजारा और पैदल गांव से बाहर जाकर बस में बैठकर मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम में अपनी प्रैक्टिस की थी। पिता कृष्ण पाल का कहना है कि पारुल की मां राजेश जब खाना बनाती तो पारुल इंतजार करती थी कि वो पिता का खाना लेकर खेत जाएगी। गांव से खाना लेकर पारुल चलती तो खेत की पगडंडियों पर सरपट भागी जाती थी। कृष्ण पाल कहते हैं उन्हें नहीं पता था कि बेटी का ये शौक एक दिन देश की शान बन जाएगा।
आज पारुल ने जब देश के लिए स्वर्ण पदक जीता है तो गांव भर में खुशिया मनाई जा रही हैं। पारुल चौधरी के सफलता की प्रेरणा उनकी बड़ी बहन प्रीति थी। वह भी धावक थी और राष्ट्रीय स्तर तक की प्रतियोगिताओं में पदक जीता था। पारुल बड़ी बहन के साथ ही स्टेडियम में अभ्यास के लिए आया करती थीं। पारुल ने अपनी कड़ी मेहनत कभी बंद नहीं की। पारुल फिलहाल मुबंई में टीटीआई के पद पर तैनात है।
पारुल के चार भाई बहन हैं और वह अपने भाई बहनों में तीसरे नंबर की हैं। पारुल के पिता कृष्ण पाल सिंह किसान हैं और माता राजेश देवी गृहणी हैं. दोनों ने ही बड़ी मेहनत से अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर और काफी परेशानियां झेल कर यहां तक पहुंचने में साथ दिया। पारुल की बड़ी बहन भी अब स्पोर्ट्स कोटे से सरकारी नौकरी पर हैं और पारुल का एक भाई उत्तर प्रदेश पुलिस में है।
पारुल के कोच रहे कोच गौरव ने बताया पारुल ने दो माह पहले ही थाइलैंड के बैंकाक में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था, जबकि 2018 एशियन गेम्स में भी पारुल पदक जीत चुकी हैं। वहीं, पारुल दो बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। गौरव के मुताबिक शुरुआती प्रशिक्षण के दौरान पारुल अपनी प्रैक्टि्स लड़कों के साथ करती थी। जिसका लाभ पारुल चौधरी को अब मिल रहा है। गौरव कहते हैं-हमें पहले ही पूरा भरोसा था कि आज मंगलवार को 5,000 मीटर दौड़ में पारुल स्वर्ण पदक जरुर जीतेगी। वहीं गांव के प्रधान जोनू ने कहा कि इससे बढ़ कर हमारे गांव के लिए खुशी नहीं हो सकती कि आज गांव की बेटी ने गांव का ही नहीं पूरे देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है। गांव वालो ने तय किया है कि हम सब बिटिया के गांव आगमन पर उसका भव्य स्वागत करेंगे।