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Meerut News: खत्म हुआ नौचंदी मेला, कवि सम्मेलनों को लेकर क्यों रहा चर्चित
Meerut News: नौचंदी मेले के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब मेले के दौरान पटेल मंडप में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम कोई छाप नहीं छोड़ सके।
Meerut News: कांवड़ यात्रा के चलते ऐतिहासिक प्रांतीयकृत नौचंदी मेले का समापन तो एक महीने से पहले ही यानी मंगलवार रात को हो गया। लेकिन, नौचंदी मेले के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब मेले के दौरान पटेल मंडप में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम कोई छाप नहीं छोड़ सके। कवि सम्मेलन की बात की जाए तो इस बार शहर के मेले ने यह भ्रम तोड़ दिया। मेले में सचमुच कवि सम्मेलन हुआ। जानकारों का कहना है कि कवि सम्मेलन में मंच पर इक्कीस कवि थे और श्रोता इससे भी कम।
शहर के जाने-माने साहित्यकार और एनएमएसएन दास कालेज के पूर्व प्रोफेसर डॉ. सुधाकर आशावादी व्यगांत्मक अंदाज में कहते हैं। श्रोताओं से ख़ाली कुर्सियों से खचाखच भरे पटेल मंडप में इस बार छह कवि सम्मेलन आयोजित हुए। आयोजन इतने भव्य हुए कि पंडाल में ख़ाली कुर्सियों को रखने के बाद तिल रखने के लिए जगह नहीं बची। अनेक श्रोताओं को ख़ाली कुर्सियों को सम्मान देने के लिए यादगार कवि सम्मेलन सुनने से वंचित रहना पड़ा, साहित्य में विशिष्ट स्थान रखने वाले रचनाकार ऐसे भव्य आयोजनों से दूरी बनाने में सफल रहे।
सुधाकर आशावादी आगे कहते हैं,-हो सकता है मेरठ के साहित्यकारों की साहित्यिक उर्वरा का इन कवि सम्मेलनों में परिचय प्राप्त हुआ हो। उन्हें अनेक साहित्यिक पुस्तकों का सृजन करने हेतु नई प्रेरणा मिली। मेरठ के सभी साहित्यकारों को अगले वर्ष आयोजित होने वाले प्रांतीय नौचंदी मेले में छह कवि सम्मेलन आयोजन के लिए अभी से तैयारी करने की प्रेरणा भी मिली, कि कितने गम्भीर प्रयासों से कवि सम्मेलन का संयोजक पद प्राप्त होता है। इतना अवश्य है, कि लोक कला, लोक संस्कृति, नाट्य, चित्रकला, भू अलंकरण जैसी विधाओं के संरक्षण व संवर्धन के लिए नौचंदी मेला समिति के पास धन की समुचित व्यवस्था नही रही होगी।
कवि सम्मेलनों के सभी संयोजकों को हार्दिक बधाई कि उनके अभूतपूर्व प्रयासों से मेरठ के साहित्यकारों के साहित्य सृजन हेतु नवीन उपलब्धियाँ प्राप्त हुई। जो अगले वर्ष के आयोजनों के लिए कवि सम्मेलनों के संयोजक बनने की दौड़ में भाग लेने के लिए उद्दीपक का कार्य करेंगी। व्यंग्य से इतर गम्भीर प्रश्न यह भी उत्पन्न हुआ कि इन भव्य और खर्चीले आयोजनों से मेरठ जनपद के साहित्यकारों का कितना भला हुआ और उनकी साहित्यिक उपलब्धियों में कितनी श्रीवृद्धि हुई ?
वहीं पुराने वाशिंदे विनय भी व्यगांत्मक अंदाज में ही कहते हैं- कितना सुंदर रहा होगा कवि सम्मेलन। ना हूट की चिंता , ना फिक्र रही जमने जमाने की । सब के सब हिट । संचालक ने किसे कहा होगा कि जोरदार तालियों से स्वागत करें । नाम लिया , आए , पढ़ा और हो गया । ताली बजवाने वाले वाक्यों के बिना कैसे पढ़े होंगे मुक्तक , गजलें , गीत और चुटकुले । बजवाते भी किससे । कुर्सियां ताली नहीं बजाया करती । कैसेट टाइप प्रस्तुतियों में श्रोता भी टाइप्ड होते हैं । यहां तो वो भी नहीं थे । कुछ कवि पंद्रह बीस साल से वहीं पढ़ रहे हैं । कोमा फुलस्टॉप तक वही। उन्होंने मजे से पढ़ा होगा।