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Meeut News: हिंदी दिवस समारोह में बोले प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी- हिंदी दुनिया की बड़ी भाषा

Meeut News: हिंदी दिवस समारोह के पूर्व दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हिंदी दिवस हिंदी के संवैधानिक अधिकार का स्मरण दिवस है

Sushil Kumar
Published on: 13 Sept 2024 6:34 PM IST
Meerut News ( Pic- Newstrack)
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Meerut News ( Pic- Newstrack)

Meerut News: हिंदी दुनिया की बड़ी भाषा है। हम सभी को हिंदी अपनी मातृभाषा की भांति अपनाना चाहिए। यह कहना है चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य एवम विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी का। वे आज यहां हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में हिंदी दिवस समारोह के पूर्व दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हिंदी दिवस हिंदी के संवैधानिक अधिकार का स्मरण दिवस है। संविधान समिति में शामिल सदस्यों ने हिंदी को उसका उचित सम्मान प्रदान किया।

अब हमारा और नवीन पीढ़ी का कर्तव्य है कि व्यवहार में भी हिंदी के प्रयोग को सुनिश्चित करें और भारतीय संस्कृति और साहित्य के विकास की परंपरा से खुद को जोड़ें। नई पीढ़ी के लिए विरासत में हिंदी को मजबूत भाषा की तरह आगे भेजें ताकि भारत की नवीन पीढ़ी हिंदी में अपना भविष्य देख सके। शुद्धता किसी भी भाषा का पैमाना नहीं होती।इस मौके पर निबंध लेखन एवं आशु भाषण प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। निबंध प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के 17 विभागों से 33 विद्यार्थियों ने प्रतिभागिता की और आशु भाषण में 12 विभागों के 22 विद्यार्थियों ने प्रतिभागिता की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राम किशोर उपाध्याय ने कहा कि इस प्रकार के प्रतियोगी कार्यक्रमों से हमारी अपनी भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ती है। अभिव्यक्ति की भाषा सरल होनी चाहिए। कोई भी भाषा तब तक समृद्ध नहीं होती जब तक उसमें अन्य भाषाओं के शब्दों को शामिल नहीं किया जाता। इससे अभिव्यक्ति की व्यापकता का विस्तार होता है। हिंदी में बोलने वालों की संख्या अरबों में है लेकिन हिंदी भाषा में अभी तक कोई नोबेल पुरस्कार नहीं मिल पाया है; ऐसे उत्कृष्ट साहित्य लेखन की संभावना अभी भी हिंदी में है। हिंदी के लिए कथनी से अधिक करनी की आवश्यकता है।

निर्णायक मंडल में प्रोo कविता त्यागी ने कहा कि सर्वप्रथम जिन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित किया उनमें अहिंदी भाषी लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही इसलिए हिंदी किसी क्षेत्र का मुद्दा नहीं है बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता की पहचान है। विद्यार्थियों ने विभिन्न विषयों पर गंभीर रूप से विचार अभिव्यक्ति की। विद्यार्थियों को लोक भाषा का प्रयोग भी अपने विचार अभिव्यक्ति में करना चाहिए। प्रोo रविंद्र प्रताप राणा ने कहा कि हमें अपनी बात करते समय छोटे-छोटे वाक्य में अपनी बात को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करना चाहिए। लंबे वाक्य से विचार में अस्पष्टता और बोझिलता आती है। सोशल मीडिया में क्षेत्रीय बोलियों को अपार सफलता मिली है। विभिन्न व्यवसायों से जुड़े लोग क्षेत्रीय भाषाओं में सोशल मीडिया पर सफल हो रहे हैं। हिंदी अन्य भाषाओं से भी शब्द ग्रहण करती रही है। देश की स्थानीय बोलीयों के शब्दकोष को भी हिंदी में शामिल किया जाना चाहिए। साहित्य जटिल, परिष्कृत और बोझिल शब्दों की ओर झुक रहा है हमें देशज बोलियों के शब्दों और साहित्य को भी अपनाना चाहिए।

डॉ कविश्री ने कहा की प्रतियोगिता में तत्काल विषय चयन होने के बावजूद भी विद्यार्थियों की अभिव्यक्ति क्षमता मजबूत रही। विद्यार्थियों को अपनी भाषा मे शब्दकोश को बढ़ाना चाहिए जिससे उनकी अभिव्यक्ति और अधिक मजबूत बन सके। प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों के कौशल और योग्यताओं को निखारने का काम करती हैं।स्टेट बैंक के पूर्व सहायक महाप्रबंधक श्री भारत भूषण ने कहा कि हमें अपनी हिंदी को अपनाना है। अपनी बोली कौरवी का मान करना है। हिंदी को बोलने में शर्म नहीं करनी चाहिए हिंदी हमारा गर्व है और इसे गर्व के साथ ही अपनी भाव अभिव्यक्ति और विचार अभिव्यक्ति के लिए माध्यम बनाएं।इस अवसर पर डॉ आरती राणा, डॉ अंजु, डॉ विद्यासागर सिंह, विनय कुमार, पूजा यादव, सचिन कुमार, रेखा सोम, ख्याति भारद्वाज, सृष्टि, प्रिंसी, आयुषी त्यागी, शुभम शर्मा आदि शामिल रहे।

सुशील कुमार मेरठ

Shalini Rai

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