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Lok Sabha Election 2024: RLD-BJP के मिलन से पश्चिमी यूपी के बीजेपी सांसदो के संसद में फिर से जाने की राह हुई मुश्किल

Lok Sabha Election 2024: संसद में जाने की राह जिनकी मुश्किल मानी जा रही है उनमें सबसे पहला नाम बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह का है।

Sushil Kumar
Published on: 11 Feb 2024 2:12 PM IST
Lok Sabha Election 2024
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पीएम मोदी और जयंत चौधरी (सोशल मीडिया)

Lok Sabha Election 2024: आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी के एनडीए में शामिल होने से दोनो पार्टियों के कई नेताओं के फिर से संसद में जाने की राह मुश्किल मानी जा रही है। इनमें खासकर बीजेपी के बड़े जाट नेता शामिल हैं। दरअसल,बीजेपी ने पश्चिमी यूपी जिसको जाटलैंड भी कहा जाता है में मुज़फ़्फ़रनगर से सांसद संजीव बालियान को राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह को शिकस्त देने के ईनाम के तौर पर केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी और मुरादाबाद के बाशिंदे भूपेन्द्र चौधरी को प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बनाया, नौकरशाह से नेता बने सत्यपाल सिंह को बागपत से सांसद बनवाया। इसके बावजूद इलाक़े में किसानों के नेता के रूप में जयंत चौधरी की पकड़ को वो चुनौती नहीं दे सकी।

संसद में जाने की राह जिनकी मुश्किल मानी जा रही है उनमें सबसे पहला नाम बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह का है। 2014 में जिस वक्त नरेंद्र मोदी ने पहली बार पीएम पद की शपथ ली थी, तब कयास लगाए जा रहे थे कि मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे सत्यपाल सिंह को वरीयता दी जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ था, हालांकि मोदी सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद कुछ कारणों से संजीव बालियान को मंत्रिपद से हटाकर सत्यपाल सिंह को मंत्री बनाया था। नौकरशाह से नेता बने बागपत लोकसभा सीट से सांसद सत्यपाल सिंह का लोकसभा चुनाव में टिकट कटना तय माना जा रहा है क्योंकि बागपत सीट बीजेपी जयंत को जैसा कि सूत्रों का रहना है कि दे चुकी है। यही नहीं जयंत खुद इस सीट पर चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर चुके हैं। फिलहाल, सत्यपाल सिंह अपने लिए किसी दूसरी सुरक्षित जाट बाहुल्य सीट की तलाश में जुटे हैं।

मुज़फ़्फ़रनगर से सांसद संजीव बालियान की बात की जाए तो मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर संजीव बालियान लगातार दूसरी बार जीत कर सांसद हैं। लेकिन, इस सीट पर आरएलडी का दावा है। ऐसे में उनका टिकट कटना भी तय मामना जा रहा है। आरएलडी इस सीट पर किसी हाल में समझौता करने के मूड में भी नहीं है। जैसा कि रालोद के राष्ट्रीय सचिव राज कुमार सांगवान का कहना है कि इस सीट पर समझौता नहीं हो सकता क्योंकि 2013 के बाद रालोद के संस्थापक अजित सिंह ने यहाँ जाटों और मुलसमानों को साथ लाने के लिए काफ़ी काम किया था, लेकिन वो 2019 चुनाव में संजीव बालियान से बेहद कम मतों के अंतर से हार गए। सागंवान के अनुसार, "जब हम ये सीट सपा को नहीं दे सकते तो ये सीट बीजेपी को देने का सवाल कहाँ से उठता है?"

मुज़फ़्फ़नगर की पाँच विधानसभा सीटों में से दो-दो पर सपा और रालोद को जीत मिली थी, वहीं एक पर बीजेपी काबिज़ है। पिछले चुनाव में बिजनौर सीट हालांकि बीजेपी हार गई थी। यहां बसपा-सपा गठबंधन उम्मीदवार की जीत हुई थी। लेकिन,यहां बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष एंव जाट नेता मोहित बेनिवाल से लेकर सदर विधायक पति ऐश्वर्य मौसम चौधरी भाजपा के टिकट दावेदारो की लंबी फेहरिस्त है। मोहित बेनिवाल चांदपुर और सदर विधायक पति ऐश्वर्य मौसम चौधरी तो जनवरी की शुरुआत से क्षेत्र में कई जनसभाएं भी कर चुके हैं। अब यह सीट रालोद के खाते में जाना लगभग तय ही माना जा रहा है। ऐसे में जहां भाजपा के दावेदारो के अरमान अस्त होते दिख रहे हैं।



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Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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