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Meerut News: खुद को भर्ती बोर्ड का कर्नल बताने वाले करोड़ों की ठगी के आरोपी को पुलिस ने भेजा जेल
Meerut News:आरोपी के पास से पांच ज्वाइनिंग लेटर, पांच स्टांप, एक प्रिंटर, एक कर्नल की वर्दी और एक फर्जी पहचान पत्र बरामद हुए हैं।
Meerut News: नाम बदलकर और खुद को भर्ती बोर्ड का कर्नल डीएस चौहान बताकर कई राज्यों के युवाओं से करोड़ों रुपये ठगने वाले सत्यपाल सिंह यादव को मंगलवार को जेल भेज दिया गया। गंगा नगर पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस के अनुसार आरोपी के पास से पांच ज्वाइनिंग लेटर, पांच स्टांप, एक प्रिंटर, एक कर्नल की वर्दी और एक फर्जी पहचान पत्र बरामद हुए हैं। खास बात यह कि कर्नल बनकर पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं को ठगने वाला सत्यपाल सिंह खुद महज दसवीं पास है। 2003 में सेना में ड्राइवर के पद से रिटायर सत्यपाल सिंह फर्जी नाम यानी कर्नल डीएस चौहान के नाम की प्लेट लगाकर युवाओं को अपने जाल में फंसाता था।
फौज में क्लर्क के पद पर भर्ती कराने के नाम पर 16 लाख रुपए लिए
गंगा नगर पुलिस के अनुसार शिकायतकर्ता की तहरीर पर आरोपी के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 171, 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर उसे आज जेल भेज दिया गया। पुलिस के अनुसार फर्जी कर्नल उस समय आर्मी इंटेलिजेंस व मेरठ एसटीएफ की संयुक्त टीम के जाल में फंसा जब उसने सुनील यादव, उसकी बहन पूनम कुमारी को फौज में एलडीसी क्लर्क के पद पर भर्ती कराने के नाम पर 16 लाख रुपए दो साल पहले लिए थे। यह रकम लेकर सत्यपाल ने सुनील और उसकी बहन पूनम दोनों के नाम मई में ज्वॉइनिंग लेटर दिया था।
लेकिन जब भाई-बहन ज्वॉइनिंग लेटर लेकर 7 मई को लखनऊ रिक्रूटमेंट ऑफिस हेड क्वार्टर 236 एमजी रोड लखनऊ कैंट 2 पहुंचे तो उन्हें अपने ठगे जाने का पता चला। जिसके बाद आर्मी इंटेलिजेंस चैकस हुई। आर्मी इंटेलिजेंस और एसटीएफ मेरठ की संयुक्त टीम द्वारा फर्जी कर्नल सत्यपाल के कसेरूखेड़ा स्थित मकान पर छापा मारकर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में पता चला कि सत्यपाल का बेटा रजत उर्फ देवेंद्र अपने लैपटॉप पर टाइप करके फर्जी ज्वानिंग लेटर का प्रिंट निकालता था, फिर उन लेटर को लेटर विभिन्न जगहों से स्पीड पोस्ट करता था।
झांसे में लेने के लिए कर्नल की वर्दी पहनता था
जांच कर रही संयुक्त टीम के अनुसार महज दसवीं पास सत्यपाल 1985 में इंडियन आर्मी में भर्ती हुआ था। आर्मी में तैनाती के दौरान उसकी पोस्टिंग मेरठ, लखनऊ सेंटर, सिक्किम, अमृतसर, श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर में रही है। 2003 में वह नायक की रैंक पर ड्राइवर की पोस्ट से रिटायर हुआ था। रिटायरमेंट के 3 साल बाद सत्यपाल को पैरालिसिस हो गया था। इसके बाद सत्यपाल ने पैसा कमाने के लिए यह तरीका निकाला। सत्यपाल सिंह लोगों को झांसे में लेने के लिए कर्नल की वर्दी पहनता था। इसके अलावा अपने साथ कुछ लड़कों को फौजी की वर्दी में रखता था ताकि किसी को उसके कर्नल होने पर किसी तरह का शक ना हो।
13 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी
क्योंकि सत्यपाल सिंह पुणे में तैनात कर्नल डीएस चैहान की गाड़ी चलाता था। इसलिए कर्नल के बात करने के तरीके आदि से वह भली-भांति परिचित हो गया था। रिटायर होने के बाद सत्यपाल सिंह ने कर्नल डीएस चौहान के नाम की ही प्लेट बनवाई। कर्नल की वर्दी पहनकर एक फर्जी फोटो आईडी भी तैयार कर ली थी। अब तक 30 से 40 युवकों से लगभग 13 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम ठग चुका है। सत्यपाल पर 2019 में मेरठ में धारा 420, 406, 506 मुकदमा भी हो चुका है।