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Meerut News: नवाचार और बौद्धिक संपदा अधिकारों पर वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने दिया लेक्चर

Meerut News: स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के शोध विकास प्रकोष्ठ ने बहुविषयक अध्ययन एवं शोध केंद्र के सहयोग से सतत विकास एवं विकसित भारत के लिए शोध, नवाचार एवं बौद्धिक संपदा अधिकार विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।

Sushil Kumar
Published on: 30 Oct 2024 3:59 PM IST
Meerut News: नवाचार और बौद्धिक संपदा अधिकारों पर वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने दिया लेक्चर
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Meerut News (Pic- Newstrack)

Meerut News: स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के शोध विकास प्रकोष्ठ ने बहुविषयक अध्ययन एवं शोध केंद्र के सहयोग से सतत विकास एवं विकसित भारत के लिए शोध, नवाचार एवं बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें देश-विदेश के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं एवं विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। मुख्य अतिथि आणविक इमेजिंग एवं शोध केंद्र इनमास नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. अनिल मिश्रा ने कहा कि सतत विकास एवं विकसित भारत के लिए शोध, नवाचार एवं बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) विषय बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत के विकास में देश के नागरिकों की भूमिका एवं उनके विकास का बहुत महत्व है। उन्होंने कहा कि जीवन के हर पहलू में विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं शोध को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

नवाचार विकास की राह को सुगम बनाते हैं और विकसित भारत के लिए समाज के हर स्तर पर शोध से सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने सुभारती विश्वविद्यालय के शोध विकास प्रकोष्ठ के सहयोग से बहुविषयक अध्ययन एवं शोध केंद्र द्वारा सतत विकास एवं विकसित भारत के लिए शोध, नवाचार एवं बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) विषय पर आयोजित भव्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन पर प्रसन्नता व्यक्त की और शुभकामनाएं दीं।

आईपीआर की आवश्यकता पर जोर दिया गया

अंतर्राष्ट्रीय कृषि विश्वविद्यालय उज्बेकिस्तान के कृषि विज्ञान एवं व्यवसाय संकाय के डीन जाखोंगीर अलीमोव ने कहा कि आईपीआर का मुख्य उद्देश्य देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए उपयोगकर्ता देशों द्वारा वाणिज्यिक लाभ, प्रौद्योगिकी साझाकरण, नवाचार और सर्वोत्तम वैश्विक प्रयासों के बारे में जानकारी प्रसारित करना है। उन्होंने आईपीआर की आवश्यकता पर जोर दिया और स्टार्ट-अप और उद्यमिता के रूप में शोध परिणामों के अवसर के बारे में भी जानकारी दी।

डॉ. बिनय कुमार चक्रवर्ती, पूर्व निदेशक डीओएफएफ और मत्स्य वैज्ञानिक, बांग्लादेश ने कहा कि टिकाऊ जलीय कृषि उत्पादन प्रणालियों को डिजाइन करने के लिए पर्यावरणीय परिणामों और शमन रणनीतियों की समझ की आवश्यकता होती है। 2050 तक, जलीय कृषि में समुद्री शैवाल के अलावा फिनफिश और अन्य अकशेरुकी सहित समुद्री भोजन उत्पादन का अधिकांश हिस्सा शामिल होगा। बढ़ती नौ अरब मानव आबादी को जलीय कृषि और मत्स्य पालन सहित टिकाऊ और स्वस्थ खाद्य उत्पादन प्रणालियों की आवश्यकता है, जिसके लिए समुद्री शैवाल और अन्य समुद्री खाद्य उत्पादों का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए उपभोग पैटर्न में बदलाव की आवश्यकता है।

सम्मेलन में सबने विचार साझा करके सभी का ज्ञान बढ़ाया

उज्बेकिस्तान से आई एकेडमी ऑफ साइंसेज, जेनेटिक्स एंड प्लांट एक्सपेरीमेंटल बायोलॉजी की प्रोफेसर दिलफुजा जब्बारोवा ने कहा कि बौद्धिक संपदा को दिमाग की उपज कहा जाता है, इसका उपयोग केवल आविष्कारक ही कर सकता है। उन्होंने कहा कि शोध और नवाचार विकास की नींव हैं, इसकी मदद से देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा सकता है।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य संयोजक और डीन अकादमिक एवं शोध निदेशक प्रोफेसर एपी गर्ग ने सम्मेलन में आए अतिथियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि विकसित भारत एक व्यापक रणनीति है, जिसमें प्रगति के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और तकनीकी पहलू शामिल हैं। इस संबंध में भारत के उच्च शिक्षा संस्थान उच्च योग्यता वाले लोगों के ज्ञान, रचनात्मकता और संसाधनों के केंद्र के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में देश-विदेश के प्रख्यात वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने सतत विकास और विकसित भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, शोध, नवाचार और बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) विषय पर अपने अनुभव और विचार साझा करके सभी का ज्ञान बढ़ाया। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रबंधन सहित सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में ये रहें शामिल

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उज्बेकिस्तान नेशनल यूनिवर्सिटी से माइक्रोबायोलॉजी एवं बायोटेक्नोलॉजी की प्रोफेसर शाक्षिता ताशमुखा मेदोवा, उज्बेकिस्तान नेशनल यूनिवर्सिटी से माइक्रोबायोलॉजी एवं बायोटेक्नोलॉजी की प्रोफेसर जुखरा कादिरोवा, उज्बेकिस्तान नेशनल यूनिवर्सिटी से माइक्रोबायोलॉजी एवं बायोटेक्नोलॉजी की प्रोफेसर सितौरा समदिया, जर्मनी से डॉ. क्रिस्टोफर, लॉस एंजिल्स कैलिफोर्निया यूएसए से माइक्रोबायोलॉजी फार्मवीट एलएलसी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जगपाल सिंह, यूएस से मोनिका गुप्ता, रिसर्च सेंटर ट्राइसे रोटोंडेला एमटी एटली के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वी.के. शर्मा, राष्ट्रीय मृदा विज्ञान अनुसंधान केंद्र नेपाल से प्रमुख एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रसाद विस्टा, कैलिफोर्निया से फार्म कॉन कंपनी से वैज्ञानिक डॉ. दीपा, यूएस से हेल्थ केयर प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. बाजीराव पाटिल, जर्मनी से यूरोपियन मेडिकल एसोसिएशन की प्रोफेसर अमीना अख्तर, न्यूजीलैंड से ईएचएस विशेषज्ञ डॉ. मोविन खान, नेशनल यूनिवर्सिटी उज्बेकिस्तान के बायोलॉजी से डॉ. सोकिबजान अब्दुस्मातोव ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के विषय पर संबोधित किया और अपने विचार रखे।



Ragini Sinha

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