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Meerut News: सरकार की उदासीनता के चलते बंद होने के कगार पर पायदान उद्योग, पलायन को मजबूर कारीगर
Meerut News: सरकार की उदासीनता के चलते यह उद्योग पूर्णरूप से बंद हो गया था। इसके बाद पायदान उद्योग से जुड़े, लेकिन यहां भी सरकार की उदासीनता के चलते पायदान उद्योग बंद होने के कगार पर है।
Meerut News: कभी कंबल उद्योग से पहचाने जाने वाले शहर से सटे लावड़ कस्बे की पहचान फिलहाल पायदान उद्योग से होती है। कस्बे के बने पायदान केवल यूपी ही नहीं बल्कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों में बिकने के लिए जाते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से इस उद्योग से जुड़े कारीगर भी बाहर के राज्यों में पलायन के लिए मजबूर हैं। करीब 50 हजार की आबादी वाले इस कस्बे के लोगों का कहना है कि इस उद्योग से मोमीन अंसार बिरादरी के ज्यादातर लोग जुड़े हुए हैं। कस्बे के दीन मोहम्मद की मानें तो कभी कंबल उद्योग इस कस्बे की पहचान हुआ करता था, लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते यह उद्योग पूर्णरूप से बंद हो गया था। इसके बाद पायदान उद्योग से जुड़े, लेकिन यहां भी सरकार की उदासीनता के चलते पायदान उद्योग बंद होने के कगार पर है। इस उद्योग से जुड़े लोगो की मानें तो पहले जीएसटी, फिर नोटबंदी और कोरोना महामारी के बाद आर्थिक मंदी का यह उद्योग शिकार हो गया है।
गांव तसलीम कहते हैं, करीब दशक भर पहले तक पायदान उद्योग काफी मजबूत स्थिति में था। आलम यह था कि पुरुष से लेकर महिलाएं भी इस उद्योग से बड़ी संख्या में जुड़ीं थी। लेकिन,सरकार की उदासहीनता के चलते आज पायदान उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है। पायदान उद्योग से कारीगरों का कहना है कि जीएसटी से भी उद्योग को काफी नुकसान पहुंचा है। बकौल एक कारीगर,पड़ोस के हरियाणा राज्य के पानीपत से आने वाले कच्चे माल पर जीएसटी लगता है। वहीं, तैयार माल पर भी जीएसटी लगता है। इसे छोड़ने वाले परिवार पंजाब एवं अन्य राज्यों में जाकर नौकरी एवं अन्य कारोबार करने के लिए मजबूर हैं।
कस्बे के पुराने वाशिंदों की मानें तो कस्बे में पायदान उद्योग की नींव कस्बा निवासी रईस ने रखी थी। शुरु में इस उद्योग से जुड़ने वाले लोगो की संख्या बेशक कम रही। लेकिन,बाद में लोग तेजी से जिनमें महिलाएं भी शामिल रही जुड़ते चले गए। पुरुषों ने ताना एवं बुनाई का कार्य संभाला तो महिलाओं ने सिलाई का जिम्मा संभाला। पायदान उद्योग से ही जुड़े एवं वार्ड-6 (कमलियान)के सभासद शमीम का कहना है कि इस उद्योग का ऊपर उठाने के लिए सरकार को छोटे-छोटे लोन देने चाहिए। इससे जीएसटी को समाप्त कर देना चाहिए। सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि सरकार यहीं से इन पायदानों की खरीद-फरोख्त करे।
छोटे-छोटे कारखाने लगाने के लिए सरकार को मदद करनी चाहिए और आगे आकर पहल करनी होगी। वहीं वार्ड आठ(गुली दरबार) पार्षद अफसाना के पति कामिल का भी कमोवेश यही कहना है। इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि सरकार को यदि इस उद्योग को बढ़ाना है तो सरकार को उनके पायदान खरीदने चाहिए। वे कहते हैं,सरकार अगर ऐसा करती है तो कस्बे के युवा जो कि पंजाब आदि राज्यों में पलायन कर रहे हैं। यही इसी उद्योग से जुड़े रहेंगे। कामिल के अनुसार कस्बे के लोग पहले कंबल बनाते थे। लेकिन,सरकार ने कंबल खरीदने बंद कर दिए। जिसके कारण कंबल उद्योग में लगे लोगो को पायदान के उद्योग में आना पड़ा है।