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Meerut News: कुलपति डॉ जी.के. थपलियाल ने किया संबोधित, बोले- गुरु-शिष्य परंपरा भारतीयता की पहचान
Meerut News: शिक्षा के साथ संस्कारों को अपनाना जीवन में सफलता का सूत्र बनता है व जिस तरह सुभारती विश्वविद्यालय सेवा व संस्कारों के साथ अपने विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन कर रहा है।
Meerut News: स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में सुभारती परिवार की ओर से गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरुपूर्णिमा उत्सव-2024 का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ. स्तुति नारायण कक्कड़ रहीं। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक रुप से दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। इस दौरान सुभारती विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ. स्तुति नारायण कक्कड़, कुलपति मेजर जनरल डॉ. जी. के. थपलियाल, न्यासी एमटीवीबीआरसी न्यास डॉ. आकांक्षा सिंह, कार्यक्रम के मुख्य संयोजक व डीन सुभारती प्रबंधन एवं वाणिज्य संकाय डॉ. आर.के.घई एवं निदेशक (शोध) प्रो. डॉ. ए.पी. गर्ग ने दीप प्रज्ज्वलित किया।
प्रस्तुत किया गया सरस्वती वंदन
फाइन आर्ट कॉलिज के विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना व सुभारती गान प्रस्तुत किया गया। साथ ही मैनेजमेंट कॉलिज, नेचुरोपैथी व नर्सिंग कॉलिज के विद्यार्थियों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। कुलपति मेजर जनरल डॉ.जी.के.थपलियाल ने सभी को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं दीं। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि सबसे पहला गुरु मनुष्य के जीवन में मां होती है और दूसरा गुरु पिता के रूप में होता है, जो जीवन में संघर्ष करना सिखाता है। तीसरा गुरु हर वह व्यक्ति होता है जो मनुष्य का ज्ञानवर्धन करके उसे नई दिशा देता है। उन्होंने आगे कहा कि गुरु हमारे जीवन में मार्गदर्शक के रूप में जीवन की सच्चाई से रूबरू कराता है। गुरु ज्ञान का सूर्य होता है, जो समाज को अपने प्रकाश से उज्ज्वल कर देता है, इसलिये सदैव गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने सभी विद्यार्थियों से गुरू के बताए मार्ग पर चलकर अनुशासन के साथ अपना लक्ष्य बनाकर उसे प्राप्त करने के लिये संघर्ष करने की अपील की।
कुलपति ने किया संबोधित
अध्यक्षीय संबोधन में मुख्य अतिथि कुलाधिपति डॉ. स्तुति नारायण कक्कड़ ने सभी को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सभी गुरुओं को नमन करते हुए गुरु पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कारों को अपनाना जीवन में सफलता का सूत्र बनता है व जिस तरह सुभारती विश्वविद्यालय सेवा भाव व संस्कारों के साथ अपने विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन कर रहा है, वह गुरुकुल परम्परा का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि ज्ञान हर व्यक्ति का शिक्षक होता है जो विभिन्न परिस्थिति में अपने कर्तव्यों को निभाना और संस्कारों पर बने रहने की सीख देता है, इसलिये संपूर्ण जीवन मानव को सीखते रहना चाहिए। गुरु पूर्णिमा पर प्रेषित अपने संदेश में विश्वविद्यालय की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. शल्या राज ने कहा कि शिक्षक समाज को नई दिशा देकर सत्य के मार्ग पर ले जाते हैं। साथ ही समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के आदर्शों को अपना कर हमें जीवन में हमेशा एक विद्यार्थी के रूप में सीखते रहना चाहिए।
मनोरंजक गतिविधयों का हुआ आयोजन
इस दौरान शिक्षकों के मनोरंजन के लिए विभिन्न मनोरंजक गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिसमें सुभारती सचेत प्रशन्नोत्तरी, म्यूज़िकल चेयर व सुभारती जंक्शन आदि रहे। सुभारती सचेत की विजेता डॉ आकांक्षा सिंह रही। डॉ सीमा शर्मा सुभारती विवेकशील, इंजी. आशिमा सुभारती वेधा के रुप में विजेता रहीं। म्यूज़िकल चेयर की विजेता फिजियोथैरेपी संकाय की डीन डॉ. जैसमीन आनंदाबाई रहीं जिनको क्राउन व सैशे पुरस्कार स्वरुप दिया गया। वहीं सुभारती जंक्शन प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय की पुरुष शिक्षकों की टीम ने बाजी मारी। इसके अतिरिक्त सुभारती ललित कला संकाय के विद्यार्थियों के द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत लोकनृत्य, शास्त्रीय नृत्य कत्थक की मनमोहक प्रस्तुति दी।
ये लोग रहे उपस्थित
इस अवसर पर कुलसचिव एम याक़ूब, डॉ. प्रदीप भारती, डॉ. निखिल श्रीवास्तव, डॉ. पिंटू मिश्रा, डॉ. मनोज कपिल, डॉ. अभय शंकरगौड़ा, डॉ. सत्यम खरे, डॉ. वैभव गोयल भारतीय, डॉ. महावीर सिंह, डॉ. एस. सी. थलेड़ी, डॉ. सुधीर त्यागी, डॉ. सौकिन्द्र कुमार, कैप्टन(डॉ.) गीता परवंदा(सेनि.), डॉ. रेणु मावी, डॉ. जैसमीन आनंदाबाई, कर्नल राजेश त्यागी, डॉ शिवमोहन वर्मा, डॉ. प्रदीप राघव, डॉ. शशिराज तेवतिया, डॉ. सरताज अहमद, डॉ. मनोज त्रिपाठी, डॉ. संचित प्रधान, डॉ. मुकेश रुहेला, डॉ. राखी कुमारी, इंजी.आकाश भटनागर, डॉ. प्रिति सिंह, डॉ. डॉली वैश्य, डॉ सारिका, डॉ गौरव, मधुर शर्मा, शिकेब मजीद, राम प्रकाश तिवारी, शैली शर्मा, सुनील, आशीष आदि उपस्थित रहे।