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Meerut News: ..तो चंद्रशेखर का उभार है मायावती की सक्रियता की वजह
Meerut News: उपचुनाव में पार्टी ने 8 सीटों पर ही प्रत्याशी उतारे थे। इन 8 सीटों में से 5 सीटों पर आजाद समाज के प्रत्याशी चौथे नंबर पर रहे जबकि कुंदरकी और मीरापुर दो ऐसी सीटें हैं, जहां पार्टी के प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे।
Meerut News: आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के मुखिया चंद्रशेखर के उभार से चिंतित बसपा सुप्रीमों मायावती इस बार दिल्ली विधानसभा का चुनाव जोर लगा कर लड़ने की तैयारी में है। इसके लिए पार्टी सुप्रीमो मायावती के भतीजे और उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद को उतारा गया है। बसपा नेतृत्व चंद्रशेखर को लेकर कितना चिंतित है इसका खुलासा बीती 24 दिसम्बर को बसपा कार्यकर्ताओं ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर पर गृहमंत्री अमित शाह के बयान के विरोध में बहनजी के निर्देश पर सड़कों पर उतर कर किया था। गौरतलब है कि मायावती के ऐलान के बाद लंबे समय (करीब 8 साल) बाद बसपा कार्यकर्ता देश स्तर पर सड़क पर उतरे थे।
इससे पहले जुलाई 2016 में बसपा कार्यकर्ता पूरे देश में सड़कों पर उतरे थे। तब मौजूदा परिवहन राज्य मंत्री दयाशंकर सिंह ने मायावती को लेकर विवादित बयान दिया था। दरअसल, नगीना सीट से मिली जीत के बाद चंद्रशेखर उत्साहित हैं। दलितों के बीच लोकप्रिय होने के लिए नए कदम भी उठा रहे हैं। उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों में चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी भले ही सीट न जीती हो। लेकिन पार्टी प्रत्याशियों का प्रदर्शन बेहतर रहा।
उपचुनाव में पार्टी ने 8 सीटों पर ही प्रत्याशी उतारे थे। इन 8 सीटों में से 5 सीटों पर आजाद समाज के प्रत्याशी चौथे नंबर पर रहे जबकि कुंदरकी और मीरापुर दो ऐसी सीटें हैं, जहां पार्टी के प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे। इन दोनों सीटों पर बसपा पांचवें स्थान पर पहुंच गई। ऐसे में दलित नेता को को एक तरफ जहां बड़ी उम्मीद दे गया यूपी उपचुनाव वहीं दूसरी तरफ बसपा की चिंता बढ़ा गया। यही वजह है कि एक अरसे की सियासी चुप्पी के बाद दलित समाज की बड़ी चिंता को आवाज़ देने के लिए मायावती ने फिर बोलना शुरू कर दिया है।
दिल्ली जहां चुनाव होने जा रहे हैं कि बात करें तो यहां भी पिछले दो चुनावों से बसपा के वोट में बड़ी गिरावट आ रही है। आम आदमी पार्टी के उभार के बाद से बसपा बिल्कुल हाशिए में चली गई है। उसे 2013 के चुनाव में 5.4 फीसदी वोट मिले थे। परंतु 2015 के विधानसभा चुनाव में बसपा को सिर्फ 1.3 फीसदी वोट मिला। इसी तरह 2020 में बसपा को मात्र 0.71 फीसदी वोट मिले। लगातार दो चुनावों में इतने खराब प्रदर्शन के बाद अब पार्टी ने इस बार के चुनाव को गंभीरता से लिया है। क्योंकि पहले जहां बसपा के वोट बैंक पर भाजपा,सपा और कांग्रेस की नजर थी वहीं अब दलितों के बीच लोकप्रिय होने की कोशिश में जुटे युवा दलित नेता चंद्रशेखर भी मायावती की आंख की किरकिरी बने हुए हैं।