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Meerut News: पहली बार सिखाया पद्मश्री डॉ. पुरू दाधीच ने ध्रुपद नृत्य, बोले नृत्य मन के भाव को प्रस्तुत करने का माध्यम

Meerut News: ।कुलपति मेजर जनरल डॉ.जी.के.थपलियाल ने कहा कि यह राष्ट्रीय कार्यशाला विद्यार्थियों के लिए स्वर्णिम अवसर है, कि पद्मश्री डॉ.पुरू दाधीच जी के सानिध्य में नृत्य की विधाओं को सीखने का अवसर मिल रहा है।

Sushil Kumar
Published on: 23 Oct 2024 9:17 PM IST
Meerut News (  Pic- News  Track)
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Meerut News (  Pic- News  Track)

Meerut News: आज यहां स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के मंचकला विभाग में तीन दिवसीय कथक नृत्य कार्यशाला का उद्घाटन किया गया। इस कार्यशाला का विषय अप्रचलित ताल में ध्रुप नृत्य रहा। जिसे सिखाने कथक नृत्य जगत के गुरू पद्मश्री डॉ. पुरू दाधीच ने इंदौर मध्य प्रदेश से पधार कर विद्यार्थियां का ज्ञान वर्धन किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ पद्मश्री डॉ. पुरू दाधीच ने कुलपति मेजर जनरल डॉ.जी.के.थपलियाल, फाइन आर्ट कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पिन्टू मिश्रा एवं मंच कला विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. भावना ग्रोवर व हर्षिता दाधिच के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया।कुलपति मेजर जनरल डॉ.जी.के.थपलियाल ने कहा कि यह राष्ट्रीय कार्यशाला विद्यार्थियों के लिए स्वर्णिम अवसर है, कि पद्मश्री डॉ.पुरू दाधीच जी के सानिध्य में नृत्य की विधाओं को सीखने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि नृत्य ने भारतीय संस्कृति के विभिन्न रंगों को मन के भाव द्वारा प्रस्तुत करने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि पद्मश्री डॉ.पुरू दाधीच जी भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का उत्कृष्ट कार्य कर रहे है, यह हम सभी के लिए प्रेरणादायी है।मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.शल्या राज ने इस राष्ट्रीय कार्यशाला के सफल आयोजन हेतु अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की।

कार्यशाला के प्रथम सत्र में पद्मश्री डॉ. पुरु दाधीच ने विद्यार्थियों को अप्रचलित ताल ब्रह्मताल में निबद्ध ध्रुपद नृत्य की शिक्षा प्रदान की। जिसमें ब्रह्म ताल में निबद्ध ध्रुपदांगी शिव स्तुति के साथ परनों इत्यादि की के बारे में विस्तार से समझाया गया। पद्मश्री डॉ. पुरू दाधीच ने कहा कि नृत्य मन के भाव को प्रस्तुत करने का माध्यम है। उन्होंने बताया कि नृत्य तीन कलाओं से मिलकर बना है। जिसमें अभिनय, नृत्य और संगीत, इन तीनों के समायोजन से ही यह नृत्य पूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि सफल नर्तक बनने हेतु अपने चेहरे के भाव, हाथों की मुद्राओं संगीत की ताल के साथ नृत्य का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का कथक नृत्य में समावेश है। यह हमारी परम्परा व संस्कृति का हिस्सा हैं।

मंच कला विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. भावना ग्रोवर ने बताया कि इस कार्यशाला में मेरठ शहर के अतिरिक्त कई शहरों से आये लगभग 70 विद्यार्थियों ने भाग लेकर इस अति प्राचीन परम्परा के संवर्धन हेतु सीखने का प्रयास किया। कार्यशाला तीन दिन तक चलेगी। जिसमें विद्यार्थियों का ज्ञान वर्धन किया जाएगा। कार्यशाला के तीसरे दिन विद्यार्थियों द्वारा कार्यशाला में सीखे गए ध्रुपद का भव्य मंचन सत्यजीत रे प्रेक्षागृह में किया जाएगा।मंच संचालन डॉ. श्वेता चौधरी के द्वारा किया गया। जिसमें विभाग के सभी सदस्य डॉ. इन्द्रेश मिश्रा, श्वेता सिंह, निशी चौहान, मेहराज खान, फरदीन हुसैन, अक्षय शर्मा, भुवन भटनागर, अभिषेक मिश्रा आदि उपस्थित रहे।



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Shalini singh

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