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UP By Election 2024: तो क्या जयंत चौधरी बीजेपी से सौदेबाजी की स्थिति में नहीं

UP By Election 2024 Update: दरअसल,यूपी विधानसभा की रिक्त 10 सीटों पर जल्द उपचुनाव का ऐलान होगा। राष्ट्रीय लोकदल इसमें दो सीटों पर उपचुनाव लड़ना चाहता है।

Sushil Kumar
Published on: 27 Sep 2024 11:46 AM GMT
UP By Election 2024 Jayant Chaudhary Seat Sharing BJP
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UP By Election 2024 Jayant Chaudhary Seat Sharing BJP

UP By Election 2024 Update: जयंत चौधरी बीजेपी से सौदेबाजी की स्थिति में नहीं हैं, इस तरह की अटकले राजनीतिक हलकों में तेजी से गश्त कर रही हैं। इसका ताजा प्रमाण यूपी की मीरापुर और खैर (सुरिक्षत)विधानसभा सीट है। इन दोनो सीटों पर उपचुनाव लड़ने के रालोद के दावे पर भाजपा की सहमति अभी तक बनती नजर नहीं आ रही है। इनमें मीरापुर सीट पर तो रालोद मजबूती के साथ दावा कर रही है। लेकिन,अभी तक भाजपा ने रालोद को हरी झंड़ी नही दिखाई है। ऐसे में दोनो ही दलों से जुड़े दावेदारों में बैचेनी दिख रही है। इसमें सबसे ज्यादा बैचेनी रालोद के दावेदारों में दिख रही है। दरअसल,उन्हें यह डर सता रहा है कि कहीं आखिरी वक्त पर खासकर मीरापुर सीट का हश्र मेरठ की सिवालखास सीट की तरह ना हो जाए जो कि लंबी खींचतान के बाद समाजवादी खाते में चली गई थी।

दरअसल,यूपी विधानसभा की रिक्त 10 सीटों पर जल्द उपचुनाव का ऐलान होगा। राष्ट्रीय लोकदल इसमें दो सीटों पर उपचुनाव लड़ना चाहता है। इनमें मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोकदल विधायक चंदन चौहान के लोकसभा चुनाव जीतने से रिक्त हुई है। दूसरी अलीगढ़ की खैर (सुरक्षित) सीट है। मीरापुर विधानसभा सीट कहने को तो मुजफ्फरनगर जिले में है, लेकिन यह सीट बिजनौर लोकसभा क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में एक है। 2022 में यह सीट आरएलडी ने जीती थी। जाट और मुसलमान का एका यहां जीत की गारंटी के तौर पर देखा जाता है। 2022 में रालोद-सपा में गठबंधन से यहां जाट और मुसलमान फिर एक मंच पर आने लगे थे। रालोद के बीजेपी संग जाने मुस्लिम रालोद से नाराजगी जता रहा हैं। कई मुस्लिम नेताओं ने रालोद का साथ भी छोड़ दिया हैँ।

खैर सीट सुरक्षित होने के बाद भी यहां जाट वोट निर्णायक की भूमिका में है। इसे जिले का दूसरा जाटलैंड बोला जाता है। 2017 में भाजपा ने RLD का किला ढहाकर यह सीट छीनी थी। इस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी और लोकदल तीन-तीन बार, जनता दल दो बार और बसपा प्रत्याशी एक बार चुनाव जीत चुके हैं। 2017 और 2022 में भाजपा के अनूप प्रधान वाल्मीकि यहां से चुनाव जीते थे। 2022 में RLD प्रत्याशी भगवती प्रसाद सूर्यवंशी 41,644 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे थे।

दरअसल,राजनीतिक हलकों में चर्चा यही है कि जयंत चौधरी बीजेपी से सौदेबाजी की स्थिति में खुद कमजोर मान रहे हैं। शायद यही वजह रही कि रालोद जो कि अपनी मौजूदगी का विस्तार करने के लिए हरियाणा में एंट्री करने को इच्छुक था। भाजपा के दबाव के आगे झुकते हुए रालोद को हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने की अपनी मंशा से कदम पीछे खींचने के लिए मजबूर होना पड़ा। जबकि, यहां पर जाटों और किसान समुदाय की अच्छी खासी संख्या है। ऐसे में किसान और जाटों से जुड़ी पार्टी होने के नाते माना यही जा रही था कि रालोद हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दिखाने के लिए अखाड़े में उतरेगा। लेकिन, जिस तरह ऐन वक्त पर हरियाणा में रालोद ने हरियाणा विधानसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया था। उससे भी रालोद पर भाजपा के बढ़ते दबाव की बात पुख्ता हुई है।

हालांकि पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आतिर रिजवी इस बात से इंकार करते हैं कि रालोद ने भाजपा के दबाव के चलते हरियाणा का विधानसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया था। आतिर रिजवी बताते हैं, "हरियाणा के चुनाव में वोटों का बंटवारा न होने देने की रणनीति के चलते ही रालोद वहां चुनाव नहीं लड़ रहा है।

वैसे,जयंत की बीजेपी में अहमियत को लेकर उस समय भी कई सवाल खड़े हुए थे जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद 7 जून को एनडीए की नई दिल्ली के पुराने संसद भवन में हुई बैठक में जयंत सिंह तीसरी पंक्ति में बैठे हुए दिखाई दिये थे। इसको लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के आधिकारिक मीडिया सेल के एक्स अकाउंट से टिप्पणी करते हुए लिखा गया था,"रालोद मुखिया को मंच पर स्थान तक नहीं दिया गया, जबकि उनकी दो सीटें हैं. वहीं, एक-एक सीट वाले दलों के नेताओं को मंच पर साथ में बैठाया गया."

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