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Parents Workshop: बच्चों को मोबाइल फोन की जगह अन्य विकल्प प्रदान करें: शमनम फिरदौस
Parents Workshop: प्रो संजय कुमार ने कहा, मेंटल हेल्थ मिशन इंडिया अपने प्रोग्राम काउंसिलिंग लैब के माध्यम से स्कूलों में विद्यार्थियों के सर्वांगीर्ण विकास के साथ उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से भविष्य में आने वाली चुनौतियों और तनाव से लड़ने के लिए तैयार कर रहा है।
Meerut News: आज यहां डी. आर. एस. पब्लिक स्कूल में मनोविज्ञान विभाग, चौचसिंह विवि मेरठ के पुरातन विद्यार्थियों द्वारा विकसित संस्था मेंटल हेल्थ मिशन इंडिया द्वारा संचालित काउंसिलिंग लैब के अंतर्गत एक पैरेंट्स वर्कशॉप का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आरम्भ में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थिति मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो0 संजय कुमार ने बताया कि मेंटल हेल्थ मिशन इंडिया अपने प्रोग्राम काउंसिलिंग लैब के माध्यम से स्कूलों में विद्यार्थियों के सर्वांगीर्ण विकास के साथ उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से भविष्य में आने वाली चुनौतियों और तनाव से लड़ने के लिए तैयार कर रहा है।
वर्कशॉप का उद्देश्य बताते हुए उन्होंने कहा कि आज के बच्चों को समझने और उनके सही लालन-पालन के लिए अभिभावकों को उनके साथ क्वालिटी टाइम बिताने की आवश्यकता है। आज ज्यादातर अभिभावक पहले खुद के लिए समय निकलने की वजह से अपना मोबाइल अपने बच्चों के हाथ में स्वयं ही देते हैं और फिर बाद में परेशान होते हैं। जिसके लिए उन्हें जागरूक होने की आवश्कता है।
बच्चों के साथ अधिक से अधिक क्वॉलिटी टाइम व्यतीत करें माता-पिता
वर्कशॉप की मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय की सहायक आचार्य कु शमनम फिरदौस ने अभिभावकों को आपने बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के तरीके बताते हुए कहा कि बच्चों को छोटी उम्र में मोबाइल फोन की लत से बचाने के लिए उनकी रुचियों को जानने की कोशिश करें और उन्हें मोबाइल फोन की जगह अन्य विकल्प प्रदान करें। उन्होंने बताया कि माता-पिता को अपने बच्चों के साथ अधिक से अधिक क्वॉलिटी टाइम व्यतीत करना चाहिए जिससे उन्हें अपने बच्चों और उनकी भावनाओं को समझने का मौका मिलता है।
मोबाइल से दूर रखें बच्चों को
उन्होंने बताया कि आज बच्चों को स्क्रीन टाइम के साथदृसाथ प्रतिदिन बढ़ते साइबर क्राइम-साइबर बुलिंग’ से और भी ज्यादा खतरा हैं। जिसके लिए माता-पिता को सतर्क रहने की आवश्यकता है की उनके बच्चे मोबाइल में क्या देख रहे हैं और किसके साथ समय व्यतीत कर रहे हैं। उन्हें अपने बच्चों को आश्वासन देते रहना चाहिए कि यदि कभी उनके बच्चे ऐसी किसी घटना का शिकार होते हैं तो वे बेझिझक उनके साथ अपनी समस्या साझा करें और वे अपने बच्चों के साथ सहयोग के लिए खड़े रहेंगे।
तत्पश्चात मनोविज्ञानिक रचना सैनी ने प्रोग्राम का निष्कर्ष करते हुए कहा कि अभिभावकों को खुद का स्क्रीन टाइम भी मॉनिटर करना चाहिए क्योंकि बच्चे अंततः हमसे ही सीखते हैं और इसका उन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। प्रोग्राम में स्कूल के शिक्षक, मेहताब, पारुल गुप्ता, आशा तारिक, प्रतिभा गौतम आदि विद्यार्थियों के अभिभावक उपस्थित थे।