Meerut News: सैटेलाइट निगरानी के बाद भी पराली जलाई, चार किसानों पर लगाया जुर्माना

Meerut News: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के द्वारा सेटेलाइट के माध्यम जनपद मेरठ में कुल सात पराली जलाने की घटना प्रकाश में आई हैं।

Sushil Kumar
Published on: 20 Oct 2024 5:04 PM GMT
Stubble burning despite satellite monitoring, fine imposed on four farmers
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सैटेलाइट निगरानी के बाद भी पराली जलाई, चार किसानों पर लगाया जुर्माना: Photo- Social Media

Meerut News: पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए सरकार ने पराली जलाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। साथ ही निगरानी के लिए जगह-जगह सेटेलाइट की व्यवस्था की है। जिसके माध्यम से पराली जलाने की जानकारी मिलती है। अधिकारियों की मानें तो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के द्वारा सेटेलाइट के माध्यम से विभिन्न जनपदों में पराली जलाने की निगरानी की जा रही है। लेकिन इसके बावूजद भी जनपदों में पराली जलाने की घटना नही रूक पा रही है।

पराली जलाने के मामले

मेरठ की बात करें तो जैसा कि उपनिदेशक कृषि नीलेश चौरसिया ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के द्वारा सेटेलाइट के माध्यम जनपद मेरठ में कुल सात पराली जलाने की घटना प्रकाश में आई हैं। इनमें विकासखण्ड मेरठ, खरखौदा, जानी, दौराला और परीक्षितगढ़ में एक-एक तथा हस्तिनापुर में दो में कुल (07) पराली जलाई जाने की घटना सेटेलाइट के माध्यम से प्रकाश में आयी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने सेटेलाइट की इमेज के साथ बर्निंग बुलेटिन जारी किया।

Photo- Social Media

बर्निंग बुलेटिन जारी होने के बाद कृषि एवं राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने मौके पर जाकर सत्यापन किया तो मौके पर विकासखण्ड जानी (01), दौराला (01), परीक्षितगढ़ (01) एवं हस्तिनापुर (01) में कुल (04) पर पराली जलाने की घटना सही पायी गयी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन०जी०टी०) के निर्देशानुसार किसानों को नोटिस व पराली जलाने के आरोप में रू0 2500 (रूपये दो हजार पाँच सौ मात्र) का जुर्माना लगाया गया।

वायु गुणवत्ता को प्रभावित करता है पराली जलाना

उपनिदेशक कृषि नीलेश चौरसिया ने सभी कृषकों से फसल अवशेष को न जलाये खेत मे ही वेस्ट डी-कम्पोजर का प्रयोग कर कार्बनिक खाद बनाने की अपील की है। उप कृषि निदेशक ने किसानों को आगाह किया कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण, बल्कि मानव और पशु स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह वायु गुणवत्ता को प्रभावित करता है, जिससे आँखों में जलन, त्वचा रोग और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। किसानों को पराली का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में या खेत में कम्पोस्ट के रूप में करने की सलाह दी गई है, जिससे मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाई जा सके।

Shashi kant gautam

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