Nauchandi Mela: मेरठ में नौचंदी मेले का उद्घाटन, लेकिन इस चीज के लिए करना होगा इंतजार! जानें वजह

Nauchandi Mela Meerut: ऐतिहासिक नौचंदी मेले को लेकर सैकड़ो वर्षों से परंपरा चलती आ रही है। होली के बाद जो भी दूसरा रविवार होता है। उसमें नौचंदी मेले का उद्घाटन होता है।

Sushil Kumar
Published on: 7 April 2024 3:25 PM GMT (Updated on: 7 April 2024 3:28 PM GMT)
Nauchandi Mela Meerut
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Nauchandi Mela Meerut (Pic:Newstrack)

Meerut News: महीने भर तक शहर में रौनक लगाने वाले ऐतिहासिक नौचंदी मेले का आज शाम विधि विधान के साथ उद्घाटन हो गया। एडीजी ध्रुवकान्त ठाकुर व आयुक्त मेरठ मंडल मेरठ सेल्वा कुमारी जे0 द्वारा रिबन काटकर व कबूतर उडाकर प्रांतीयकृत नौचंदी मेले का उद्घाटन किया गया। उन्होने नौचंदी ग्राउंड पहुंच कर की जाने वाली तैयारियो का जायजा लिया तथा संबंधित अधिकारियो को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। लोक सभा सामान्य निर्वाचन-2024 के दृष्टिगत उन्होने मतदाता जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत स्वीप गैलरी का उद्घाटन किया व हस्ताक्षर अभियान की शुरूआत की। उन्होने महात्मा गांधी व डॉ. भीम राव अम्बेडकर की प्रतिमा पर फूल माला चढाकर उनको नमन किया। इस अवसर पर जिलाधिकारी दीपक मीणा ने मतदान की शपथ भी दिलाई

मेले का उद्घघाटन तो हो गया है लेकिन, क्योंकि उद्घाटन के बाद मेले को भरने में एक महीने का समय लग जाता है। ऐसे में मेले में असली रौनक करीब एक माह बाद ही आएगी। इस बार प्रांतीय मेले को लगाने की जिम्मेदारी जिला पंचायत को दी गई है। हर वर्ष की तरह सर्वप्रथम मां चंडी देवी की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर चुनरी चढ़ाई गई। उसके तत्पश्चात बाले मियां की मजार पर भी सभी अधिकारियों द्वारा चादर चढ़ाई गई। मेला आयेजकों के अनुसार मेले को भव्य तौर पर आयोजित किया जाएगा। इसके लिए मेले में सभी सुविधाएं आने वाले दुकानदार एवं मेला प्रेमियों को उपलब्ध कराई जाएगी।


ऐतिहासिक नौचंदी मेले को लेकर सैकड़ो वर्षों से परंपरा चलती आ रही है। होली के बाद जो भी दूसरा रविवार होता है। उसमें नौचंदी मेले का उद्घाटन होता है। इसी परंपरा को निभाने के लिए भी इस बार भी आज यानी 7 अप्रैल को मेले का उद्घाटन किया गया। नगर के पूर्वी छोर पर चंडी देवी मंदिर और बाले मियां की मजार के पास सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक के रुप में हर साल लगने वाले मेले की खासियत यह भी है कि यह मेला रात चढ़ने के साथ ही परवान चढ़ता है। पहली बार 1987 में हुए दंगों के कारण मेले को बीच में ही समाप्त कर देना पड़ा था।


जानकारों का कहना है कि यह मेला नवचंडी देवी के नाम पर ही लगता है। पहले यह मेला 1 दिन का लगता था, लेकिन फिर 9 दिन का लगने लगा। उसके पश्चात 15 दिन का हो गया। अब यह करीब एक महीने चलता है। यह नवरात्र का ही मेला माना जाता है, इसलिए होली के बाद दूसरा रविवार खाली नहीं जाता है। बताते चलें कि वैसे ही है मेला प्रांतीय मेला हो गया है, लेकिन अब की बार जिला पंचायत को इस मेले को लगाने की अनुमति प्रदान की गई है।

Durgesh Sharma

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