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Meerut News: हिंदी दिवस पर बोले प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा,भाषा की संस्कृति से छेड़छाड़ करना ठीक नहीं

Meerut News: अध्यक्ष कला संकाय एवं कार्यक्रम अध्यक्ष प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि भाषा अपनी संस्कृति, आचरण और व्यवहार को लेकर चलती है।

Sushil Kumar
Published on: 14 Sept 2024 7:28 PM IST
Meerut News ( Pic- Newstrack)
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Meerut News ( Pic- Newstrack)

Meerut News: आज यहां हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में हिंदी दिवस के अवसर पर राजभाषा हिंदी : तकनीक और अनुवाद विषय पर आयोजित संगोष्ठी में अध्यक्ष कला संकाय एवं कार्यक्रम अध्यक्ष प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि भाषा अपनी संस्कृति, आचरण और व्यवहार को लेकर चलती है। सरलता के नाम पर किसी भाषा की संस्कृति से छेड़छाड़ करना ठीक नहीं है। मातृभाषा के नाम पर हिंदी के साथ स्वच्छंदता पूर्ण व्यवहार करते हैं। हमें हिंदी की शुद्धता के प्रति सचेत होना चाहिए। प्राचीन भारत में भाषाओं का संघर्ष नहीं रहा। यूरोप की संकल्पना भाषाई संघर्ष पर आधारित है किंतु भारत की नहीं। सामान्य जीवन में हमें अपने हस्ताक्षर हिंदी में ही करने चाहिए, इससे हमारी पहचान निर्धारित होती है और हिंदी को मातृभाषा के रूप में गौरव मिलता है।

इस अवसर पर पूर्व दिवस में आयोजित निबंध लेखन और आशु भाषण प्रतियोगिता में विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया साथ ही डॉक्टर महिपाल वर्मा पुरस्कार हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग की एम.ए. सत्र 23- 24 में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर्ता प्रथम दो विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया। साथ ही शांति देवी राजकीय संगठक महाविद्यालय जेवर के बी.ए. की परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर्ता प्रथम दो विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। जिसमें प्रथम पुरस्कार ₹10 हजार और द्वितीय पुरस्कार ₹5000 प्रदान किए गए। एम.ए. हिंदी से गरिमा सिंह ने प्रथम पुरस्कार और कीर्ति मिश्रा ने द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया और शांति देवी राजकीय संगठक महाविद्यालय जेवर से कुमारी वंदना ने प्रथम पुरस्कार और काजल त्यागी ने द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने कहा कि भाषा की कोठरियां नहीं हुआ करती। आजादी से पहले सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने हिंदी को एकमत से अपनाया लेकिन राजभाषा बनते समय यह मुद्दा विरोध का मुद्दा बना और भाषा के राजभाषा, संपर्क भाषा, राष्ट्रभाषा आदि कई रूप बने और इसी विरोध का नतीजा यह रहा की 15 साल का हिंदी प्रशिक्षण समय हिंदी को दिया गया। वही हिंदी के लिए सबसे बड़ी अड़चन बना। बाद में हिंदी भाषी भी हिंदी को पहचान ना सके। हिंदी की शक्ति और सामर्थ्य से मीडिया दौड़ा है। तकनीक के आने से हिंदी में रोजगार के नए क्षेत्र सृजित हुए हैं। हिंदी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाएं भी तकनीक के साथ लगातार विकास कर रही हैं। फिल्में भी इस क्षेत्र में नए विकल्पों को सृजित कर रही है। विकसित भारत का आधार भारतीय भाषाएं ही बनेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी रोजगार के नए क्षेत्र का सृजन करती हैं। नया भारत भारतीय भाषाओं की गरिमा को लौटा रहा है। भारतीय भाषाओं के साथ ही विकसित भारत की संकल्पना साकार होगी।

मुख्य अतिथि राजेंद्र सिंह ने कहा कि मानव सभ्यता के विकास का मुख्य आधार भाषा रही हैं। भारत में सर्वाधिक जनसंख्या हिंदी बोलने वालों की है। किसी भी भाषा का विकास उसमें रोजगार की संभावनाओं से जुड़ा होता है और हिंदी में इसकी पर्याप्त संभावनाएं हैं।मुख्य अतिथि डॉ अमरनाथ अमर ने कहा कि हिंदी के कई रूप हैं, साहित्य पठन-पाठन, मीडिया और व्यवहार में हिंदी अनेक रूपों में प्रयोग की जाती है। हिंदी शब्दकोश में विविधता है अनेक बोली और भाषाओं और विदेशी भाषाओं के शब्दों को हिंदी ने ग्रहण किया है। अनुवाद भाषा के प्रचार प्रसार का मुख्य माध्यम है। आकाशवाणी और दूरदर्शन में भी अनुवाद के पद है। दूरदर्शन में क्षेत्रीय भाषाओं के लिए भी महत्वपूर्ण कार्य हो रहे हैं।

कार्यक्रम समन्वयक और विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा और लिपि पर महत्वपूर्ण कार्य हो रहे हैं। अनुवाद के क्षेत्र में भी हिंदी में लगातार अनुवाद कार्य हो रहे हैं। रोजगार के क्षेत्र में भी अनुवाद ने नए क्षेत्र से हिंदी भाषा को परिचित कराया है। तकनीक के साथ जुड़कर हिंदी समसामयिक संदर्भों से जुड़ती है। हिंदी में लगातार नए शब्दकोश और सॉफ्टवेयर निर्माण के कार्य हो रहे हैं। इंटरनेट ने भी ट्रांसलेशन के द्वारा हिंदी में काम करना सुगम बनाया है। भारत सरकार भी तकनीक और हिंदी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। अनुवादिनी आदि सॉफ्टवेयर ने भारतीय भाषाओं में अनुवाद को सरल बनाया है। वैश्विक स्तर पर हिंदी में लगातार नए कार्य हो रहे हैं और हिंदी का भविष्य उज्जवल है।हिंदी दिवस के अवसर पर प्रो. के.के शर्मा, प्रोफेसर रविंद्र प्रताप राणा, प्रोफेसर विघ्नेश कुमार, डॉ अनुज अग्रवाल, डॉ आरती राणा, डॉ यज्ञेश कुमार, डॉ विद्यासागर सिंह, डॉ निर्देश, डॉ सुमित, विनय कुमार, पूजा यादव, पवन गोस्वामी, सचिन कुमार, रेखा सोम, विशाल, नेहा, प्रतीक्षा, प्रिंस, नेहा ठाकुर, एकता चौधरी, रिया सिंह, शौर्य सिंह, अक्षय मुकुट आदि उपस्थित रहे।



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Shalini Rai

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