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Meerut News: इंजीनियरिंग कॉलेज के सहायक प्रोफेसर आशुतोष मिश्रा के प्रोजेक्ट को मिली स्वीकृति

Meerut News: 94 हजार की फंडिंग का प्रोजेक्ट इंजीनियर आशुतोष मिश्रा को मिला है, जिसे 6 महीने में उन्हें पूर्ण करके सबमिट करना है।

Sushil Kumar
Published on: 22 May 2024 12:41 PM GMT (Updated on: 23 May 2024 10:57 AM GMT)
The project of Assistant Professor Ashutosh Mishra of Engineering College got approval
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इंजीनियरिंग कॉलेज के सहायक प्रोफेसर आशुतोष मिश्रा के प्रोजेक्ट को मिली स्वीकृति: Photo- Newstrack

Meerut News: प्रदेश के मेरठ में चौधरी चरण सिंह विवि (सीसीएसयू) परिसर में संचालित सर छोटू राम इंजीनियरिंग कॉलेज के सहायक प्रोफेसर इंजीनियर आशुतोष मिश्रा को उन्नत भारत अभियान के तहत नेशनल कोऑर्डिनेशन इंस्टिट्यूट आईआईटी दिल्ली की ओर से 94 हजार रुपए की फंडिंग का प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ।

विवि के प्रवक्ता ने बताया कि लगभग 400 लोगों ने अपने प्रोजेक्ट्स के लिए अप्लाई किया, इनमें से लगभग 40 की प्रेजेंटेशन हुई थी, उनमें से सर छोटू राम अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के इंजीनियर आशुतोष मिश्रा का प्रपोजल एक्सेप्ट हुआ है, जो वेबसाइट पर चिन्हित है। अब यह 94 हजार की फंडिंग का प्रोजेक्ट इंजीनियर आशुतोष मिश्रा को मिला है, जिसे 6 महीने में उन्हें पूर्ण करके सबमिट करना है।

गन्ना बुवाई में मशीन करेगी मदद

इंजिनियर मिश्रा के अनुसार, गन्ना भारत वर्ष खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण नकदी फसल है, जिसका उपयोग चीनी अथवा गुड़ बनाने में किया जाता है। इसकी बुवाई मशीन द्वारा अथवा मैनुअल की जाती है। मशीन से बुवाई करने में समय कम लगता है। मजदूरी लागत भी कम लगती है। खर्चा कम आता है तथा उत्पादन ज्यादा होता है। मशीन में प्रयुक्त पारंपरिक तरीके से कटिंग ब्लेड को पावर या तो ग्राउंड व्हील से दी जाती है अथवा ट्रैक्टर के पावर ट्रेक ऑफ यूनिट द्वारा दी जाती है। किसी कारण से यदि ट्रैक्टर रुक जाता है तो पावर ट्रेक ऑफ यूनिट चलने के कारण कटिंग होती रहती है तथा ग्राउंड बिल रुक जाता है तो कटिंग नहीं हो पाती। विभिन्न वैरायटी के गन्ने के गांठ के बीच की दूरी सामान नहीं होती, जिससे उसकी साइज पर असर होता है। इस मशीन का उपयोग केवल गन्ना बोने के लिए किया जाता है, बाकी समय मशीन खाली रहती है।

नई तकनीक के आधार पर होगी डेवलप

प्रॉजेक्ट के अंतर्गत उपरोक्त समस्या को डिटेक्ट करके एक नई टेक्नोलॉजी डेवलप की जाएगी। यह सिस्टम सोलर प्लेट तथा बैटरी की मदद से चलेगा। इसमें एक रेगुलेटर लगाया जाएगा, जिससे ब्लेड की स्पीड को कंट्रोल किया जा सके। इसमें एक सेंसर लगाया जाएगा, जो ब्लेड को तभी चलने देगा जब उसे गन्ना छूएगा। इसकी मोटर को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि पावर की मदद से चारा काटने की मशीन को भी चलाया जाए। जब इससे गन्ना नहीं काटा या बोया जा रहा हो तो सोलर प्लेट और बैटरी उपलब्ध होने के कारण एक बार चार्ज होने पर 8 घंटे पावर उपलब्ध रहेगी। जब इसको चारा काटने की मशीन की तरह इस्तेमाल नहीं करना है, तो इसकी ब्लेड को चेंज करके पंखे के ब्लेड को लगाकर 8 घंटे तक हवा ली जा सकती है तथा उसमें एक बल्ब लगाकर रोशनी का भी प्रोविजन किया गया है।

इसके साथ-साथ इसमें एक चार्जर भी लगा दिया है, जिससे किसान भाई अपने मोबाइल को फील्ड पर या घर पर फोन इत्यादि चार्ज कर सकें। आज इसके लिए संस्थान के निदेशक ने डॉक्टर इंजीनियर आशुतोष मिश्रा को बधाई दी।

प्रोजेक्ट को छह महीने में करना होगा सबमिट

विवि के प्रवक्ता ने बताया कि लगभग 400 लोगों ने अपने प्रोजेक्ट्स के लिए अप्लाई किया, इनमें से लगभग 40 की प्रेजेंटेशन हुई थी, उनमें से सर छोटू राम अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के इंजीनियर आशुतोष मिश्रा का प्रपोजल एक्सेप्ट हुआ है, जो वेबसाइट पर चिन्हित है। अब यह 94 हजार की फंडिंग का प्रोजेक्ट इंजीनियर आशुतोष मिश्रा को मिला है, जिसे 6 महीने में उन्हें पूर्ण करके सबमिट करना है।

प्रवक्ता के अनुसार, इस सौर ऊर्जा संचालित बहुउद्देशीय गन्ना कटिंग ब्लेड सिस्टम प्रोजेक्ट का विषय डेवलपमेंट आफ एनर्जी एफिशिएंट सॉल्यूशन फॉर डायवर्स एग्रीकल्चर नीड्स : सेंसर एनहैंस्ड सुगरकेन कटिंग टेक्नोलॉजी है। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला के मार्गदर्शन तथा संस्थान के निदेशक प्रोफेसर नीरज सिंघल के सहयोग से सर छोटू राम अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान को उन्नत भारत अभियान के नेशनल कोऑर्डिनेशन इंस्टीट्यूशन आईआईटी दिल्ली द्वारा उपरोक्त टॉपिक पर एक रिसर्च प्रपोजल इंजीनियर आशुतोष मिश्रा, असिस्टेंट प्रोफेसर एजी विभाग को स्वीकृत किया गया।

Shashi kant gautam

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