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विश्व तम्बाकू निषेध दिवस 2024: पक्के इरादे, विशेषज्ञ की सलाह, से छूटेगी तम्बाकू की लत

Meerut News: प्रतिवर्ष 31 मई को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में इसे छोडने के लिये लोगो को प्रेरित करना है।

Sushil Kumar
Published on: 30 May 2024 8:39 PM IST
Meerut News
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डॉ.निखिल श्रीवास्तव ने दी जानकारी। (Pic: Newstrack)

Meerut News: विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के सुभारती डेन्टल कॉलेज के प्रधानाचार्य व डीन डॉ.निखिल श्रीवास्तव ने देशवासियों के हित में जागरूकता प्रदान की है। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष 31 मई को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में जन जागरूकता एवं इसे छोडने के लिये लोगो को प्रेरित करना है।

तम्बाकू सेवन एक विश्वव्यापी समस्या है। हर वर्ष करीब 60 लाख लोग इस तम्बाकू नामक जहर के सेवन से न सिर्फ बीमार हो रहे हैं बल्कि मृत्यु भी हो रही हैं (सिर्फ कैंसर से ही नहीं, हृदय रोग, फेंफड़े खराब होना, स्ट्रोक इत्यादि) भारत में यह समस्या और भी गम्भीर है क्योंकि भारत में लगभग 26.7 करोड़ लोग तम्बाकू का नियमित सेवन करते हैं। गेट्स इंडिया 2017 की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 29 प्रतिशत भारतीय वयस्क इस बुरी आदत से ग्रसित हैं, इनमें से 15 प्रतिशत 13-15 साल के बच्चे हैं।

तंबाकू से होता है कैंसर

उन्होंने कहा कि अन्य देशों में धूम्रपान ज्यादा प्रचलित है, पर भारत में खैनी एवं बीडी के रूप में तम्बाकू का सेवन ज्यादा प्रचलित है। तम्बाकू के 250 प्रकार हैं और किसी भी प्रकार के तम्बाकू में 5-7 हजार तक हानिकारक रासायनिक तत्व मौजूद होते हैं जिनमें से 30 से 70 रसायन कैंसर करने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा कि तम्बाकू और शराब किसी भी प्रकार के कैंसर के सबसे बड़े कारण हैं एवं लगभग 90 प्रतिशत कैंसर के मरीजो में इनका निरन्तर सेवन करना पाया गया है। यदि सिर्फ मुख के कैंसर की बात करें तो भारत में सभी प्रकार के कैंसर में मुख का कैंसर तीसरे नम्बर पर आता है एवं अधिकांश मामलो में मुख के कैंसर का काफी देर से पता चलने के कारण इसका सफल इलाज करना सम्भव नही होता है। उन्होंने बताया कि मुख के कैंसर के प्रमुख कारण कुछ इस प्रकार हैं - तम्बाकू सेवन (80 प्रतिशत), शराब, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस, अत्यधिक मसालेदार पदार्थो का सेवनं, नुकीले दाँत या कृत्रिम जबड़ों से लगातार होने वाले मुख के घाव।

मुख के कैंसर से जाती है लोगों की जान

मुख के कैंसर के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं - मुख के अन्दर गाल पर लाल धब्बा, सफेद दाग, घाव या छाला जो तीन हफ्ते से ठीक नहीं हो रहा है, पूरा मुँह ना खुलना, खाना निगलने में तकलीफ, अचानक दांतों का हिलना शुरू हो जाना, मुँह के कुछ हिस्से का सुन्न होना इत्यादि। मुख के कैंसर का समय पर पता लगाना एवं जल्द से जल्द इलाज होना अति आवश्यक है क्योंकि देर से बीमारी का पता लगने पर मरीज के जीने की उम्मीद मात्र 50 प्रतिशत ही रह जाती है और साथ ही इलाज में लाखों रुपयों का खर्च आता है इसलिए समय-समय पर मुँह की जाँच करवाने से एवं तम्बाकू सेवन को त्यागने से इस बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है।

तंबाकू निषेध केंद्र का ले सकते हैं लाभ

उन्होंने विशेष बताया कि सुभारती डेन्टल कॉलिज एवं अस्पताल में मुख कैंसर जाँच केन्द्र एवं तम्बाकू निषेध केन्द्र है, जिसका मरीज लाभ उठा सकते हैं। यह केन्द्र वर्ष 2012 से सुचारू रूप से चल रहा है और अब तक करीब 15 हजार से अधिक लोगो की कांउसलिंग की गयी है तथा 6.5 हजार मरीज़ तम्बाकू का सेवन पूरी तरह से त्याग चुके है और अन्य प्रयासरत हैं। मुख कैंसर जाँच केन्द्र में विभिन्न सुविधाये उपलब्ध हैं जैसे कि साईटालोजी, टोलीडीन ब्लू, ओरल ब्रश बायोप्सी, कोल्पोस्कोपी एवं बायोप्सी (मांस के टुकड़े की जाँच) इत्यादि।

15 दिन में छोड़ी जा सकती है लत

यह सत्य है कि तम्बाकू की लत से निजात पाना कठिन है पर असम्भव नहीं। सिर्फ 15 दिन मेहनत करके आप यह आदत छोड़ सकते हैं। आवश्यकता है पक्के इरादे, विशेषज्ञ की सलाह, जीवन शैली में बदलाव की और आवश्यकता पड़ने पर दवाओं का सहारा भी लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सुभारती तम्बाकू निषेध केन्द्र में अब तक लगभग 6.5 हजार मरीज़ तम्बाकू की आदत पूरी तरह छोड़ चुके हैं और अन्य प्रयासरत हैं। कार्य दिवस-प्रत्येक सोमवार एवं शुक्रवार 9ः30 से 3ः30 बजे तक अधिक जानकारी के लिए 9634927786 पर संपर्क करे।

अपनों के लिए छोड़ें तंबाकू

उन्होंने कहा कि तम्बाकू ने हजारों घर बर्बाद किये हैं। आपके अपनों को आपकी जरूरत है। आपके बच्चों को आपकी जरूरत है। अगर आप बीड़ी सिगरेट पीते हुए दुनिया से चले गये तो उनकी जिन्दगी भी आधी खत्म हो जायेगी। जो बच्चे अपने घरों से पढ़ने बाहर जाते हैं लेकिन धूम्रपान के शिकार हो जाते हैं और सोचते हैं कि मरना तो एक दिन सबको है, वो यह भूल जाते हैं कि उनके माँ-बाप का उनके बाद क्या होगा। आज तक उनके माँ-बाप ने उनका ध्यान रखा, आज उनकी बारी है। इसलिए सुभारती डेन्टल कॉलिज ने इस साल अपना स्लोगन दिया है -

‘‘अपने लिए नहीं, अपनों के लिए तम्बाकू सेवन छोड़ें,’’

आइये अब से अपने लिए नहीं, अपनों के लिए जियें।

Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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