Truck Drivers Strike: हिट एंड रन कानून के विरोध में सड़क पर उतरे ट्रक-बस चालक, यात्री परेशान

Truck Drivers Strike: केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए परिवहन नियमों का ट्रांसपोर्ट कारोबारियों द्वारा विरोध किया जा रहा है। मेरठ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के बैनर तले कारोबारी इसका विरोध कर रहे हैं।

Sushil Kumar
Published on: 1 Jan 2024 9:20 AM GMT
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मेरठ में हिट एंड रन कानून के विरोध में सड़क पर उतरे ट्रक-बस चालक (न्यूजट्रैक)

Meerut News: केंद्र सरकार के न्यू मोटर वीकल एक्ट के विरोध में 10 साल की सजा और 7 लाख के जुर्माने के विरोध में सोमवार को मेरठ में ट्रक-बस के पहिए थम गए है। ट्रक और बसों के पहिए थमने से जहां यात्रियों को परेशानी हो रही है। वहीं आगामी दिनों में पेट्रोल-डीजल की किल्लतों का सामना करना पड़ सकता है। चालक नए कानून में चालकों के लिए सजा और जुर्माने के प्राविधान का विरोध कर रहे हैं। बता दें कि सरकार के नए हिट एंड रन कानून के तहत पांच लाख रुपए जुर्माना और दस साल की सजा का प्रावधान किया गया है।

केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए परिवहन नियमों का ट्रांसपोर्ट कारोबारियों द्वारा विरोध किया जा रहा है। मेरठ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के बैनर तले कारोबारी इसका विरोध कर रहे हैं। सोमवार को बस और ट्रक चालकों ने हड़ताल कर दी। इस दौरान चालकों ने रोडवेज बसों का चक्का जाम कर दिया। डिपो से रोडवेज बसें नहीं निकली। बसें नहीं चलने के कारण यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। उल्लेखनीय है कि इंडियन पीनल कोड (आइपीसी) अब (भारतीय न्याय संहिता) की धाराओं में संशोधन के विरोध में ऑल इंडिया ट्रक चालक संगठन ने एक जनवरी को हड़ताल का आह्वान किया था। चालकों ने भैंसाली बस अड्डे, सोहराब गेट बस स्टैंड से बसों को बाहर नहीं निकलने दिया गया।

रोडवेज के मेरठ परिक्षेत्र के प्रभारी क्षेत्रीय प्रबंधक लोकेश राजपूत ने न्यूजट्रैक को बताया कि आज सुबह से ही चालकों के हड़ताल पर चले जाने के कारण रोडवेज की एक भी बस का संचालन नहीं हो पाया। हालांकि हमने यात्रियों की परेशानी को देखते हुए पूरी कोशिश की कि किसी तरह कुछ बसों का संचालन करा दिया जाए। लेकिन,डिपो के बाहर खड़े हड़ताली चालकों ने बसों को डिपो से बाहर निकलने नहीं दिया। पुलिस भी मौके पर बुलाई गई। लेकिन हड़ताली चालक मानने को तैयार नहीं है। आसपास के जिलों में भी ऐसी स्थिति बताई जा रही है।

चक्का जाम कर रहे चालकों का कहना है कि जब तक इस काले कानून को सरकार वापस नहीं लेती तब तक वह बस नहीं चलाएंगे। चालकों के अनुसार सरकार ने बिना सोचे-समझे ड्राइवरों के विरोध में यह कानून बनाया है। ट्रक ड्राइवर 10 से 15 हजार की तनख्वाह पर ट्रक चलकर अपने परिवार को चलाता है। कोई चालक नहीं चाहता की उससे कोई एक्सीडेंट हो और किसी की जान जाए। आखिर इतना बड़ा जुर्माना चालक कहां से भरेंगे।

Shishumanjali kharwar

Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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